नई दिल्ली: दिल्ली नगर निगम में नेता प्रतिपक्ष एवं पूर्व महापौर राजा इकबाल सिंह ने दिल्ली नगर निगम में आम आदमी पार्टी के एक वर्ष के शासन पर प्रतिक्रिया व्यक्त की है. उन्होंने कहा कि आप पार्टी के शासन में महापौर एवं नेता सदन का पद केवल रबर स्टांप बन कर रह गया है. निगम से संबंधित सभी फैसले दिल्ली के मुख्यमंत्री ले रहे हैं. राजा इकबाल सिंह ने कहा कि आप पार्टी निगम एक्ट 1957 की अवहेलना करते हुए असंवैधानिक तरीके से निगम का कार्य चला रही है. निगम के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है जब आप पार्टी के घमंड एवं अज्ञान के चलते बिना स्थाई समिति एवं अन्य अनिवार्य समितियों के बिना निगम का कार्य चल रहा है. आप पार्टी ने निगम को दिल्ली सरकार का दोयम दर्जे का विभाग बना कर रख दिया है.
राजा इकबाल सिंह ने कहा कि आप पार्टी के निगम में एक वर्ष के शासन में निगम की तरफ से किए जाने वाले विकास कार्य रुक गए हैं और गलियों की मरम्मत जैसे छोटे-छोटे कार्य भी बंद पड़े हैं. आम आदमी पार्टी निगम में अनुबंध आधार पर कार्य कर रहे कर्मचारियों को पक्का करने की गारंटी देकर निगम की सत्ता पर काबिज हुई थी, लेकिन पक्का करना तो दूर अनुबंधित कर्मचारियों विशेषकर मालियों का अनुबंध का भी नवीकरण नहीं हुआ है, जिससे दिल्ली की कॉलोनियों के बाग बगीचे बदहाल हालत में पड़े हैं. राजा इकबाल सिंह ने कहा कि दिल्ली की शिक्षा मंत्री अपनी नाकामी छिपाने के लिए निगम विद्यालयों का निरीक्षण कर रही हैं, जबकि सच्चाई है कि निगम के विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों की किताब, कॉपी, वर्दी कुछ नहीं मिल रहा है.
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राजा इकबाल सिंह ने कहा कि एक साल से सामाजिक पेंशन, विधवा पुत्री विवाह राशि जैसे सामाजिक कल्याण के कार्य बंद पड़े है. पिछले एक वर्ष में आप पार्टी एवं उसके निगम पार्षदों ने बिल्डिंग, लाइसेंसिंग एवं संपत्ति कर विभाग को अवैध उगाही का अड्डा बना रखा है. निगम में आप पार्टी का एक वर्ष के कार्यकाल में जो निगम के ऊपर ग्रहण लगा है, उसके विरोध में भाजपा के सभी पार्षद 7 दिसंबर को धरना देंगे एवं निगम की सोई हुई सरकार को जगाने की कोशिश करेंगे.
दिल्ली जल बोर्ड में सीएजी ऑडिट पर भाजपा
दिल्ली भाजपा अध्यक्ष वीरेन्द्र सचदेवा ने कहा कि हमारे आरोपों का नतीजा है कि सीएम अरविंद केजरीवाल को पहली बार दिल्ली जल बोर्ड के स्कैम एवं भ्रष्टाचार पर सफाई देनी पड़ी और दिल्ली जल बोर्ड के खातों के सीएजी द्वारा ऑडिट की मांग स्वीकार करनी पड़ी. उन्होंने कहा कि 2017-18 से दिल्ली जल बोर्ड के खाते बनाये ही नहीं गए हैं तो फिर सीएजी ऑडिट किन खातों का करेगी. दिल्ली की जनता 2016-17 के सीएजी ऑडिट के आधार पर प्रोजेक्ट फंड हेरफेर, बैंक खातों मे हेरफेर और वाटर टैंकर घोटाले पर केजरीवाल सरकार से जवाब चाहती है.
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