नई दिल्ली: दिल्ली नगर निगम चुनाव (Delhi Municipal Corporation Election) के लिए मतदान चार दिसंबर को होगा. इससे पहले विभिन्न दलों ने चुनाव प्रचार के लिए खूब पसीने बहाए. पॉलिटिक्स पूरा ऑप्टिक्स है, राजनीतिक दल और नेता इसी के इर्द-गिर्द आगे बढ़ते हैं. इस वर्ष एमसीडी चुनाव के लिए प्रचार-प्रसार में ऑप्टिक्स का खास ध्यान रखा गया. स्थानीय निकाय के चुनाव प्रत्याशी यूं तो लोगों की रोजमर्रा से संबंधित समस्याओं को दूर करने के वादे पर लड़ते रहे हैं, लेकिन इस बार राजनीतिक दलों ने कई मायनों में दिल्ली नगर निगम के चुनाव में राष्ट्रव्यापी मुद्दों का सहारा लिया.
एमसीडी के पूर्व निदेशक (जनसंपर्क) योगेंद्र मान बताते हैं कि दिल्ली की सबसे ऊंची इमारत सिविक सेंटर में निगम मुख्यालय की है. इस इमारत में बैठकर शासन करना चुने हुए प्रतिनिधि अपने आप में गर्व की बात समझते हैं. इसीलिए तो विधायक के टिकट से अधिक पार्षद के टिकट के लिए मारामारी होती है. जो पिछले दिनों राजनीतिक दलों द्वारा टिकट बंटवारे के बाद देखने को मिला था. एमसीडी की सत्ता में लगातार चौथी बार काबिज होने की कोशिश में जुटे बीजेपी के नेता इस बार चुनाव प्रचार में राष्ट्रहित की बात कर दिल्ली के मतदाताओं से वोट देने की अपील करते नजर आए.
जहां बीजेपी शासित सात राज्यों के मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री, मोदी सरकार की उपलब्धियां को बताते हुए वोट मांग रहे थे, वहीं आम आदमी पार्टी भी भ्रष्टाचार के मुद्दे तथा साफ सफाई की बात कर चुनाव प्रचार में दिल्ली की जनता से वोट देने की अपील करती दिखी. मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने निगम चुनाव में कई सभाएं कीं, जिनमें वह यह दोहराते रहे कि निगम में उनकी पार्टी जीती तो वह भ्रष्टाचार को खत्म कर देंगे.
बीते 8 सालों में दिल्ली के मुख्यमंत्री पहली बार निगम चुनाव से ठीक पहले गाजीपुर उचित लैंडफिल साइट और वहां कूड़े का पहाड़ देखने पहुंचे थे. उन्होंने यह जताने की कोशिश की कि सिर्फ आम आदमी पार्टी ही है, जो इसके खिलाफ एमसीडी चुनाव में उतरेगी और इस मुद्दे पर ही लोगों से वोट मांगने जाएगी. तो उधर, निगम की सत्ता पाने के लिए बीजेपी ने आम आदमी पार्टी की छवि जो लोगों के बीच में बनी थी, उसे जोरदार तरीके से तोड़ने की कोशिश में पूरे प्रचार के दौरान जुटी रही.
चुनाव प्रचार तब और अब
- चुनाव से ठीक पहले दिल्ली में कूड़े कचरे को लेकर आम आदमी पार्टी ने बीजेपी की छवि बिगाड़ने की कोशिश की तो बीजेपी ने भी आम आदमी पार्टी के भ्रष्टाचार और अन्य मुद्दों पर कथनी और करनी को बताने के लिए सीसीटीवी फुटेज, वायरल वीडियो, ऑडियो संदेश का खूब सहारा लिया. जोकि पिछले वर्षों में हुए चुनाव के दौरान इतने बड़े स्तर पर नहीं होता था. प्रत्याशियों को टिकट देने में पैसों का लेनदेन से लेकर तिहाड़ जेल में बंद सत्येंद्र जैन किस तरह अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर सुविधाएं ले रहे हैं, इन सबकी पोल खोल आप को टारगेट किया गया.
- बीते एक दशक की बात करें तो इससे पहले हुए दो नगर निगम चुनाव में प्रत्याशी व उनके समर्थन में पार्टी के बड़े नेता वार्ड में जाकर छोटी-छोटी सभाएं करते थे. प्रत्याशी सुबह और शाम वार्ड के तकरीबन हर घरों में जाकर लोगों से संपर्क कर वोट देने की अपील करता था. अब इसे कोरोना महामारी के बाद बदले माहौल कहें या सोशल मीडिया का बढ़ता दायरा, इस बार निगम चुनाव में घर-घर जाकर मतदाताओं से संपर्क करते हुए प्रत्याशी दिखाई नहीं दिए.
- अरविंद केजरीवाल, रवि किशन, मनोज तिवारी जैसे नेताओं का रिकॉर्डेड ऑडियो संदेश इन दिनों लोगों के मोबाइल पर खूब आ रहे हैं, जिसमें परिवर्तन की बात कर वोट मांगे जा रहे हैं.
- एमसीडी चुनाव के लिए आम आदमी पार्टी और बीजेपी एक दूसरे पर हमलावर है, तो वहीं बीजेपी से पहले निगम की सत्ता में 10 वर्षों तक काबिज रहे कांग्रेस के प्रत्याशी तो चुनाव लड़ रहे हैं, लेकिन पार्टी के बड़े नेता प्रदेश मुख्यालय से बाहर नहीं निकले. दिल्ली के अलग-अलग इलाकों में जमीन पर प्रत्याशी परिवार के संग ही वार्डों में लोगों से जनसंपर्क करने की कोशिश करते दिखाई दिए.
- सोशल मीडिया आज लोगों से जुड़ने का एक महत्वपूर्ण जरिया बन गया है. पिछले चुनावों में लोगों तक अपनी बात पहुंचाने के लिए इसका उतना इस्तेमाल नहीं हुआ, जितना इस बार किया जा रहा है. निगम के एकीकरण करने से दिल्ली वालों को क्या फायदा होगा, केंद्र सरकार ने ऐसा क्यों किया. दिल्ली म्युनिसिपल एक्ट 1957 में संशोधन कर दिल्ली वालों को जो बेहतर सुविधा देने की बात कही गई है. एसे संदेश सोशल मीडिया पर खूब वायरल होते दिखे.
- कांग्रेस के बड़े नेता जो दिल्ली के शीला दीक्षित सरकार में सिर्फ पदों पर काबिज थे, वह पार्टी के प्रत्याशियों के समर्थन में उनके क्षेत्र में भले ही नहीं उतरे लेकिन प्रदेश मुख्यालय में तकरीबन एक दर्जन बार से आकर उन्होंने शीला दीक्षित सरकार के कार्यकाल में जैसी दिल्ली थी, वैसे चमकती हुई दिल्ली दोबारा से बात करने की अपील की.
- निगम चुनाव के लिए वार्ड स्तर पर सभाएं होती थी. आम आदमी पार्टी ने इस बार विधानसभा चुनाव की तर्ज पर पार्टी के बड़े नेता चाहे केजरीवाल हो मनीष सिसोदिया या राघव चड्ढा, सभी ने दिल्ली के अलग-अलग वर्ग मसलन व्यापारी, आरडब्लूए, योग शिक्षकों, रेहड़ी पटरी वालों से संपर्क कर वोट देने की अपील की और उन्हें यह तक समझाया कि निगम में उनकी पार्टी को बहुमत मिला तो उनको क्या फायदा होगा. ऐसा पहले के चुनाव प्रचार में नहीं होता था.
- दिल्ली बीजेपी सोशल मीडिया टीम के द्वारा दिल्ली का लड़का, कार्टून क्रिएटिविटी, पोस्टर वॉर, यमराज चित्रगुप्त वीडियो समेत आधा दर्जन अलग-अलग छोटे-छोटे कैंपेन चलाकर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और दिल्ली सरकार पर हर रोज जमकर ना सिर्फ निशाना साधा जा रहा है. बल्कि व्यंगात्मक तरीके से तंज कसते हुए जनता के सामने केजरीवाल सरकार की कारगुजारियों को उजागर करते हुए अपनी बात भी रखी गई. अंत में बीजेपी सांसद मनोज तिवारी ने चुनाव प्रचार में भगवान राम की एंट्री भी करा दी. अयोध्या में बनने वाले राम मंदिर को ध्यान में रख पार्टी पक्ष में वोट देने की अपील की.
- सोशल मीडिया पर दिल्ली बीजेपी के द्वारा एमसीडी चुनाव के दौरान चलाए जा रहे इन सभी छोटे छोटे कैंपेन्स पर सोशल मीडिया टीम के प्रमुख सदस्य डॉ रोहित उपाध्याय ने बातचीत के दौरान बताया पार्टी हर वक्त एक्टिव रहती है सिर्फ 24 घंटे की बात नहीं है.एमसीडी में बीजेपी सरकार द्वारा किए गए कामों के बारे में लगातार अपने सोशल मीडिया कैंपेन के माध्यम से लोगो बता रहे हैं. दिल्ली के अंदर वर्तमान समय में लगभग ढाई से 3 करोड लोग ऐसे हैं जो सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव और स्मार्ट फोन और यूज कर रहे हैं जिसमें से लगभग पौने दो करोड़ लोगों तक सोशल मीडिया के माध्यम से अपनी बात पहुंचाने की कोशिश की है.
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