नई दिल्ली: दिल्ली नगर निगम मेयर चुनाव में तीन बार सदन की बैठक बुलाए जाने के बावजूद अब तक दिल्ली को मेयर नहीं मिल पाया है. ऐसे दिल्ली म्युनिसिपल कॉरपोरेशन एक्ट के तहत नए वित्त वर्ष में कॉरपोरेशन का खर्च चलाने के लिए अगले कुछ दिनों में एमसीडी का बजट विशेष अधिकारी के समक्ष पेश किया जाएगा. नियमानुसार एमसीडी बजट को 15 फरवरी तक मंजूरी देनी होती है.
दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) ने वर्ष 2023- 24 का जो बजट तैयार किया है, उसे पिछले सप्ताह एमसीडी के विशेष अधिकारी अश्विनी कुमार के सामने पेश किया गया था, लेकिन 6 फरवरी को होने वाले मेयर चुनाव को देखते हुए बजट को उस दिन मंजूरी नहीं दी गई थी. लेकिन अब जब मेयर का चुनाव तीसरी बार टल गया है तो दोबारा चुनाव कराने में कम से कम 15 से 20 दिन का समय लगेगा.
एमसीडी के जानकार जगदीश ममगाईं ने बताया कि बजट पर फाइनल मंजूरी 15 फरवरी तक देनी होती है. मेयर का चुनाव तीसरी बार भी टलने से अब केंद्र द्वारा नियुक्त निगम के विशेष अधिकारी के समक्ष बजट पेश किया जाएगा और उसे अंतिम स्वीकृति के लिए फिर उपराज्यपाल के पास भेजा जाएगा. एमसीडी के अधिकारी बताते हैं कि वर्ष 2023- 24 का कुल 16,023 करोड़ का बजट है. इसमें 14,804 करोड़ की आमदनी का अनुमान लगाया गया है. बजट में जो टैक्स का प्रावधान किया गया है उसे मंजूरी दी जाएगी.
स्वीकृति के चलते कई प्रोजेक्ट लटके
आम आदमी पार्टी और बीजेपी में पिछले एक महीने से घमासान जारी है. एमसीडी मेयर का चुनाव ना होने से पिछले एक साल से एक-दो नहीं बल्कि 20 से अधिक प्रोजेक्ट पेंडिंग है. एमसीडी ने पंजाबी बाग के भारत दर्शन पार्क में दूसरे फेज में एक और पार्क बनाने का प्लान बनाया है. दूसरे फेज में 304 टन स्क्रैप से 17 कलाकृतियों का निर्माण किया जाना है. इस तरह के कई प्रोजेक्ट कई महीनों से पेंडिंग है.
वहीं, दूसरी तरफ सफाई दुरुस्त करने के लिए एमसीडी के पास वर्तमान में 52 रोड स्वीपिंग मशीनें हैं. इन मशीनों से रोजाना 1,600 किलोमीटर रोड की सफाई होती है. एमसीडी को अभी 18 और रोड स्वीपिंग मशीन खरीदनी है, लेकिन मेयर का चुनाव ना होने से यह भी अभी पेंडिंग है. इसके अतिरिक्त एमसीडी के जितने भी बड़े अस्पताल हैं उन सभी में मैन पावर की कमी है और पर्याप्त संख्या में डॉक्टर, नर्स व लैब टेक्नीशियन के पद खाली हैं.
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एमसीडी का वर्ष 2023-24 का बजट (रुपये में)
आय अनुमान - 14,804 करोड़
खर्च अनुमान - 16,023 करोड़
शिक्षा पर खर्च- 2847.82 करोड़
सफाई पर खर्च - 4465.85 करोड़
पब्लिक वर्क और स्ट्रीट लाइट - 1820.28 करोड़
बागवानी पर खर्च - 545.80 करोड़
पब्लिक हेल्थ - 1719.49 करोड़
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