नई दिल्ली/नोएडा: नोएडा पुलिस ने फर्जी दस्तावेज से लोन कराने वाले गिरोह का प्रर्दाफाश करते हुए तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया है.आरोपियों की पहचान बिहार के वैशाली निवासी संजीत कुमार, अलीगढ़ निवासी जितेंद्र और आगरा निवासी आकाश के रूप में हुई है. आरोपी भंगेल में दफ्तर खोलकर व्यापक स्तर पर ठगी की घटना को अंजाम दे रहे थे. पुलिस तीनों का आपराधिक इतिहास पता करने में जुटी है.
एक ही नाम के बनाते थे दो आधार कार्ड: पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि वह एक व्यक्ति के दो आधार कार्ड बनाते हैं. इसमें नाम, पते और जन्मतिथि में मामूली बदलाव किया जाता था. फर्जी आधार कार्ड के जरिए ही नए नाम का पैन कार्ड बनाया जाता था. इस दौरान किसी अन्य व्यक्ति की आंखों के रेटिना को स्कैन अथवा नाम में बदलाव कर वह दूसरा आधार कार्ड तैयार करते थे.
आरोपियों के मुताबिक, वह अधिकतर ऐसे लोगों के फर्जी आधार कार्ड बनाते थे, जिनका बैंक सिबिल स्कोर खराब होता था. सिबिल स्कोर खराब होने की वजह से उन्हें बैंकों से लोन नहीं मिल पाता था. ऐसे लोग उन्हें मुंह मांगी रकम देकर फर्जी आधार कार्ड बनाकर बैंकों से लोन लेते थे. एसीपी रामकृष्ण तिवारी ने बताया कि आरोपी सैकड़ों फर्जी आधार कार्ड और पैन कार्ड बनवा चुका है. इनके पास से 6 लैपटॉप, 11 टैबलेट, एक वेब कैमरा, दो आई स्कैनर मशीन, दो बायोमेट्रिक मशीन, 6 फर्जी आधार कार्ड, एक सिलिकॉन का अंगूठा, भारी मात्रा में आधार कार्ड व पैन कार्ड, थंब स्कैनर मशीन समेत अन्य सामान बरामद हुए हैं.
ऐसे करते थे खेल: सेक्टर-63 थाना प्रभारी अमित मान ने बताया कि आरोपियों ने फर्जी आधार कार्ड बनाने का यूआईडी साइट पर एक्सेस फिरोजाबाद की एक बैंक से हासिल किया हुआ था. हाथ की उंगलियों की जगह पर पैर की उंगलियों के निशान लेकर व रेटिना मशीन को उल्टा कर प्रक्रिया पूरी करते थे. एक आधार कार्ड बनाने के लिए 5 से 10 हजार रुपये लेते थे. सोशल मीडिया सहित अन्य माध्यमों से लोन लेने के इच्छुक लोगों से आरोपी संपर्क करते थे. कई जगहों पर आरोपियों ने एजेंट भी नियुक्ति किए हुए थे.
गिरोह का सरगना धराया: पुलिस के मुताबिक गिरफ्त में आए संजीत और जितेंद्र गिरोह के सरगना के साथ-साथ जन सेवा केंद्र के संचालक भी है. दोनों भंगेल स्थित जन सेवा केंद्र पर बैठकर फर्जीवाड़ा कर रहे थे. फर्जी आधार और पैन बनाने में जिस मशीन का इस्तेमाल होता था वह देश में बैन है. लोन और ग्राहक की क्षमता के अनुसार दस्तावेज का रेट तय किया जाता था. तीनों के कई साथियों को पूर्व में गिरफ्तार किया जा चुका है. गिरोह के दो अन्य आरोपियों की तलाश जारी है. आरोपियों से किन-किन लोगों ने फर्जी दस्तावेज बनवाकर लोक स्वीकृत कराया है, पुलिस इसकी भी जानकारी कर रही है.
ये भी पढ़ें: