नई दिल्ली : दिल्ली के छावला थाना इलाके में फरवरी 2012 में हुए गैंगरेप के मामले में सभी तीन आरोपियों को सुप्रीम कोर्ट ने साक्ष्यों के अभाव में रिहा कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर निर्भया की मां ने अपनी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि वो पिछले 11 सालों से पीड़िता को जानती हैं. उनकी बड़ी बेटी के साथ भी दरिंदों ने हैवानियत कर उसकी जान ले ली. इतने सालों तक पीड़ित परिवार न्याय की आस में आरोपियों के खिलाफ लड़ाई लड़ रहा था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट का जो फैसला आया है उससे न केवल पीड़ित परिवार, बल्कि उन महिलाओं-युवतियों और लोगों का भरोसा टूटेगा, जिन्हें कानून से न्याय की उम्मीद रहती है.
निर्भया की मां आशा देवी ने कहा कि अगर, जांच में कहीं कोई कमी है तो पुलिस से इसकी फिर से जांच करवानी चाहिए. अगर फैसला बदलना ही था, और पर्याप्त साक्ष्य नहीं थे तो फांसी हटा कर उन्हें उम्र कैद की भी सजा दी जा सकती थी. ऐसा कैसे हो सकता है कि दो कोर्ट से फांसी की सजा पाए दोषियों को सीधे बरी कर दिया गया. अगर कहीं जांच में कमी पाई गई है तो पुलिस की गलती का खामियाजा पीड़ित परिवार क्यों भुगते? उन्होंने सरकार से इस मामले में फिर से सुनवाई की अपील की है. उनकी मांग है कि सही तरीके से इसकी जांच कर दोषियों को सजा दी जाए.
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बता दें कि फरवरी 2012 में छावला थाना इलाके में एक युवती से गैंग रेप कर निर्दयता से उसकी हत्या कर दी गयी थी. इस मामले में आरोपियों राहुल, रवि और विनोद को पहले द्वारका कोर्ट और फिर दिल्ली हाई कोर्ट ने सजा सुनाई थी. इसके बाद ये मामला देश की उच्चतम न्यायालय में पहुंचा. जहां लंबे समय तक मामले की सुनवाई के बाद, दोषियों को सबूतों के आभाव में रिहा कर दिया गया.
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