नई दिल्ली: बीजेपी दिल्ली की वरिष्ठ नेता और नई दिल्ली से सांसद मीनाक्षी लेखी (BJP MP Meenakshi Lekhi) ने गुरुवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर दिल्ली और बंगाल की राज्य सरकारों के ऊपर जमकर निशाना साधा. कॉन्फ्रेंस से मीनाक्षी लेखी (Meenakshi Lekhi) ने स्पष्ट तौर पर कहा कि दिल्ली सरकार कोरोना काल में अपनी जिम्मेदारी निभाने में पूरी तरह से फेल साबित हुई है, जिसको लेकर अब सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने भी दिल्ली सरकार के साथ-साथ बंगाल की राज्य सरकार को भी जमकर फटकार लगाई है.
दरअसल इन दोनों ही सरकारों ने अपने-अपने राज्यों में कोरोना काल के दौरान कोरोना की वजह से अनाथ हुए बच्चों का डाटा अभी तक न तो अपलोड किया है और न ही उसे भली-भांति मेंटेन किया है.
दरअसल पीएम केयर योजना (PM Care Scheme) के तहत कोरोना की वजह से अनाथ हुए बच्चों तक केंद्र सरकार के द्वारा आर्थिक सहायता पहुंचाई जानी है, जिसके लिए डाटा राज्य सरकारों को केंद्र सरकार के पास बच्चों का डाटा सबमिट करना था, लेकिन अभी तक यह डाटा दिल्ली और बंगाल की राज्य सरकार ने सबमिट नहीं कराया है.
ये भी पढ़ें- RJD सांसद के खिलाफ ED की कार्रवाई के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई कल
कोरोना की वजह से अनाथ हुए बच्चों के भविष्य को एक बेहतर भविष्य में तब्दील करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा लगातार कदम उठाए जा रहे हैं. ऐसे में इस डेटा की सहायता से केंद्र सरकार अधिकारियों को द्वारा इन बच्चों तक पहुंचेगी और उन्हें हर संभव मदद उपलब्ध कराएगी. ताकि यह बच्चे किसी गलत राह पर चलकर अपने भविष्य को उज्जवल बना सकें.
बेहद अफसोस और दुख की बात तो यह है कि दिल्ली और बंगाल की सरकार है जो अपने आप को जनता की हितैषी सरकार बताते हैं वह असल में है नहीं. जब बाकी सभी राज्यों का डाटा उपलब्ध हो सकता है तो दिल्ली जैसे छोटे शहर का क्यों नहीं.
ये भी पढ़ें- CM केजरीवाल ने ऑक्सीजन स्टोरेज प्लांट का किया दौरा
मीनाक्षी लेखी ने केजरीवाल सरकार (Kejriwal Government) द्वारा वन नेशन वन राशन कार्ड (One nation one ration card) को लागू न करने की आलोचना करते हुए कहा कि दिल्ली सरकार यह बखूबी जानती है कि दिल्ली प्रवासियों का शहर है और यहां राशन कार्ड और निवास के मुद्दे हमेशा बने रहते हैं. केजरीवाल घर-घर राशन न पहुंचने की योजना के लिए केंद्र सरकार को कोसते हैं, लेकिन केंद्र की योजना को लागू न करने के लिए चुप्पी साध लेते हैं. जिस तरह से राज्य सरकारें और विपक्ष वैक्सीन और अनाथ बच्चों को लेकर राजनीति कर रही थी उसकी सच्चाई सबके सामने आ चुकी है.
केजरीवाल हर समय जवाबदेही से बचते हैं और वह चाहे राशन का मुद्दा हो या फिर अनाथ बच्चों का. वे विज्ञापन जैसे मुद्दे को उभारते हैं, लेकिन जन एवं बाल कल्याण के किसी भी कार्य में उनकी रुचि नहीं दिखती है. विज्ञापन के दम पर जिंदा केजरीवाल सरकार ने महामारी के दौरान भी स्वास्थ्य विभाग के बजट को विज्ञापनों में खर्च कर दिया. केजरीवाल सरकार जनकल्याण मुद्दों पर जवाबदेही से बचती रहती है और गैर जरूरी मुद्दों को विज्ञापन के माध्यम से उछालती रहती है.