नई दिल्ली: राजधानी में बाढ़ का पानी भरने के बाद डेंगू, चिकनगुनिया और मलेरिया के मामलों की संख्या बढ़ने लगी है. जून महीने की तुलना में जुलाई में दोगुनी तेजी से डेंगू के मामलों की संख्या बढ़ी है. सोमवार को नगर निगम द्वारा जारी की गई रिपोर्ट के अनुसार जून में डेंगू के 40 मामले सामने आए थे. लेकिन जुलाई महीने के 15 दिन में ही डेंगू के 41 मामले सामने आए हैं. इस साल अभी तक डेंगू के कुल 163 मामलों की पुष्टि हो चुकी है.
पिछले एक सप्ताह में ही डेंगू के 27 नए मरीज मिले हैं. इस तरीके से देखा जाए तो प्रतिदिन डेंगू के लगभग चार मरीज मिले हैं. हालांकि, स्थिति अभी नियंत्रण में है. डेंगू पीड़ित मरीजों को गंभीर संक्रमण नहीं है. इनमें से कुछ ही मरीज अस्पताल में हैं शेष ज्यादा दिक्कत न होने की वजह से घर पर रहकर ही अपना इलाज करवा रहे हैं.
इस साल अब तक मलेरिया के कुल 54 मामले
इसी तरह इस साल अब तक मलेरिया के भी कुल 54 मामले सामने आ चुके हैं. मलेरिया के मामलों में भी तेजी देखने को मिल रही है. जून में मलेरिया के 10 मरीज मिले थे जबकि जुलाई में अभी तक मलेरिया के 16 मरीज मिल चुके हैं. इस साल अभी तक चिकनगुनिया के कुल 14 मामलों की पुष्टि हुई है. जून महीने में चिकनगुनिया के छह मरीज मिले थे, जबकि जुलाई में अभी तक तीन मरीज मिले हैं.
डेंगू के अधिक संक्रमण को रोकने के लिए एक्टिव स्ट्रेन का लगाया जाएगा पता
दिल्ली में बाढ़ का पानी जमा होने से इस बार डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया के ज्यादा फैलने की आशंका है. डेंगू के मामले सामने आने भी लगे हैं. डॉक्टरों का कहना है कि डेंगू के नए आ रहे मामलों में एक्टिव स्ट्रेन का पता लगाने के लिए जीनोम सीक्वेंसिंग कराएंगे. स्ट्रेन के अनुसार मरीजों का इलाज करके डेंगू को गंभीर होने से रोका जा सकेगा.
दिल्ली सरकार के सबसे बड़े अस्पताल लोकनायक के चिकित्सा निदेशक डॉक्टर सुरेश कुमार ने बताया कि डेंगू के चार स्ट्रेन होते हैं. डेन-1, डेन-2, डेन-3 और डेन-4 . डॉक्टर सुरेश ने बताया कि अस्पताल में जीनोम सीक्वेंसिंग की सुविधा उपलब्ध है. इसके द्वारा हम अस्पताल में आने वाले डेंगू के नए मरीजों की जीनोम सीक्वेंसिंग शुरू करेंगे, जिससे स्ट्रेन का पता लगने के बाद मरीजों के इलाज के लिए आगे की रणनीति तैयार की जा सके. उन्होंने बताया कि डेंगू के डेन-1 और डेन-3 स्ट्रेन सामान्य होते हैं, जबकि डेन-2 और डेन-4 ज्यादा गंभीर संक्रमण फैलाते हैं, जिनसे मरीजों को ठीक होने में अधिक समय लगता है.