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क्या है कस्टम में पेंडिंग 3000 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर्स के दावे का सच...

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Published : May 4, 2021, 5:56 PM IST

Updated : May 4, 2021, 6:47 PM IST

राजधानी में ऑक्सीजन की किल्लत लगातार बनी हुई है. सोमवार को दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान मैक्स अस्पताल के वकील ने दावा किया था कि 3,000 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर्स कस्टम क्लियरेंस में पड़े हुए हैं. इसके बाद हाईकोर्ट ने सरकार से इस मामले पर जवाब मांग लिया. सोमवार देर रात ये साफ किया गया कि ऐसा कोई भी कंसाइनमेंट कस्टम के पास नहीं है. जानिए क्या है पूरा मामला और अब क्या है मैक्स अस्पताल की प्रतिक्रिया इस रिपोर्ट में...

max hospital claim Oxygen concentrators pending in custom central denied
क्या है कस्टम में पेंडिंग 3000 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर्स के दावे का सच...

नई दिल्ली: राजधानी में कोरोना का कहर लगातार बढ़ रहा है. बेड व ऑक्सीजन को लेकर दिल्ली- केंद्र सरकार के बीच तनातनी चल रही है. दिल्ली हाईकोर्ट इन मामलों पर लगातार सुनवाई कर रहा है और फटकार के साथ जरूरी दिशा-निर्देश भी जारी कर रहा है.

दिल्ली हाईकोर्ट में जारी सुनवाई के बीच सोमवार को एक ऐसा दावा किया गया, जिससे केंद्र सरकार पर गंभीर सवाल खड़ा होने लगा. दरअसल, सोमवार को दिल्ली के एक नामी अस्पताल मैक्स की ओर से वकील कृष्णन वेणुगोपाल ने हाईकोर्ट से कहा कि अस्पताल के तीन हजार ऑक्सीजन कंसंट्रेटर्स कस्टम क्लियरेंस के लिए पड़े हुए हैं.

3000 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर्स के दावे का सच...

कोरोना के इस भयानक दौर में, जहां मरीज ऑक्सीजन के लिए तरस रहे हैं. वहीं, तीन हजार ऑक्सीजन कंसंट्रेटर्स कस्टम में क्लियरेंस के लिए पड़े रहना आश्चर्य की बात थी. कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा कि कस्टम क्लियरेंस के लिए कितने ऑक्सीजन कंसंट्रेटर पड़े हुए हैं. तब केंद्र की ओर से वकील अमित महाजन ने कहा कि ये संख्या बदलती रहती है. केंद्र सरकार की कोशिश है कि आदेश के मुताबिक, तीन घंटे के भीतर कस्टम क्लियरेंस हो जाए. कोर्ट ने पूछा कि क्या पहले से कुछ उपकरण कस्टम क्लियरेंस के लिए हैं. महाजन ने कहा कि हम ऐसा नहीं कह सकते हैं, क्योंकि एक घंटे बाद कुछ भी पेंडिंग नहीं रहेगा.

इस पर कोर्ट ने असंतोष जताया. वेणुगोपाल ने कहा कि केंद्र सरकार को अस्पतालों को प्राथमिकता देनी चाहिए. कोर्ट ने केंद्र से पूछा कि अभी तक कितने कस्टम क्लियरेंस हुई हैं. महाजन ने कहा कि 48 हजार. इस पर कोर्ट ने कहा कि क्या होता अगर 48 लाख उपकरण आए होते. महाजन ने कहा कि हम पता लगाते हैं. इस पर कोर्ट ने साफ कहा कि हम इनकी वजह से जानें जाते हुए नहीं देख सकते हैं.

हाईकोर्ट ने जैसे ही सरकार से जैसी ही इस मामले पर जानकारी मांगी. क्लियरेंस पेंडिंग की खबर ने केंद्र सरकार की कार्यप्रणाली को सवालों में घेरना शुरू कर दिया. इसके बाद CBIC (Central Board of Indirect Taxes and Customs) ने ट्वीट कर साफ किया कि किसी भी तरीके से 3,000 ऑक्सीजन कंसेंट्रेटर कस्टम क्लीयरेंस में नहीं हैं.

max hospital claim Oxygen concentrators pending in custom central denied
CBIC का ट्वीट

इसके बाद वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने भी इस जानकारी को शेयर किया.

max hospital claim Oxygen concentrators pending in custom central denied
वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण का ट्वीट

ये भी पढ़ेंःदिल्ली ऑक्सीजन बुलेटिन: राघव चड्ढा ने कहा- एक हफ्ते में मिली सिर्फ 40% सप्लाई

मैक्स अस्पताल ने क्या कहा

केंद्र सरकार की तरफ बयान आने के बाद जब ईटीवी भारत ने मैक्स प्रशासन से बात करने की कोशिश की, तो उन्होंने इस मामले पर टिप्पणी करने से इंकार कर दिया गया. मैक्स अस्पताल ने कहा कि मामला चूकि कोर्ट में है इसलिए वो इसपर टिप्पणी नहीं करेंगे.

अब क्या होगा

केंद्र सरकार के इस बयान के बाद, अब हाईकोर्ट ही इस मामले में कोई निर्देश दे सकता है. हाईकोर्ट में ही इस मामले की असलियत सामने आएगी. मैक्स अस्पताल का दावा सही है या केंद्र का, ये तो आने वाले दिनों में हाईकोर्ट में जारी सुनवाई से ही पता चल पाएगा.

नई दिल्ली: राजधानी में कोरोना का कहर लगातार बढ़ रहा है. बेड व ऑक्सीजन को लेकर दिल्ली- केंद्र सरकार के बीच तनातनी चल रही है. दिल्ली हाईकोर्ट इन मामलों पर लगातार सुनवाई कर रहा है और फटकार के साथ जरूरी दिशा-निर्देश भी जारी कर रहा है.

दिल्ली हाईकोर्ट में जारी सुनवाई के बीच सोमवार को एक ऐसा दावा किया गया, जिससे केंद्र सरकार पर गंभीर सवाल खड़ा होने लगा. दरअसल, सोमवार को दिल्ली के एक नामी अस्पताल मैक्स की ओर से वकील कृष्णन वेणुगोपाल ने हाईकोर्ट से कहा कि अस्पताल के तीन हजार ऑक्सीजन कंसंट्रेटर्स कस्टम क्लियरेंस के लिए पड़े हुए हैं.

3000 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर्स के दावे का सच...

कोरोना के इस भयानक दौर में, जहां मरीज ऑक्सीजन के लिए तरस रहे हैं. वहीं, तीन हजार ऑक्सीजन कंसंट्रेटर्स कस्टम में क्लियरेंस के लिए पड़े रहना आश्चर्य की बात थी. कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा कि कस्टम क्लियरेंस के लिए कितने ऑक्सीजन कंसंट्रेटर पड़े हुए हैं. तब केंद्र की ओर से वकील अमित महाजन ने कहा कि ये संख्या बदलती रहती है. केंद्र सरकार की कोशिश है कि आदेश के मुताबिक, तीन घंटे के भीतर कस्टम क्लियरेंस हो जाए. कोर्ट ने पूछा कि क्या पहले से कुछ उपकरण कस्टम क्लियरेंस के लिए हैं. महाजन ने कहा कि हम ऐसा नहीं कह सकते हैं, क्योंकि एक घंटे बाद कुछ भी पेंडिंग नहीं रहेगा.

इस पर कोर्ट ने असंतोष जताया. वेणुगोपाल ने कहा कि केंद्र सरकार को अस्पतालों को प्राथमिकता देनी चाहिए. कोर्ट ने केंद्र से पूछा कि अभी तक कितने कस्टम क्लियरेंस हुई हैं. महाजन ने कहा कि 48 हजार. इस पर कोर्ट ने कहा कि क्या होता अगर 48 लाख उपकरण आए होते. महाजन ने कहा कि हम पता लगाते हैं. इस पर कोर्ट ने साफ कहा कि हम इनकी वजह से जानें जाते हुए नहीं देख सकते हैं.

हाईकोर्ट ने जैसे ही सरकार से जैसी ही इस मामले पर जानकारी मांगी. क्लियरेंस पेंडिंग की खबर ने केंद्र सरकार की कार्यप्रणाली को सवालों में घेरना शुरू कर दिया. इसके बाद CBIC (Central Board of Indirect Taxes and Customs) ने ट्वीट कर साफ किया कि किसी भी तरीके से 3,000 ऑक्सीजन कंसेंट्रेटर कस्टम क्लीयरेंस में नहीं हैं.

max hospital claim Oxygen concentrators pending in custom central denied
CBIC का ट्वीट

इसके बाद वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने भी इस जानकारी को शेयर किया.

max hospital claim Oxygen concentrators pending in custom central denied
वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण का ट्वीट

ये भी पढ़ेंःदिल्ली ऑक्सीजन बुलेटिन: राघव चड्ढा ने कहा- एक हफ्ते में मिली सिर्फ 40% सप्लाई

मैक्स अस्पताल ने क्या कहा

केंद्र सरकार की तरफ बयान आने के बाद जब ईटीवी भारत ने मैक्स प्रशासन से बात करने की कोशिश की, तो उन्होंने इस मामले पर टिप्पणी करने से इंकार कर दिया गया. मैक्स अस्पताल ने कहा कि मामला चूकि कोर्ट में है इसलिए वो इसपर टिप्पणी नहीं करेंगे.

अब क्या होगा

केंद्र सरकार के इस बयान के बाद, अब हाईकोर्ट ही इस मामले में कोई निर्देश दे सकता है. हाईकोर्ट में ही इस मामले की असलियत सामने आएगी. मैक्स अस्पताल का दावा सही है या केंद्र का, ये तो आने वाले दिनों में हाईकोर्ट में जारी सुनवाई से ही पता चल पाएगा.

Last Updated : May 4, 2021, 6:47 PM IST

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