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NGT : संगरूर में प्रदूषित भूमिगत जल की जांच के लिए पांच सदस्यीय कमेटी गठित - संगरुर में प्रदूषित भूमिगत जल

NGT ने पंजाब के संगरूर जिले के ट्यूबवेल से प्रदूषित और रंगीन पानी निकलने के मामले की जांच के लिए पांच सदस्यीय कमेटी का गठन किया है. कमेटी को दो महीने के अंदर मामले की जांच कर रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया गया है.

नेशनल ग्रीन ट्रिब्युनल
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Published : Jul 22, 2021, 7:56 PM IST

नई दिल्लीः नेशनल ग्रीन ट्रिब्युनल (NGT) ने पंजाब के संगरूर जिले के ट्यूबवेल से प्रदूषित और रंगीन पानी निकलने के मामले की जांच के लिए पांच सदस्यीय कमेटी का गठन किया है. NGT चेयरपर्सन जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली बेंच ने ये आदेश दिया है.



याचिका एचसी अरोड़ा ने दायर की है. इसमें एक अखबार की खबर का हवाला दिया गया है. खबर में संगरूर जिले के भिवानीगढ़ ब्लॉक के गांव आलोआरख में भूमिगत जल में मिलावट का जिक्र किया गया है. भूमिगत जल प्रदूषित हो चुका है और ट्यूबवेल से रंगीन पानी निकलता है, जो लोगों के स्वास्थ्य के लिए नुकसानदेह है. ट्यूबवेल से रंगीन पानी आने की समस्या पिछले 10 वर्षों से है.


ये भी पढ़ें-NH-19 पर सीवेज ओवरफ्लो रोकने में नाकाम रही हरियाणा सरकार, NGT ने लगाई फटकार

पंजाब राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुताबिक, पानी में मिलावट के लिए एक निजी फैक्ट्री जिम्मेदार है. ये फैक्ट्री 15 साल पहले बंद हो गई थी. उस फैक्ट्री पर NGT ने दो करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया था, लेकिन जुर्माने की रकम वसूली नहीं जा सकी है.

ये भी पढ़ें-दिल्ली जल बोर्ड पर NGT सख्त, सीवेज प्लांट मामले में हर महीने देना होगा 5 लाख रुपये जुर्माना

एनजीटी ने सुनवाई के दौरान कहा कि साफ पानी लोगों का अधिकार है. NGT ने इस मामले की जांच के लिए, जो कमेटी बनाई, उसमें केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का एक प्रतिनिधि, केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय के क्षेत्रीय अधिकारी, पंजाब राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का एक सदस्य, पंजाब के पर्यावरण सचिव और संगरूर के डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट शामिल हैं. NGT ने कमेटी को दो महीने के अंदर मामले की जांच कर रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है.

नई दिल्लीः नेशनल ग्रीन ट्रिब्युनल (NGT) ने पंजाब के संगरूर जिले के ट्यूबवेल से प्रदूषित और रंगीन पानी निकलने के मामले की जांच के लिए पांच सदस्यीय कमेटी का गठन किया है. NGT चेयरपर्सन जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली बेंच ने ये आदेश दिया है.



याचिका एचसी अरोड़ा ने दायर की है. इसमें एक अखबार की खबर का हवाला दिया गया है. खबर में संगरूर जिले के भिवानीगढ़ ब्लॉक के गांव आलोआरख में भूमिगत जल में मिलावट का जिक्र किया गया है. भूमिगत जल प्रदूषित हो चुका है और ट्यूबवेल से रंगीन पानी निकलता है, जो लोगों के स्वास्थ्य के लिए नुकसानदेह है. ट्यूबवेल से रंगीन पानी आने की समस्या पिछले 10 वर्षों से है.


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पंजाब राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुताबिक, पानी में मिलावट के लिए एक निजी फैक्ट्री जिम्मेदार है. ये फैक्ट्री 15 साल पहले बंद हो गई थी. उस फैक्ट्री पर NGT ने दो करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया था, लेकिन जुर्माने की रकम वसूली नहीं जा सकी है.

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एनजीटी ने सुनवाई के दौरान कहा कि साफ पानी लोगों का अधिकार है. NGT ने इस मामले की जांच के लिए, जो कमेटी बनाई, उसमें केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का एक प्रतिनिधि, केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय के क्षेत्रीय अधिकारी, पंजाब राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का एक सदस्य, पंजाब के पर्यावरण सचिव और संगरूर के डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट शामिल हैं. NGT ने कमेटी को दो महीने के अंदर मामले की जांच कर रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है.

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