नई दिल्ली: राजधानी में एक तरफ जहां गैंगवार की घटनाएं बढ़ रही हैं तो दूसरी तरफ पुलिस इस पर काबू पाने के लिए भरसक प्रयास कर रही है. इसके लिए दिल्ली के कई कुख्यात बदमाशों पर मकोका के तहत एफआइआर दर्ज की गई है, जबकी कई बदमाशों पर मकोका लगाने की तैयारी है. इसके तहत एफआईआर होने पर आरोपी को जल्द जमानत नहीं मिलती और वह जेल में ही रहता है.
जानकारी के अनुसार बीते कुछ वर्षों से कुख्यात बदमाशों के खिलाफ दिल्ली पुलिस मकोका का इस्तेमाल कर रही है. बीते कुछ वर्षों में 30 से ज्यादा ऐसे अपराधियों पर मकोका लगाई गई है, जिन्होंने दिल्ली पुलिस की नाक में दम कर रखा था. यह ऐसे अपराधी हैं जो हत्या, जबरन उगाही, गैंगवार, अपहरण आदि संगीन वारदातों में आरोपी हैं. इसमें उन गैंग के लोग भी शामिल हैं जिन्होंने गैंगवार से दिल्ली में दहशत फैला रखी है.
मकोका के बावजूद जेल से कर रहे ऑपरेट
पुलिस ने बीते कुछ वर्षों में नीरज बवानिया, इरफान उर्फ छेनू, मंजीत महाल, प्रदीप सोलंकी सहित 30 अपराधियो पर मकोका लगाई है. फरार चल रहे गैंगस्टर नासिर पर भी जल्द मकोका लगाने की तैयारी चल रही है. लेकिन इसके बावजूद यह बदमाश जेल से ऑपरेट कर रहे हैं जो पुलिस के लिए बड़ी चिंता का विषय है. यह बदमाश जेल में बैठकर ही हत्या से लेकर जबरन उगाही तक की वारदातों को अपने गुर्गों से अंजाम दिलवा रहे हैं. पुलिस के लिए इनके नेटवर्क को तोड़ना अभी चुनौती बना हुआ है.
क्या है मकोका
संगठित तौर पर अपराध करने वाले गैंग के खिलाफ दिल्ली पुलिस मकोका (महाराष्ट्र कंट्रोल ऑफ आर्गनाइज्ड क्राइम एक्ट) का इस्तेमाल करती है. इसमें गिरफ्तार होने वाले शख्स के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल करने के लिए छह माह का समय मिलता है. वहीं आरोपी द्वारा अपराध से कमाई गई सभी संपत्ति को भी पुलिस अटैच कर देती है. अपराध साबित होने पर यह संपत्ति सरकार जब्त कर लेती है. दिल्ली पुलिस ने 30 से ज्यादा गैंगस्टर पर इसके तहत कार्रवाई की है.