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मनोज तिवारी की सात अस्पतालों में भ्रष्टाचार की जांच वाली याचिका दूसरी कोर्ट में ट्रांसफर

दिल्ली की राऊज एवेन्यू कोर्ट ने दिल्ली में सात अस्थायी अस्पताल बनवाने में भ्रष्टाचार के मामले में जांच की बीजेपी सांसद मनोज तिवारी की मांग करने वाली याचिका को दूसरी कोर्ट में ट्रांसफर करने का आदेश दिया है. पढ़ें पूरी खबर....

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Published : Jun 3, 2022, 11:03 PM IST

मनोज तिवारी की सात अस्पतालों में भ्रष्टाचार की जांच वाली याचिका
मनोज तिवारी की सात अस्पतालों में भ्रष्टाचार की जांच वाली याचिका

नई दिल्ली: दिल्ली की राऊज एवेन्यू कोर्ट ने दिल्ली में सात अस्थायी अस्पताल बनवाने में भ्रष्टाचार के मामले में जांच की बीजेपी सांसद मनोज तिवारी की मांग करने वाली याचिका को दूसरी कोर्ट में ट्रांसफर करने का आदेश दिया है. एडिशनल मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट विधि गुप्ता आनंद ने कहा कि ये मामला भ्रष्टाचार निरोधक कानून से जुड़ा हुआ है और उनकी कोर्ट का इस पर पर्याप्त क्षेत्राधिकार नहीं है, इसलिए इस याचिका को भ्रष्टाचार निरोधक कानून से जुड़ी दूसरी कोर्ट में ट्रांसफर किया जाए.



आज सुनवाई के दौरान एंटी करप्शन ब्यूरो के जांच अधिकारी प्रवीण कुमार और सतर्कता निदेशालय के सहायक निदेशक संजीव गुप्ता कोर्ट में पेश हुए. दोनों ने कोर्ट में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल किया. दोनों ने कहा कि इस मामले में अभियोजन चलाने के लिए जरुरी अनुमति संबंधी अर्जी अभी विचाराधीन है. बता दें कि बीजेपी सांसद मनोज तिवारी ने दिल्ली में सात अस्थायी अस्पताल बनवाने में भ्रष्टाचार की जांच करने की मांग की है. मनोज तिवारी ने शिकायत की है कि उन्होंने केंद्र सरकार के सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा को पत्र लिखकर कहा था कि दिल्ली में सात अस्थायी अस्पतालों के निर्माण में पीडब्डल्यूडी विभाग की ओर से फर्जीवाड़ा किया गया है.

राऊज एवेन्यू कोर्ट
राऊज एवेन्यू कोर्ट

ये भी पढ़ें: सीएम केजरीवाल ने एलजी से की मुलाकात, कहा अब हर शुक्रवार मीटिंग होगी

ये सात अस्पताल शालीमार बाग, किराड़ी, सुल्तानपुरी, चाचा नेहरु बाल चिकित्सालय, जीटीबी , सरिता विहार और रघुबीर नगर में स्थित हैं. इन अस्थायी अस्पतालों के निर्माण के लिए एक ही कंपनी सैम इंडिया बिल्डवेल प्राईवेट लिमिटेड को ठेका देने में पक्षपात किया गया. इस कंपनी को 1256 करोड़ रुपये का ठेका दिया गया जबकि इन अस्पतालों को बनाने में अनुमानित लागत 1216 करोड़ रुपये थी. ये भी ठेका बिना दिल्ली सरकार की अनुमति के एक ही दिन में दे दिया गया.


मनोज तिवारी ने अपनी शिकायत में कहा है कि दिल्ली सरकार के तत्कालीन पीडब्ल्यूडी मंत्री सत्येन्द्र जैन, पीडब्ल्यूडी विभाग के इंजीनियर इन चीफ शशिकांत , पीडब्ल्यूडी विभाग के चीफ इंजीनियर संजीव रस्तोगी की भूमिका की जांच हो. शिकायत में कहा गया है कि शशिकांत ने अपने रिटायर होने की तिथि 31 अगस्त को अस्थायी अस्पताल के निर्माण के लिए सैम बिल्डवेल के नाम से 1256 करोड़ रुपये के तीन टेंडर स्वीकृत किए. इन अस्पतालों की टेंडर राशि को संजीव रस्तोगी ने यह कहकर बढ़ा दिया कि स्ट्रक्चरल ट्यूब की कीमत 79 हजार रुपये प्रति टन हो गया है जबकि इसकी कीमत 52,625 रुपये प्रति टन थी.

नई दिल्ली: दिल्ली की राऊज एवेन्यू कोर्ट ने दिल्ली में सात अस्थायी अस्पताल बनवाने में भ्रष्टाचार के मामले में जांच की बीजेपी सांसद मनोज तिवारी की मांग करने वाली याचिका को दूसरी कोर्ट में ट्रांसफर करने का आदेश दिया है. एडिशनल मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट विधि गुप्ता आनंद ने कहा कि ये मामला भ्रष्टाचार निरोधक कानून से जुड़ा हुआ है और उनकी कोर्ट का इस पर पर्याप्त क्षेत्राधिकार नहीं है, इसलिए इस याचिका को भ्रष्टाचार निरोधक कानून से जुड़ी दूसरी कोर्ट में ट्रांसफर किया जाए.



आज सुनवाई के दौरान एंटी करप्शन ब्यूरो के जांच अधिकारी प्रवीण कुमार और सतर्कता निदेशालय के सहायक निदेशक संजीव गुप्ता कोर्ट में पेश हुए. दोनों ने कोर्ट में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल किया. दोनों ने कहा कि इस मामले में अभियोजन चलाने के लिए जरुरी अनुमति संबंधी अर्जी अभी विचाराधीन है. बता दें कि बीजेपी सांसद मनोज तिवारी ने दिल्ली में सात अस्थायी अस्पताल बनवाने में भ्रष्टाचार की जांच करने की मांग की है. मनोज तिवारी ने शिकायत की है कि उन्होंने केंद्र सरकार के सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा को पत्र लिखकर कहा था कि दिल्ली में सात अस्थायी अस्पतालों के निर्माण में पीडब्डल्यूडी विभाग की ओर से फर्जीवाड़ा किया गया है.

राऊज एवेन्यू कोर्ट
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ये सात अस्पताल शालीमार बाग, किराड़ी, सुल्तानपुरी, चाचा नेहरु बाल चिकित्सालय, जीटीबी , सरिता विहार और रघुबीर नगर में स्थित हैं. इन अस्थायी अस्पतालों के निर्माण के लिए एक ही कंपनी सैम इंडिया बिल्डवेल प्राईवेट लिमिटेड को ठेका देने में पक्षपात किया गया. इस कंपनी को 1256 करोड़ रुपये का ठेका दिया गया जबकि इन अस्पतालों को बनाने में अनुमानित लागत 1216 करोड़ रुपये थी. ये भी ठेका बिना दिल्ली सरकार की अनुमति के एक ही दिन में दे दिया गया.


मनोज तिवारी ने अपनी शिकायत में कहा है कि दिल्ली सरकार के तत्कालीन पीडब्ल्यूडी मंत्री सत्येन्द्र जैन, पीडब्ल्यूडी विभाग के इंजीनियर इन चीफ शशिकांत , पीडब्ल्यूडी विभाग के चीफ इंजीनियर संजीव रस्तोगी की भूमिका की जांच हो. शिकायत में कहा गया है कि शशिकांत ने अपने रिटायर होने की तिथि 31 अगस्त को अस्थायी अस्पताल के निर्माण के लिए सैम बिल्डवेल के नाम से 1256 करोड़ रुपये के तीन टेंडर स्वीकृत किए. इन अस्पतालों की टेंडर राशि को संजीव रस्तोगी ने यह कहकर बढ़ा दिया कि स्ट्रक्चरल ट्यूब की कीमत 79 हजार रुपये प्रति टन हो गया है जबकि इसकी कीमत 52,625 रुपये प्रति टन थी.

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