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एम जे अकबर का मानहानि केस वापस विशाल पाहूजा की कोर्ट में भेजा गया

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Published : Oct 22, 2020, 6:40 PM IST

पत्रकार प्रिया रमानी के खिलाफ एमजे अकबर की ओर से दायर मानहानि के मामले में आज दिल्ली की राऊज एवेन्यू कोर्ट में सुनवाई हुई, जहां मामले को डिस्ट्रिक्ट एंड सेशंस जज सुजाता कोहली ने एडिशनल चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट विशाल पाहूजा के पास वापस भेज दिया.

mj akbar defamation case sent back to vishal pahuja court
राऊज एवेन्यू कोर्ट

नई दिल्लीः राऊज एवेन्यू कोर्ट ने पत्रकार प्रिया रमानी के खिलाफ एमजे अकबर की ओर से दायर मानहानि के मामले को एडिशनल चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट विशाल पाहूजा की कोर्ट में वापस भेज दिया है. डिस्ट्रिक्ट एंड सेशंस जज सुजाता कोहली ने यह आदेश दिया. इस मामले पर अगली सुनवाई 2 नवंबर को होगी.

एमजे अकबर का मानहानि केस वापस विशाल पाहूजा की कोर्ट में भेजा गया

एमजे अकबर की ओर से दलीलें बाकी

पिछले 13 अक्टूबर को एडिशनल चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट विशाल पाहूजा ने कहा था कि चूंकि उनकी कोर्ट केवल सांसदों और विधायकों से संबंधित केसों की ही सुनवाई कर सकती है, इसलिए इस मामले को दूसरी कोर्ट में शिफ्ट किया जाए. उसके बाद इस मामले को डिस्ट्रिक्ट एंड सेशंस जज सुजाता कोहली के पास फैसला लेने के लिए भेज दिया गया. इस मामले में एमजे अकबर की ओर से अभी दलीलें पेश की जानी बाकी हैं. प्रिया रमानी की ओर से वकील रेबेका जॉन ने अपनी दलीलें खत्म कर लीं है.

'प्रिया रमानी के ट्वीट् मानहानि वाले नहीं'

पिछले 19 सितंबर को रेबेका जॉन ने कहा था कि लोकतंत्र में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता जरूरी है और प्रिया रमानी उसका एक छोटा हिस्सा भर हैं. उन्होंने कहा था कि एमजे अकबर की ओर से ये कहा जाना सही नहीं है कि प्रिया रमानी के ट्वीट मानहानि वाले हैं. इसका कोई कानूनी आधार नहीं है. भारतीय दंड संहिता की धारा 499 और 500 के मानदंडों के तहत मानहानि की कोई संभावना नहीं है. उन्होंने कहा था कि एमजे अकबर की वकील गीता लूथरा ने जिन फैसलों का उदाहरण दिया है वे दीवानी मानहानि से जुड़े हैं न कि आपराधिक मानहानि के.

'मी-टू मूवमेंट ने एक सुरक्षित प्लेटफॉर्म दिया'

रेबेका जॉन ने कहा था कि एमजे अकबर का कहना है कि प्रिया रमानी ने 20 साल तक कुछ नहीं कहा, लेकिन प्रिया रमानी ने उस समय भी कहा और वो अभी भी है. मी-टू मूवमेंट ने प्रिया रमानी को एक सुरक्षित प्लेटफॉर्म दिया. गजाला वहाब ने भी अपने बयान में कहा है कि एशियन एज में यौन प्रताड़ना पर कार्रवाई का कोई मेकानिज्म नहीं था. विशाखा गाइडलाइन तो 1997 में आया. प्रिया रमानी ने अपनी चुप्पी की वजह को विस्तार से बताया है, उस पर कोर्ट गौर कर सकता है.

'आपराधिक मानहानि का केस नहीं बनता'

रेबेका जॉन ने कहा था कि एमजे अकबर की ओर से कहा गया कि वे कठिन मेहनत करते थे और उनकी छवि को खराब करने की कोशिश की गई. उन्होंने कहा था कि कठिन मेहनत करना केवल एमजे अकबर का अकेला काम नहीं था. मिलने से पहले प्रिया रमानी एक पत्रकार के रूप में एमजे अकबर की प्रशंसा करती थी लेकिन उनका रमानी और दूसरी महिलाओं के साथ व्यवहार उलटा था. रेबेका जॉन ने कहा था कि कुल मिलाकर प्रिया रमानी के खिलाफ आपराधिक मानहानि का केस नहीं बनता है.

अक्टूबर 2018 में दायर किया था केस

एमजे अकबर ने 15 अक्टूबर 2018 को प्रिया रमानी के खिलाफ आपराधिक मानहानि का मुकदमा दायर किया था. उन्होंने प्रिया रमानी द्वारा अपने खिलाफ यौन प्रताड़ना का आरोप लगाने के बाद ये आपराधिक मानहानि का मुकदमा दर्ज कराया है. 18 अक्टूबर 2018 को कोर्ट ने एमजे अकबर की आपराधिक मानहानि की याचिका पर संज्ञान लिया था.

25 फरवरी 2019 को कोर्ट ने पूर्व केंद्रीय मंत्री और पत्रकार एमजे अकबर द्वारा दायर आपराधिक मानहानि के मामले में पत्रकार प्रिया रमानी को जमानत दी थी. कोर्ट ने प्रिया रमानी को दस हजार रुपये के निजी मुचलके पर जमानत दी थी. कोर्ट ने 10 अप्रैल 2019 को प्रिया रमानी के खिलाफ आरोप तय किए थे. कोर्ट ने प्रिया रमानी को कोर्ट में व्यक्तिगत रूप से पेश होने की स्थाई छूट दी थी.

नई दिल्लीः राऊज एवेन्यू कोर्ट ने पत्रकार प्रिया रमानी के खिलाफ एमजे अकबर की ओर से दायर मानहानि के मामले को एडिशनल चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट विशाल पाहूजा की कोर्ट में वापस भेज दिया है. डिस्ट्रिक्ट एंड सेशंस जज सुजाता कोहली ने यह आदेश दिया. इस मामले पर अगली सुनवाई 2 नवंबर को होगी.

एमजे अकबर का मानहानि केस वापस विशाल पाहूजा की कोर्ट में भेजा गया

एमजे अकबर की ओर से दलीलें बाकी

पिछले 13 अक्टूबर को एडिशनल चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट विशाल पाहूजा ने कहा था कि चूंकि उनकी कोर्ट केवल सांसदों और विधायकों से संबंधित केसों की ही सुनवाई कर सकती है, इसलिए इस मामले को दूसरी कोर्ट में शिफ्ट किया जाए. उसके बाद इस मामले को डिस्ट्रिक्ट एंड सेशंस जज सुजाता कोहली के पास फैसला लेने के लिए भेज दिया गया. इस मामले में एमजे अकबर की ओर से अभी दलीलें पेश की जानी बाकी हैं. प्रिया रमानी की ओर से वकील रेबेका जॉन ने अपनी दलीलें खत्म कर लीं है.

'प्रिया रमानी के ट्वीट् मानहानि वाले नहीं'

पिछले 19 सितंबर को रेबेका जॉन ने कहा था कि लोकतंत्र में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता जरूरी है और प्रिया रमानी उसका एक छोटा हिस्सा भर हैं. उन्होंने कहा था कि एमजे अकबर की ओर से ये कहा जाना सही नहीं है कि प्रिया रमानी के ट्वीट मानहानि वाले हैं. इसका कोई कानूनी आधार नहीं है. भारतीय दंड संहिता की धारा 499 और 500 के मानदंडों के तहत मानहानि की कोई संभावना नहीं है. उन्होंने कहा था कि एमजे अकबर की वकील गीता लूथरा ने जिन फैसलों का उदाहरण दिया है वे दीवानी मानहानि से जुड़े हैं न कि आपराधिक मानहानि के.

'मी-टू मूवमेंट ने एक सुरक्षित प्लेटफॉर्म दिया'

रेबेका जॉन ने कहा था कि एमजे अकबर का कहना है कि प्रिया रमानी ने 20 साल तक कुछ नहीं कहा, लेकिन प्रिया रमानी ने उस समय भी कहा और वो अभी भी है. मी-टू मूवमेंट ने प्रिया रमानी को एक सुरक्षित प्लेटफॉर्म दिया. गजाला वहाब ने भी अपने बयान में कहा है कि एशियन एज में यौन प्रताड़ना पर कार्रवाई का कोई मेकानिज्म नहीं था. विशाखा गाइडलाइन तो 1997 में आया. प्रिया रमानी ने अपनी चुप्पी की वजह को विस्तार से बताया है, उस पर कोर्ट गौर कर सकता है.

'आपराधिक मानहानि का केस नहीं बनता'

रेबेका जॉन ने कहा था कि एमजे अकबर की ओर से कहा गया कि वे कठिन मेहनत करते थे और उनकी छवि को खराब करने की कोशिश की गई. उन्होंने कहा था कि कठिन मेहनत करना केवल एमजे अकबर का अकेला काम नहीं था. मिलने से पहले प्रिया रमानी एक पत्रकार के रूप में एमजे अकबर की प्रशंसा करती थी लेकिन उनका रमानी और दूसरी महिलाओं के साथ व्यवहार उलटा था. रेबेका जॉन ने कहा था कि कुल मिलाकर प्रिया रमानी के खिलाफ आपराधिक मानहानि का केस नहीं बनता है.

अक्टूबर 2018 में दायर किया था केस

एमजे अकबर ने 15 अक्टूबर 2018 को प्रिया रमानी के खिलाफ आपराधिक मानहानि का मुकदमा दायर किया था. उन्होंने प्रिया रमानी द्वारा अपने खिलाफ यौन प्रताड़ना का आरोप लगाने के बाद ये आपराधिक मानहानि का मुकदमा दर्ज कराया है. 18 अक्टूबर 2018 को कोर्ट ने एमजे अकबर की आपराधिक मानहानि की याचिका पर संज्ञान लिया था.

25 फरवरी 2019 को कोर्ट ने पूर्व केंद्रीय मंत्री और पत्रकार एमजे अकबर द्वारा दायर आपराधिक मानहानि के मामले में पत्रकार प्रिया रमानी को जमानत दी थी. कोर्ट ने प्रिया रमानी को दस हजार रुपये के निजी मुचलके पर जमानत दी थी. कोर्ट ने 10 अप्रैल 2019 को प्रिया रमानी के खिलाफ आरोप तय किए थे. कोर्ट ने प्रिया रमानी को कोर्ट में व्यक्तिगत रूप से पेश होने की स्थाई छूट दी थी.

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