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दिल्ली में कोरोना से जंग की रणनीति में बदलाव, इन बातों का रखा जाएगा ध्यान

दिल्ली में कोरोना से लड़ाई की रणनीतियों में बदलाव किया जा रहा है. जिस डोर-टू-डोर स्क्रीनिंग की बात हो रही थी, उसे अच्छा विकल्प नहीं माना गया है. दिल्ली को अब तीन हिस्सों में बांटकर काम करने की बात कही गई है.

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Published : Jul 6, 2020, 10:22 AM IST

Updated : Jul 6, 2020, 11:20 AM IST

new policy for covid 19  in delhi door-to-door screening not a good option
दिल्ली में कोरोना से जंग

नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली में कोरोना संक्रमण का दायरा दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है और इसका आंकड़ा एक लाख के करीब पहुंच चुका है. लगातार बढ़ते संक्रमण को देखते हुए सरकार ने दिल्ली में कोरोना से लड़ाई की रणनीतियों में बदलाव का फैसला किया है. दिल्ली सरकार, केंद्र सरकार, एनसीडीसी, आईसीएमआर और नीति आयोग ने मिलकर इसके लिए नया प्लान तैयार किया है.

डोर-टू-डोर स्क्रीनिंग अच्छा विकल्प नहीं

दिल्ली में करोना को काबू में करने के लिए जिस डोर-टू-डोर स्क्रीनिंग की चर्चा थी, उसे अच्छा विकल्प नहीं माना गया है और अब कोरोना के मद्देनजर दिल्ली को तीन हिस्सों में बांटकर काम करने की बात कही गई है. ये तीन हिस्से होंगे, कंटेनमेंट जोन, आइसोलेटेड केस वाले इलाके और ऐसे इलाके जहां अभी तक कोरोना के एक भी मामले सामने नहीं आए हैं.

डीएम को भेजा गया प्लान

इन सभी के लिए अलग-अलग तरीके से काम होगा और इसके लिए सभी जिलाधिकारियों को पूरा प्लान भेज दिया गया है. आपको बता दें कि इससे पहले 20 जून को जारी सर्विलांस और रेस्पॉन्स रोडमैप के अंतर्गत डोर-टू-डोर सर्वे का जिक्र करते हुए कहा गया था कि कंटेनमेंट जोंस की बड़ी संख्या के कारण पहले से ही एक बड़ी आबादी इंटरनल सर्विलांस का हिस्सा है.

ठीक नहीं डोर-टू-डोर स्क्रीनिंग

इसमें इसका जिक्र था कि कंटेनमेंट जोंस में ही सभी क्लस्टर समाहित हैं, जो सभी कोरोना केसेज का करीब 43 फीसदी हिस्सा हैं और अगर डोर-टू-डोर सर्वे किया जाता है. इससे पहले से चल रहे कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग और सर्विलांस के काम में बाधा आ सकती है. साथ ही केवल एकबार डोर-टू-डोर सर्वे कर लेना ज्यादा प्रभावी नहीं होगा. इसलिए तीन हिस्सों में दिल्ली की आबादी का वर्गीकरण कर काम किया जाएगा.

कंटेनमेंट जोन की रणनीति

दिल्ली में अभी 456 कंटेनमेंट जोन हैं. नई रणनीति के तहत कंटेंमेंट जोन के भीतर हाउस-टू-हाउस सर्च को पर्सनल विजिट के जरिए बढ़ाया जाएगा और कॉन्टैक्ट लिस्ट बनाकर हाई-रिस्क और बुजुर्गों को क्वारंटाइन करने से लेकर उनका फॉलो अप होगा. साथ ही सभी कंटेनमेंट जोन में अब गहन सर्वे होगा और आरोग्य सेतु ऐप व इतिहास ऐप की सहायता से कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग को असेसमेंट किया जाएगा.

आइसोलेटेड केस वाले इलाके

नई रणनीति में उन इलाकों की समीक्षा पर जोर दिया जाएगा, जहां पिछले 14 दिनों से लगातार मामले रिपोर्ट किए जा रहे हैं. यहां मैपिंग और ट्रांसमिशन चेन को ट्रैक करना प्राथमिकता में शामिल होगा. यहां भी कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग, हाउस-टू-हाउस सर्च, हाई रिस्क लोगों की लिस्टिंग, स्पेशल सर्विलांस, सख्त क्वारंटाइन और आइसोलेशन पर फोकस रहेगा.

जहां अब तक नहीं आए केस

दिल्ली के उन इलाकों के लिए अब अलग रणनीति बनाई गई है, जहां अब तक कोरोना के कोई मामले रिपोर्ट नहीं हुए हैं. यहां आरडब्ल्यूए द्वारा बुजुर्गों और को-मॉर्बिड लोगों की लिस्टिंग करने, प्रभावित इलाकों से आने वाले लोगों का प्रवेश रोकने, इन इलाकों में प्रवेश के समय हर व्यक्ति की स्क्रीनिंग करने और आरोग्य सेतु ऐप अनिवार्य रूप से डाउनलोड कराने की बात कही गई है.

निगरानी समिति का गठन

इन इलाकों में कोरोना के प्रवेश को रोकने के लिए, ग्रामीण इलाकों में सरपंच द्वारा गांव में निगरानी समिति बनाने की भी बात कही गई है. इसके अलावा, वर्तमान समय में जारी सीरोलॉजिकल सर्वे को गहनता से जारी रखने का निर्देश दिया गया है, जिसके तहत सभी 11 जिलों में 20 हजार लोगों के मूल्यांकन का काम हो रहा है.

इसे 10 जुलाई तक पूरा कर इसके जरिए ताजा स्थिति का आंकलन किया जाएगा. इससे दिल्ली वालों के इम्युनिटी स्टेटस और कोरोना के फ्यूचर लाइन की पड़ताल करने में मदद मिलेगी.

नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली में कोरोना संक्रमण का दायरा दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है और इसका आंकड़ा एक लाख के करीब पहुंच चुका है. लगातार बढ़ते संक्रमण को देखते हुए सरकार ने दिल्ली में कोरोना से लड़ाई की रणनीतियों में बदलाव का फैसला किया है. दिल्ली सरकार, केंद्र सरकार, एनसीडीसी, आईसीएमआर और नीति आयोग ने मिलकर इसके लिए नया प्लान तैयार किया है.

डोर-टू-डोर स्क्रीनिंग अच्छा विकल्प नहीं

दिल्ली में करोना को काबू में करने के लिए जिस डोर-टू-डोर स्क्रीनिंग की चर्चा थी, उसे अच्छा विकल्प नहीं माना गया है और अब कोरोना के मद्देनजर दिल्ली को तीन हिस्सों में बांटकर काम करने की बात कही गई है. ये तीन हिस्से होंगे, कंटेनमेंट जोन, आइसोलेटेड केस वाले इलाके और ऐसे इलाके जहां अभी तक कोरोना के एक भी मामले सामने नहीं आए हैं.

डीएम को भेजा गया प्लान

इन सभी के लिए अलग-अलग तरीके से काम होगा और इसके लिए सभी जिलाधिकारियों को पूरा प्लान भेज दिया गया है. आपको बता दें कि इससे पहले 20 जून को जारी सर्विलांस और रेस्पॉन्स रोडमैप के अंतर्गत डोर-टू-डोर सर्वे का जिक्र करते हुए कहा गया था कि कंटेनमेंट जोंस की बड़ी संख्या के कारण पहले से ही एक बड़ी आबादी इंटरनल सर्विलांस का हिस्सा है.

ठीक नहीं डोर-टू-डोर स्क्रीनिंग

इसमें इसका जिक्र था कि कंटेनमेंट जोंस में ही सभी क्लस्टर समाहित हैं, जो सभी कोरोना केसेज का करीब 43 फीसदी हिस्सा हैं और अगर डोर-टू-डोर सर्वे किया जाता है. इससे पहले से चल रहे कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग और सर्विलांस के काम में बाधा आ सकती है. साथ ही केवल एकबार डोर-टू-डोर सर्वे कर लेना ज्यादा प्रभावी नहीं होगा. इसलिए तीन हिस्सों में दिल्ली की आबादी का वर्गीकरण कर काम किया जाएगा.

कंटेनमेंट जोन की रणनीति

दिल्ली में अभी 456 कंटेनमेंट जोन हैं. नई रणनीति के तहत कंटेंमेंट जोन के भीतर हाउस-टू-हाउस सर्च को पर्सनल विजिट के जरिए बढ़ाया जाएगा और कॉन्टैक्ट लिस्ट बनाकर हाई-रिस्क और बुजुर्गों को क्वारंटाइन करने से लेकर उनका फॉलो अप होगा. साथ ही सभी कंटेनमेंट जोन में अब गहन सर्वे होगा और आरोग्य सेतु ऐप व इतिहास ऐप की सहायता से कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग को असेसमेंट किया जाएगा.

आइसोलेटेड केस वाले इलाके

नई रणनीति में उन इलाकों की समीक्षा पर जोर दिया जाएगा, जहां पिछले 14 दिनों से लगातार मामले रिपोर्ट किए जा रहे हैं. यहां मैपिंग और ट्रांसमिशन चेन को ट्रैक करना प्राथमिकता में शामिल होगा. यहां भी कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग, हाउस-टू-हाउस सर्च, हाई रिस्क लोगों की लिस्टिंग, स्पेशल सर्विलांस, सख्त क्वारंटाइन और आइसोलेशन पर फोकस रहेगा.

जहां अब तक नहीं आए केस

दिल्ली के उन इलाकों के लिए अब अलग रणनीति बनाई गई है, जहां अब तक कोरोना के कोई मामले रिपोर्ट नहीं हुए हैं. यहां आरडब्ल्यूए द्वारा बुजुर्गों और को-मॉर्बिड लोगों की लिस्टिंग करने, प्रभावित इलाकों से आने वाले लोगों का प्रवेश रोकने, इन इलाकों में प्रवेश के समय हर व्यक्ति की स्क्रीनिंग करने और आरोग्य सेतु ऐप अनिवार्य रूप से डाउनलोड कराने की बात कही गई है.

निगरानी समिति का गठन

इन इलाकों में कोरोना के प्रवेश को रोकने के लिए, ग्रामीण इलाकों में सरपंच द्वारा गांव में निगरानी समिति बनाने की भी बात कही गई है. इसके अलावा, वर्तमान समय में जारी सीरोलॉजिकल सर्वे को गहनता से जारी रखने का निर्देश दिया गया है, जिसके तहत सभी 11 जिलों में 20 हजार लोगों के मूल्यांकन का काम हो रहा है.

इसे 10 जुलाई तक पूरा कर इसके जरिए ताजा स्थिति का आंकलन किया जाएगा. इससे दिल्ली वालों के इम्युनिटी स्टेटस और कोरोना के फ्यूचर लाइन की पड़ताल करने में मदद मिलेगी.

Last Updated : Jul 6, 2020, 11:20 AM IST
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