नई दिल्लीः दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के खिलाफ कथित आबकारी नीति घोटाला मामले में सीबीआई द्वारा दाखिल की गई चार्जशीट में लगाए गए आरोपों और पेश किए गए सबूतों को झूठा साबित करना आसान नहीं होगा. सीबीआई द्वारा 25 अप्रैल को राउज एवेन्यू कोर्ट में दाखिल की गई सप्लीमेंट्री चार्जशीट में सिसोदिया के साथ ही तीन अन्य आरोपियों के नाम भी शामिल हैं. सीबीआई ने चार्जशीट में सिसोदिया के खिलाफ आईपीसी की धारा 201 (सबूतों को मिटाने) और पीओसी एक्ट के तहत कई आरोपों को शामिल किया है.
सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता एपी सिंह ने बताया कि कोर्ट में चार्जशीट दाखिला होने के बाद चार्जशीट की एक कॉपी आरोपियों को दी जाती है. इसके बाद आरोपियों से उनके खिलाफ लगाए आरोपों और सबूतों के आधार पर अपना पक्ष रखने के लिए कोर्ट समन करता है. फिर आरोपी के वकील चार्जशीट में लगाए गए आरोपों और कोर्ट में पेश किए गए सबूतों को गलत साबित करने के लिए अपनी दलीलें और सबूत पेश करेंगे. वहीं, सीबीआई की ओर से भी पेश किए गए सबूतों को सही साबित करने के लिए गवाहों की गवाही और सबूतों के लिए ठोस दस्तावेज पेश करने होंगे. इसके आधार पर कोर्ट आरोप तय करने पर निर्णय लेगा. अगर कोर्ट की नजर लगाए आरोप सबूत के आधार पर साबित होते हैं तो फिर कोर्ट आरोप तय करने की प्रक्रिया शुरू करेगा.
इस दौरान सिसोदिया के वकीलों और सीबीआई के वकीलों के बीच बहस होगी. फिर आरोप तय किए जाएंगे. इसके बाद कोर्ट सजा सुनाने की तारीख तय करेगा. अगर चार्जशीट में लगाए गए आरोपों को सीबीआई सबूतों के आधार पर साबित नहीं कर पती है और सिसोदिया के वकीलों द्वारा सारे आरोप झूठे साबित कर दिए जाते हैं तो कोर्ट द्वारा सिसोदिया को बरी कर दिया जाएगा. वहीं, कड़कड़डूमा कोर्ट में प्रैक्टिस कर रहे अधिवक्ता मनीष भदौरिया ने बताया कि चार्जशीट दाखिल होने के बाद अब मुख्य काम सिसोदिया के वकीलों और सीबीआई के वकीलों का रह गया है.
वकील चार्जशीट में लगाए गए आरोपों सही और गलत साबित करने के लिए तथ्यों और तर्कों के आधार पर बहस करेंगे. इसके अनुसार कोर्ट आगे के निर्णय लेगा. बता दें कि कोर्ट ने सीबीआई की सप्लीमेंट्री चार्जशीट पर संज्ञान के मामले में निर्णय लेने के लिए 12 मई की तारीख तय की है. इसके बाद सिसोदिया के वकीलों की ओर से सीबीआई के आरोपों और सबूतों के आधार पर अपना पक्ष रखा जाएगा.
चार्जशीट में हैं इन चार आरोपियों के नामः
आरोपी का नाम आरोपी का पद
- मनीष सिसोदिया-------- दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री
- अमनदीप सिंह ढल------ शराब कारोबारी, ब्रिंडको सेल्स का निदेशक
- अर्जुन पांडेय----------- इंडिया अहेड चैनल में सेल्स, मार्केटिंग और स्ट्रेटजी का अध्यक्ष
- बुचि बाबू गोरांटला--------साउथ ग्रुप एवं बीआरएस नेता के. कविता का ऑडिटर
चार्जशीट में लगाए गए हैं ये आरोपः
- नई आबकारी नीति को लागू करने को लेकर विशेषज्ञ समिति द्वारा की गई सिफारिशों को सिसोदिया की अध्यक्षता में मंत्रिसमूह का गठन करके खारिज किया गया.
- मंत्रिसमूह ने शराब कंपनियों को दिए जा रहे कमीशन को पांच प्रतिशत से बढ़ाकर 12 प्रतिशत करने का निर्णय लिया.
- आबकारी नीति को लेकर विधिक सलाह के लिए तैयार नोट को गायब कर दिया गया. लीगल नोट में कहा गया था कि पुरानी आबकारी नीति ठीक है और उसमें किसी भी तरह के बदलाव की जरूरत नहीं है.
- साउथ ग्रुप के कहने पर आबकारी नीति में 12 प्रतिशत कमीशन के नियम को जोड़ा गया.
- जब मंत्रिसमूह ने आबकारी नीति को फाइनल किया तो अंतिम समय में कई सारे नियमों को जोड़ दिया.
- कई सारी शिकायतों के बावजूद सिसोदिया के कहने पर साउथ ग्रुप को शराब के थोक कारोबार का लाइसेंस दिया गया.
- सबूतों को मिटाने के लिए बड़े स्तर पर मोबाइल फोन्स को नष्ट कर दिया गया.
- सीबीआई द्वारा कोर्ट को बताया गया है कि सिसोदिया के खिलाफ सक्षम प्राधिकारी की संस्तुति से ही अभियोग दर्ज किया गया है.