नई दिल्ली: राजधानी में दिवाली पर पटाखे चलाने पर प्रतिबंध होने के बावजूद जमकर आतिशबाजी हुई. इससे कुछ दुर्घटनाएं भी सामने आई हैं. पटाखों से जलने की वजह से 100 से ज्यादा लोग घायल होकर अस्पताल पहुंचे, जिनमें से कुछ लोगों को भर्ती भी करना पड़ा. वहीं, अधिकतर लोगों को प्राथमिक इलाज के बाद घर भेज दिया गया. इन घायलों में बच्चे और बड़े सभी शामिल रहे.
लोकनायक अस्पताल पहुंचे मरीज: लोकनायक अस्पताल में एक्सीडेंट एंड इमरजेंसी विभाग की चिकित्सा उपाधीक्षक ऋतु सक्सेना ने बताया कि पटाखे से जलने वालों में चार से ज्यादा मरीजों को अधिक जलने की वजह से अस्पताल में भर्ती करना पड़ा. बाकी मरीजों को प्राथमिक इलाज के बाद छुट्टी दे दी गई. 12 नवंबर की रात को पटाखे से जलने के कारण लोकनायक अस्पताल में 11 मरीज पहुंचे.
वहीं, सफदरजंग अस्पताल से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार यहां पर 11 नवंबर को छोटी दिवाली वाले दिन पटाखे से जलने के कारण ओपीडी में कुल नौ मरीज पहुंचे. इनमें से सात पुरुष दो महिलाएं शामिल हैं. इनमें एक वयस्क और बाकी आठ बच्चे थे. इसके अलावा अस्पताल में 12 नवंबर को दिवाली वाले दिन 77 मरीज पहुंचे. इसके अलावा इमरजेंसी में भी 12 मरीज पहुंचे, जिन्हें भर्ती करना पड़ा. इस तरह सफदरजंग अस्पताल में दिवाली वाले दिन कुल 89 मरीज पहुंचे. इनमें 83 मरीज दिल्ली के और छह मरीज दिल्ली से बाहर के थे. अन्य अस्पतालों में भी कुछ मरीज पहुंचे, जिसकी वजह से दिल्ली में पटाखे से जलने के 100 से ज्यादा मामले दर्ज किए गए.
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डिजास्टर वार्ड किया गया तैयार: सफदरजंग अस्पताल में दिवाली पर बर्न वार्ड के अलावा भी 20 बेड पटाखे से जलने वाले मरीजों को ध्यान में रखते हुए आरक्षित रखे गए थे. इसके अलावा सभी डॉक्टर और नर्स की ड्यूटी दिवाली पर 24 घंटे रखी गई थी. दिवाली पर पूरी क्षमता के साथ अस्पताल में 24 घंटे सेवाएं चालू रहीं. इसके अलावा इमरजेंसी में चार काउंटर अलग से चार काउंटर बनाए गए थे, जिससे इमरजेंसी में आने वाले मरीजों को भर्ती करने में दिक्कत न हो.
साथ ही दिल्ली सरकार के सबसे बड़े अस्पताल लोकनायक में भी 70 बेड का डिजास्टर वार्ड तैयार रखा गया था. वार्ड में जले हुए मरीज के इलाज के लिए सभी आवश्यक सामान की व्यवस्था की गई थी. बर्न और प्लास्टिक सर्जरी विभाग में भी दिवाली पर आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए अतिरिक्त स्टाफ की तैनाती की गई थी. इसके अलावा नगर निगम के हिंदू राव अस्पताल, स्वामी दयानंद हॉस्पिटल और केंद्र सरकार के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में भी पटाखे से जलने वाले मरीजों को ध्यान में रखते हुए बेड आरक्षित किए गए थे.
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