नई दिल्ली: मोटर व्हीकल एग्रीगेटर्स और खासकर कैब एग्रीगेटर्स को लेकर पिछले दिनों भारत सरकार ने मोटर व्हीकल एग्रीगेटर गाइडलाइंस जारी की हैं. इन गाइडलाइंस में राज्य सरकारों को एग्रीगेटर्स को लाइसेंस देने के संबंध में तमाम नियमों और शर्तों का जिक्र किया गया है. इन्हीं में से एक शर्त है बुकिंग कैंसिलेशन को लेकर तय की गई जुर्माना राशि. जिस पर कैब चालकों और यात्रियों के बीच अक्सर गहमागहमी और विवाद देखने को मिलता था.
दावा किया जा रहा है कि इस नए नियम से ये सारी परेशानियां खत्म हो जाएंगी, लेकिन मौजूदा समय में ऐसा होता नहीं दिख रहा है.
बुकिंग कैंसेलशन विवाद
बुकिंग कैंसिलेशन का अधिकार बुकिंग के कुछ देर बाद तक यात्रियों और चालकों दोनों को होता है. हालांकि ये देखने में आया है कि कैब चालक और यात्री अपनी सहूलियत के हिसाब से बुकिंग के बहुत देर बाद भी बुकिंग कैंसिल कर देते हैं, जिसका हर्जाना दूसरे व्यक्ति को भुगतना पड़ता है. इसे लेकर आमतौर पर यात्री अपनी भड़ास सोशल मीडिया पर निकालते हैं.
रात के समय और किसी रिमोट एरिया में जाते वक्त ये परेशानी और अधिक बढ़ जाती है. खासकर महिला सुरक्षा के लिए ये कई बार एक बड़े मुद्दे के तौर पर उभरा है. शायद यही कारण है कि कैब एग्रीगेटर्स ने चालकों को यात्री तक पहुंचने से पहले यात्री का गंतव्य पूछने का विकल्प ही नहीं दिया है. इसे लेकर मिलने वाली तमाम शिकायतों के बाद गाइडलाइंस में इसे लेकर नियम बनाया गया है.
देना होगा 10 फीसदी तक जुर्माना
नई गाइडलाइंस के मुताबिक, कैब चालक या यात्री अगर बिना किसी ठोस वजह के बुकिंग कैंसिल करते हैं, तो उन्हें बुकिंग राशि का 10 फ़ीसदी जुर्माने के तौर पर देना होगा. इस 10 फ़ीसदी का अधिकतम जुर्माना ₹100 तक हो सकता है. यूं तो एक साधारण सा नियम है, लेकिन इसे लेकर किए जाने वाले दावों पर सवाल भी उठ रहे हैं.
ओला-उबर में यात्रा करने वाले खुश
ओला उबर में यात्रा करने वाले यात्री सरकार के इस फैसले से खुश हैं. उनका कहना है कि मौजूदा समय में बुकिंग कैंसिलेशन उनके लिए एक बड़ा सिर दर्द था, लेकिन अब जुर्माने के डर से शायद ये कम देखने को मिलेगा.
रूटीन में यात्रा करने वाले प्रत्यूष मिश्रा कहते हैं-
कई बार लोग घर से एक निश्चित समय लेकर ही अपनी कैब बुक करते हैं, लेकिन अंत समय पर जब कैब चालक बुकिंग कैंसिल कर देता है तो बहुत परेशानी होती है. इस नियम से 10 फ़ीसदी जुर्माने का डर होगा, जिसके बाद बुकिंग कैंसिलेशन कम हो जाएगा.
उधर पृथ्वी भी यही बात कहते हैं. अपना एक पुराना अनुभव बताते हुए वह कहते हैं कि किसी भी कंपनी के तहत कैब बुक करने का सीधा मतलब होता है कि हम उस पर अपना विश्वास दिखा रहे हैं. कैब कैंसिलेशन गैर जिम्मेदाराना रवैया दिखाता है, जिसका हर्जाना यात्रियों को ही भुगतना पड़ता है. वो कहते हैं कि नए नियमों से इसमें सुधार देखने को मिलेगा.
कैब चालकों को आपत्ति
एक तरफ जहां यात्री इस नियम से खुश हैं तो वहीं दूसरी तरफ कैब चालकों को इससे सख्त आपत्ति है. उनका कहना है कि नया नियम उनके खिलाफ हो रही नाइंसाफी है. सर्वोदय ड्राइवर एसोसिएशन के अध्यक्ष कमलजीत गिल कहते हैं कीजिए कहने की बात है कि यात्रियों से भी यह जुर्माना वसूला जाएगा जबकि सच्चाई है कि इसका सीधा असर कैब चालकों पर ही पड़ेगा. वह कहते हैं कि मौजूदा समय में भी यात्रियों के पास कैब चालक को कैंसिलेशन के लिए जिम्मेदार ठहराने बताने को लेकर कई विकल्प होते हैं जिनका कोई वेरिफिकेशन नहीं होता. बिना वेरिफिकेशन के जब चालक को ही जिम्मेदार ठहराना है तो नए नियम का क्या फायदा. वह मांग करते हैं कि सरकार को इस पर नए सिरे से विचार करना चाहिए.
गाइडलाइंस में अन्य नियमों की भी चर्चा
गाइडलाइंस में बुकिंग कैंसिलेशन को लेकर दिए गए नियम बेशक चर्चा का विषय बन रहे हैं, लेकिन सच्चाई है किन गाइडलाइंस में ऐसे अन्य कई नियम है जो यात्रियों कैब चालकों और कैब एग्रीगेटर्स की सुविधा और सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए बनाए गए हैं.
- चालकों को 5 लाख तक का हेल्थ इंश्योरेंस देना अनिवार्य होगा.
- इसके अतिरिक्त चालकों को 10 लाख रुपए तक का टर्म इंश्योरेंस भी देना होगा.
- एग्रीगेटर को अपनी मोबाइल ऐप हिंदी और अंग्रेजी के साथ-साथ राज्य की आधिकारिक भाषा में भी करानी होगी.
- यात्रियों के लिए केवाईसी जरूरी होगी.
- महिला यात्रियों को अन्य महिला यात्रियों के साथ पूल करने की इजाजत होगी.
- एग्रीगेटर कैब चालकों से 20 फीसदी से ज्यादा कमीशन नहीं ले पाएगा.
इस बात पर यात्रियों और कैब चालकों के अलग-अलग पक्ष हैं. लेकिन सवाल है कि क्या वाकई नए नियमों से कैंसिलेशन का मुद्दा सुलझ जाएगा. कैंसिलेशन की असल वजहों की वेरिफिकेशन के लिए ना तो कोई खोज सिस्टम है और ना ही मौजूदा समय में कंपनियों के पास इसका कोई समाधान. ऐसे में अब इसका जवाब आने वाले दिनों में ही पता चलेगा.