नई दिल्ली: दिल्ली विश्वविद्यालय के श्री अरबिंदो काॅलेज के एनसीवेब (नॉन कॉलेजिएट महिला शिक्षा बोर्ड) सेंटर ने अंतर महाविद्यालयी खेल उत्सव का आयोजन किया है. इस आयोजन में विभिन्न सेंटर से 18 महाविद्यालयों के एनसीवेब सेंटर की छात्राओं ने खेल प्रतियोगिताओं जैसे शतरंज, टग ऑफ वॉर, वाॅलीबाॅल, खो-खो, बैडमिंटन, शाॅट पुट, योगा आदि खेलों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया. इस खेल उत्सव कार्यक्रम का शुभारंभ काॅलेज के प्राचार्य प्रोफेसर विपिन कुमार अग्रवाल, एनसीवेब की निदेशक प्रोफेसर गीता भट्ट, विशिष्ट अतिथि प्रोफेसर हंसराज सुमन, एनसीवेब सेंटर की प्रभारी प्रोफेसर अंजलि भटनागर और समन्वयक डॉ. रेणुका अनूप ने दीप प्रज्वलित कर किया.
वहीं इस दौरान छात्राओं ने गणेश व मां सरस्वती की वंदना भी की, जिसके बाद देशभक्ति के गीतों से सभागार गूंज उठा. इस मौके पर छात्राओं को संबोधित करते हुए काॅलेज के प्राचार्य प्रोफेसर विपिन कुमार अग्रवाल ने प्रतिभागियों का उत्साहवर्धन करते हुए कहा कि, छात्राएं हमारे राष्ट्र की प्रमुख शक्ति हैं. किसी भी समाज और राष्ट्र का विकास तभी संभव है, जब लड़कियों को शिक्षा के साथ खेल में भी समान अवसर दिया जाए. उन्होंने आगे कहा कि, आज संपूर्ण देश अपनी साकारात्मक ऊर्जा से आगे बढ़ रहा है, जिसमें हमारी छात्राएं अपना योगदान देकर भारत को विश्वगुरु बना सकती हैं.
वहीं एनसीवेब की निदेशक प्रोफेसर गीता भट्ट ने अपने वक्तव्य में कहा कि, विकास की प्रक्रिया में एनसीवेब अपनी स्थापना से लेकर तक नए-नए कीर्तमान बना रहा है. दिल्ली विश्वविद्यालय में संभवतः यह पहला अवसर है, जिसमें श्री अरबिंदो काॅलेज का एनसीवेब सेंटर खेल उत्सव का इतना भव्य एवं सफल आयोजन किया गया है. उन्होंने छात्राओं से यह अपील करते हए कहा कि, अपने अंतर्मन को पहचान कर सही दिशा में मेहनत करने की जरूरत है. आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जिस 'एस्पिरेशनल इंडिया' की बात करते हैं, वह हमारी आज की छात्राएं ही हैं.
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उनके अलावा विशिष्ट अतिथि प्रोफेसर हंसराज सुमन ने अरबिंदो कॉलेज के अपने अनुभवों को साझा करते हुए कहा कि, इस तरह की खेल प्रतियोगिताओं से मन-मस्तिष्क का विकास होता है. इसके साथ ही उन्होंने बताया कि, यहां की कई छात्राएं राष्ट्रीय स्तर पर खेलों में भी रही हैं. प्रोफेसर सुमन ने एनसीवेब की निदेशक से अपील की है कि इन सेंटरों पर आने वाली छात्राओं की आर्थिक स्थिति बहुत कमजोर होती है. इसके लिए विश्वविद्यालय से उनके लिए छात्रवृत्ति, फीस माफ व उनकी स्थिति को सुधारने के लिए कॉलेजों में 6 महीने के प्रोफेशनल कोर्स व सर्टिफिकेट कोर्स चलाए जाएं ताकि ये छात्राएं अपने पैरों पर खड़ी हो सकें. इसके अलावा इनके लिए मल्टीनेशनल कंपनियों को बुलाकर समय-समय पर 'जाॅब फेयर' भी लगाया जाए, जिससे इन्हें रोजगार मिल सके.
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