नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट में डीएमआरसी (DMRC In Delhi High Court) ने अपना जवाब दाखिल करते हुए कोर्ट को बताया कि वह 10 नवंबर को केंद्र सरकार व दिल्ली सरकार के साथ बैठक कर कर्ज वापस करने का रास्ता तलाश करेगी. इससे पहले 10 अक्टूबर को हुई सुनवाई में दिल्ली हाईकोर्ट ने डीएमआरसी को कर्ज वापसी के लिए अध्यक्ष समय देते हुए 31 अक्टूबर तक का समय दिया था. दिल्ली हाईकोर्ट रिलायंस इंफ्रस्ट्रक्चर की दिल्ली एयरपोर्ट मेट्रो एक्सप्रेस प्राइवेट लिमिटेड (Delhi Airport Metro Express Private Limited) के 4500 करोड़ रुपए भुगतान के मामले की सुनवाई कर रहा था.
भारत के महान्यायवादी ( सॉलिसिटर जनरल) आर. वेंकटरमानी ने न्यायमूर्ति वी. कामेश्वर राव की पीठ को अवगत कराया कि डीएएमईपीएल को मध्यस्थता पुरस्कार का भुगतान करने के लिए ऋण जुटाने के खातिर डीएमआरसी कर्ज जाल में फंस जाएगा. जिससे इसका संचालन प्रभावित होने की आशंका है और लोगों के लिए समस्या पैदा हो सकती है. एजीआई वेंकटरमानी ने अदालत के समक्ष कहा कि यदि डीएमआरसी के खिलाफ कोई प्रतिकूल आदेश पारित किया जाता है तो लाखों यात्रियों को नुकसान होगा. वैकल्पिक उपायों की मांग करते हुए एजीआई ने दिल्ली हाईकोर्ट से यह भी कहा कि उसने केंद्र और दिल्ली सरकार से डीएएमईपीएल को शेष भुगतान करने के लिए धन के संबंध में अनुरोध किया था. डीएमआरसी ने केंद्र और दिल्ली सरकार से 3,500 करोड़ रुपये की मांग की है.
ये भी पढ़ें : दिल्ली की सरकारी जमीन को 80 लाख में बेचकर हुआ था फरार, हुआ गिरफ्तार
डीएमआरसी का कहना है कि उसने डीएएमईपीएल को 7,010.08 करोड़ रुपये में से 2,599.17 करोड़ रुपये का भुगतान किया है, जो 6 सितंबर तक अनिल अंबानी समूह की फर्म का बकाया है. दूसरी ओर, डीएएमईपीएल ने तर्क दिया कि हर बार दिल्ली मेट्रो अलग-अलग राय और अस्पष्ट कारणों वाले हलफनामे दाखिल कर रहा है और अब कई महीने बीत चुके हैं. डीएएमईपीएल के वकील ने पूछा कि सवाल उठता है कि क्या उन्हें पैसे का भुगतान करना है या नहीं, क्या मध्यस्थ पुरस्कार के निष्पादन आदेश को निष्पादित किया जाएगा या नहीं. कोर्ट ने मामले को 18 नवंबर के लिए सूचीबद्ध किया है.
ये भी पढ़ें : दिल्ली में बिजनेसमैन दंपती की चाकू मारकर हत्या, नौकरानी पहुंची तो उसे भी मार डाला