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दिल्ली के अस्पताल में दाखिल है मासूम, मां रोजाना 1 हजार किमी दूर लेह से भेजती है दूध

कहते हैं मां-बाप अपने बच्चे पर कोई आंच नहीं आने देते, और अगर उनके बच्चे पर कोई संकट आ जाए तो वो दुनिया की किसी भी ताकत से टकरा जाने की हिम्मत रखते हैं. ऐसी ही मां और एक पिता संघर्ष अपने बच्चे को मां का दूध पिलाने के लिए कैसे संघर्ष कर रहे हैं. पढ़े पूरी रिपोर्ट....

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Published : Jul 18, 2020, 8:02 PM IST

Updated : Jul 19, 2020, 3:33 PM IST

mother sends her milk daily from Leh to Delhi for his child admitted in hospital
दिल्ली के अस्पताल में दाखिल है मासूम, मां रोजाना 1 हजार किमी दूर लेह से भेजती है दूध

नई दिल्ली: क्या आपने कभी सुना है कि किसी बच्चे के लिये मां का दूध रोज़ाना 1 हज़ार किलोमीटर दूर पंहुचाया जाता है. शायद नहीं सुना होगा. हालांकि बच्चे को पोषण देने के लिए दिल्ली के एक निजी अस्पताल में भर्ती नवजात शिशु के लिये रोज़ाना लेह से दिल्ली मां का दूध फ़्लाइट के ज़रिये पंहुचाया जा रहा है. इसके लिए मां-बाप मिलकर काम कर रहे हैं

मासूम बच्चे के लिये रोज़ाना लेह से दिल्ली आता हे मां का दूध

सच्ची कहानी

सुनने में थोड़ी हैरानी ज़रूर होती है लेकिन ये कहानी सच है. ये एक पिता के संघर्ष की कहानी है. जिसने कोरोना महामारी की वजह से चल रही कठिन परिस्थितियों के बावजूद अपने बच्चे के लिये कई किलोमीटर दूर तक मां का दूध पंहुचाने का काम किया. साथ ही उस मां के त्याग और बलिदान की कहानी है जो रोजाना ज़हमत कर लेह एयरपोर्ट तक दूध पहुंचवाती है और फिर दिल्ली पहुंचने तक फ़ोन कर पूछती रहती है.

कैसे पैदा हुए हालात

दरअसल, जिकमत लेह लद्दाख के रहने वाले है. महीने भर पहले लेह में उनको एक बेटा हुआ, जिसका अभी तक नाम भी नहीं रखा गया है. पैदा होते ही इस बच्चे में डॉक्टरों को कोई परेशानी नज़र आई. जिसके बाद डॉक्टरों ने इसे दिल्ली इलाज के लिये ले जाने को कहा. रिश्तेदारों की मदद से बच्चा दिल्ली पंहुच गया, लेकिन बच्चे के साथ मां को दिल्ली लाना मुश्किल था. वजह थी सिजेरियन डिलीवरी. बावजूद इसके बच्चे को दिल्ली लाया गया.

क्या कहते हैं डॉक्टर

डॉक्टरों का कहना है कि बच्चे की सांस की नली और भोजन की नली दोनों आपस में जुड़ी हुई थीं, जिसके लिए जन्म के फौरन बाद सर्जरी बेहद जरूरी थी. दिल्ली आते ही पहले बच्चे की सर्जरी की गई, लेकिन सर्जरी के बाद भी फ़ूड पाइप में लीकेज जैसी स्थिति बनी रही. ऐसे में इसको ठीक होने तक बच्चे को दिल्ली के शालीमार बाग के मैक्स हॉस्पिटल अस्पताल में ही रखना जरूरी था. इस दौरान बच्चा जल्द स्वस्थ हो इसके लिए बच्चे को रोज़ाना मां के दूध की ज़रूरत भी काफ़ी ज़्यादा होती है. जो तब इस केस में बिल्कुल भी मुमकिन नज़र नहीं आ रहा थी.

मां-बाप कर रहे संघर्ष

अब यहां से पिता का संघर्ष शुरू होता है. बच्चे के पिता जिकमत को जब पता चला तो उन्होंने अपने दोस्तों की मदद से बच्चे की मां का दूध लेह से दिल्ली तक पंहुचाने की ठान ली. रोज सुबह बच्चे के पिता दिल्ली एयरपोर्ट पर लेह से आने वाली फ्लाइट की प्रतीक्षा करते हैं. लेह एयरपोर्ट पर बच्चे के पिता के दोस्त काम करते हैं. वह रोजाना एयरलाइंस के कर्मचारियों की मदद से बच्चे के लिए मां का दूध लेह से दिल्ली पहुंचवाते हैं. ठीक 1 घंटे बाद पिता दिल्ली एयरपोर्ट से दूध की सप्लाई लेकर तेजी से अस्पताल पहुंच जाते हैं. जिसके बाद बच्चे को मां का दूध पिलाया जाता है. इस दौरान इस बात का ख़ास ध्यान रखा जाता है कि दूध को अच्छे से स्टोर करके लाया जाए ताकि वो ख़राब ना हो. इसके लिये बच्चे के पिता एक बॉक्स साथ लेकर जाते हैं और लेह से एक बॉक्स में आये दूध को उस बॉक्स में रखकर वापस अस्पताल पंहुचते है. इस दौरान बच्चे की मां भी रोजाना 6 घंटे लगाकर अपने मासूम के लिए दूध स्टोर करती हैं.

जल्द ठीक होने की उम्मीद

एयरलाइंस के कर्मचारी, दिल्ली के अस्पताल के डॉक्टर, बच्चे के माता-पिता और कई अनजान मुसाफिर इस बच्चे के लिए दिन-रात मेहनत कर रहे हैं. डॉक्टरों को उम्मीद है कि अगले एक हफ्ते में बच्चे को डिस्चार्ज कर उसकी मां के पास लेह भेजा जा सकता है.

नई दिल्ली: क्या आपने कभी सुना है कि किसी बच्चे के लिये मां का दूध रोज़ाना 1 हज़ार किलोमीटर दूर पंहुचाया जाता है. शायद नहीं सुना होगा. हालांकि बच्चे को पोषण देने के लिए दिल्ली के एक निजी अस्पताल में भर्ती नवजात शिशु के लिये रोज़ाना लेह से दिल्ली मां का दूध फ़्लाइट के ज़रिये पंहुचाया जा रहा है. इसके लिए मां-बाप मिलकर काम कर रहे हैं

मासूम बच्चे के लिये रोज़ाना लेह से दिल्ली आता हे मां का दूध

सच्ची कहानी

सुनने में थोड़ी हैरानी ज़रूर होती है लेकिन ये कहानी सच है. ये एक पिता के संघर्ष की कहानी है. जिसने कोरोना महामारी की वजह से चल रही कठिन परिस्थितियों के बावजूद अपने बच्चे के लिये कई किलोमीटर दूर तक मां का दूध पंहुचाने का काम किया. साथ ही उस मां के त्याग और बलिदान की कहानी है जो रोजाना ज़हमत कर लेह एयरपोर्ट तक दूध पहुंचवाती है और फिर दिल्ली पहुंचने तक फ़ोन कर पूछती रहती है.

कैसे पैदा हुए हालात

दरअसल, जिकमत लेह लद्दाख के रहने वाले है. महीने भर पहले लेह में उनको एक बेटा हुआ, जिसका अभी तक नाम भी नहीं रखा गया है. पैदा होते ही इस बच्चे में डॉक्टरों को कोई परेशानी नज़र आई. जिसके बाद डॉक्टरों ने इसे दिल्ली इलाज के लिये ले जाने को कहा. रिश्तेदारों की मदद से बच्चा दिल्ली पंहुच गया, लेकिन बच्चे के साथ मां को दिल्ली लाना मुश्किल था. वजह थी सिजेरियन डिलीवरी. बावजूद इसके बच्चे को दिल्ली लाया गया.

क्या कहते हैं डॉक्टर

डॉक्टरों का कहना है कि बच्चे की सांस की नली और भोजन की नली दोनों आपस में जुड़ी हुई थीं, जिसके लिए जन्म के फौरन बाद सर्जरी बेहद जरूरी थी. दिल्ली आते ही पहले बच्चे की सर्जरी की गई, लेकिन सर्जरी के बाद भी फ़ूड पाइप में लीकेज जैसी स्थिति बनी रही. ऐसे में इसको ठीक होने तक बच्चे को दिल्ली के शालीमार बाग के मैक्स हॉस्पिटल अस्पताल में ही रखना जरूरी था. इस दौरान बच्चा जल्द स्वस्थ हो इसके लिए बच्चे को रोज़ाना मां के दूध की ज़रूरत भी काफ़ी ज़्यादा होती है. जो तब इस केस में बिल्कुल भी मुमकिन नज़र नहीं आ रहा थी.

मां-बाप कर रहे संघर्ष

अब यहां से पिता का संघर्ष शुरू होता है. बच्चे के पिता जिकमत को जब पता चला तो उन्होंने अपने दोस्तों की मदद से बच्चे की मां का दूध लेह से दिल्ली तक पंहुचाने की ठान ली. रोज सुबह बच्चे के पिता दिल्ली एयरपोर्ट पर लेह से आने वाली फ्लाइट की प्रतीक्षा करते हैं. लेह एयरपोर्ट पर बच्चे के पिता के दोस्त काम करते हैं. वह रोजाना एयरलाइंस के कर्मचारियों की मदद से बच्चे के लिए मां का दूध लेह से दिल्ली पहुंचवाते हैं. ठीक 1 घंटे बाद पिता दिल्ली एयरपोर्ट से दूध की सप्लाई लेकर तेजी से अस्पताल पहुंच जाते हैं. जिसके बाद बच्चे को मां का दूध पिलाया जाता है. इस दौरान इस बात का ख़ास ध्यान रखा जाता है कि दूध को अच्छे से स्टोर करके लाया जाए ताकि वो ख़राब ना हो. इसके लिये बच्चे के पिता एक बॉक्स साथ लेकर जाते हैं और लेह से एक बॉक्स में आये दूध को उस बॉक्स में रखकर वापस अस्पताल पंहुचते है. इस दौरान बच्चे की मां भी रोजाना 6 घंटे लगाकर अपने मासूम के लिए दूध स्टोर करती हैं.

जल्द ठीक होने की उम्मीद

एयरलाइंस के कर्मचारी, दिल्ली के अस्पताल के डॉक्टर, बच्चे के माता-पिता और कई अनजान मुसाफिर इस बच्चे के लिए दिन-रात मेहनत कर रहे हैं. डॉक्टरों को उम्मीद है कि अगले एक हफ्ते में बच्चे को डिस्चार्ज कर उसकी मां के पास लेह भेजा जा सकता है.

Last Updated : Jul 19, 2020, 3:33 PM IST
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