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आवारा कुत्तों को पकड़ने के लिए एक बार फिर एक्टिव हुआ दिल्ली नगर निगम - दिल्ली नगर निगम आवारा कुत्ते

दिल्ली में आवारा कुत्तों को पकड़ने का काम दिल्ली के तीनों नगर निगम करते हैं. कोरोना के दौरान आवारा कुत्तों को पकड़ने की गति में कुछ कमी आई थी, लेकिन अब दोबारा दिल्ली के तीनों नगर निगम आवारा कुत्तों को पकड़ रहे हैं.

MCD catch Stray Dogs
स्ट्रे डॉग्स दिल्ली नगर निगम
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Published : Sep 22, 2020, 6:34 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली में आवारा कुत्तों का आतंक बढ़ रहा है. इसे लेकर पूर्वी दिल्ली नगर निगम के लाइसेंस डिपार्टमेंट के उपाध्यक्ष और वरिष्ठ पार्षद संदीप कपूर से ईटीवी भारत की बात हुई. उन्होंने बताया कि पूर्वी दिल्ली नगर निगम के दोनों जोन में आवारा कुत्तों को पकड़ने के लिए 4 गाड़ियों की व्यवस्था है.

दिल्ली में आवारा कुत्तों का आतंक

साथ ही एक गाड़ी एनजीओ द्वारा भी संचालित की जाती है. कुल मिलाकर पूर्वी दिल्ली नगर निगम क्षेत्र में 5 गाड़ियों की सहायता से आवारा कुत्तों को पकड़ा जाता है. फिर इन्हें निगम के सेंटर पर स्टरलाइज किया जाता है. रेबीज के टीके लगाए जाते हैं और फिर उन कुत्तों को वापस छोड़ दिया जाता है.

कानूनी बाध्यता के कारण आवारा कुत्तों को स्टरलाइज और रेबीज का टीका लगाने के बाद वापस उस जगह छोड़ा जाता है, जहां से उन्हें पकड़ा गया था. कानूनी बाध्यता के कारण दिल्ली के तीनों नगर निगम क्षेत्र में कोई भी ऐसा सेंटर नहीं है जहां आवारा कुत्तों को हमेशा के लिए रखा जा सके. इसलिए कुत्तों को रेबीज का टीका लगाने के बाद वापस छोड़ दिया जाता है.

'कोरोना के दौरान धीमी पड़ी रफ्तार'

कोरोना के दौरान आवारा कुत्तों को पकड़ने की रफ्तार धीमी होने के सवाल पर संदीप कपूर ने कहा कि कोरोना एक संक्रामक रोग है, तो उस समय आवारा कुत्तों को पकड़ना, उन्हें स्टरलाइज करना और उनकी देखभाल करना थोड़ा मुश्किल था. एक बार जब हम कुत्तों को पकड़ते हैं तो उन्हें 3 से 4 दिन तक अपने सेंटर पर रखते हैं. इसलिए इंफेक्शन के डर से कुछ महीनों तक आवारा कुत्तों को पकड़ने का काम बंद था, लेकिन अब दोबारा से ये प्रक्रिया शुरू हो गई है.

उपलब्ध हैं रेबीज के टीके

संदीप कपूर ने बताया कि दिल्ली के तीनों नगर निगमों के अस्पतालों में एंटी रेबीज के टीके पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं. रेबीज के टीके दो प्रकार के होते हैं. पहले प्रकार में अगर कुत्ते की पहचान हो जाती है या घरेलू कुत्ते की बाइट होती है तो कम टीके लगते हैं, लेकिन अगर किसी इंसान को आवारा कुत्ते ने काटा होता है या उस कुत्ते की पहचान नहीं हो पाती है, ऐसी स्थिति में 1 महीने का उपचार होता है.

दिल्ली सरकार से फंड की मांग

आवारा कुत्तों को पकड़ने के लिए निगम के भावी प्रयास के संबंध में संदीप कपूर ने कहा कि हम सीमित संसाधनों में बेहतर काम कर रहे हैं. दिल्ली सरकार द्वारा जन स्वास्थ्य विभाग से जुड़ा फंड जारी नहीं किया जा रहा. अगर दिल्ली सरकार हमें फंड दे, तो हम आवारा कुत्तों को पकड़ने के लिए कुछ अतिरिक्त गाड़ियां खरीद सकते हैं.

नई दिल्ली: दिल्ली में आवारा कुत्तों का आतंक बढ़ रहा है. इसे लेकर पूर्वी दिल्ली नगर निगम के लाइसेंस डिपार्टमेंट के उपाध्यक्ष और वरिष्ठ पार्षद संदीप कपूर से ईटीवी भारत की बात हुई. उन्होंने बताया कि पूर्वी दिल्ली नगर निगम के दोनों जोन में आवारा कुत्तों को पकड़ने के लिए 4 गाड़ियों की व्यवस्था है.

दिल्ली में आवारा कुत्तों का आतंक

साथ ही एक गाड़ी एनजीओ द्वारा भी संचालित की जाती है. कुल मिलाकर पूर्वी दिल्ली नगर निगम क्षेत्र में 5 गाड़ियों की सहायता से आवारा कुत्तों को पकड़ा जाता है. फिर इन्हें निगम के सेंटर पर स्टरलाइज किया जाता है. रेबीज के टीके लगाए जाते हैं और फिर उन कुत्तों को वापस छोड़ दिया जाता है.

कानूनी बाध्यता के कारण आवारा कुत्तों को स्टरलाइज और रेबीज का टीका लगाने के बाद वापस उस जगह छोड़ा जाता है, जहां से उन्हें पकड़ा गया था. कानूनी बाध्यता के कारण दिल्ली के तीनों नगर निगम क्षेत्र में कोई भी ऐसा सेंटर नहीं है जहां आवारा कुत्तों को हमेशा के लिए रखा जा सके. इसलिए कुत्तों को रेबीज का टीका लगाने के बाद वापस छोड़ दिया जाता है.

'कोरोना के दौरान धीमी पड़ी रफ्तार'

कोरोना के दौरान आवारा कुत्तों को पकड़ने की रफ्तार धीमी होने के सवाल पर संदीप कपूर ने कहा कि कोरोना एक संक्रामक रोग है, तो उस समय आवारा कुत्तों को पकड़ना, उन्हें स्टरलाइज करना और उनकी देखभाल करना थोड़ा मुश्किल था. एक बार जब हम कुत्तों को पकड़ते हैं तो उन्हें 3 से 4 दिन तक अपने सेंटर पर रखते हैं. इसलिए इंफेक्शन के डर से कुछ महीनों तक आवारा कुत्तों को पकड़ने का काम बंद था, लेकिन अब दोबारा से ये प्रक्रिया शुरू हो गई है.

उपलब्ध हैं रेबीज के टीके

संदीप कपूर ने बताया कि दिल्ली के तीनों नगर निगमों के अस्पतालों में एंटी रेबीज के टीके पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं. रेबीज के टीके दो प्रकार के होते हैं. पहले प्रकार में अगर कुत्ते की पहचान हो जाती है या घरेलू कुत्ते की बाइट होती है तो कम टीके लगते हैं, लेकिन अगर किसी इंसान को आवारा कुत्ते ने काटा होता है या उस कुत्ते की पहचान नहीं हो पाती है, ऐसी स्थिति में 1 महीने का उपचार होता है.

दिल्ली सरकार से फंड की मांग

आवारा कुत्तों को पकड़ने के लिए निगम के भावी प्रयास के संबंध में संदीप कपूर ने कहा कि हम सीमित संसाधनों में बेहतर काम कर रहे हैं. दिल्ली सरकार द्वारा जन स्वास्थ्य विभाग से जुड़ा फंड जारी नहीं किया जा रहा. अगर दिल्ली सरकार हमें फंड दे, तो हम आवारा कुत्तों को पकड़ने के लिए कुछ अतिरिक्त गाड़ियां खरीद सकते हैं.

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