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शर्म भी शरमा जाए..! मां के शव को कंधा देने से किया था इनकार, बेटी ने दिया भोज तो पहुंचे 150 लोग

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Published : May 27, 2021, 11:53 AM IST

कोरोना महामारी में मानवीय संवेदना को झकझोर देने वाली घटना लगातार सामने आ रही हैं. बिहार के अररिया में भी एक कोरोना संक्रिमत शव को कंधा देने तो कोई नहीं पहुंचा. लेकिन जब बेटी ने मां के शव को अकेले दफनाकर 10 दिन बाद श्राद्धक्रम किया तो उसी गांव के लोगों की भीड़ इकट्ठा हो गई.

many people reached on Brahmbhoj who refused to last rites in araria
बेटी ने दिया भोज

नई दिल्ली/अररियाः कोरोना महामारी के इस दौर में लोगों की संवेदना इस कदर कठोर हो गई है कि मृत्यु के बाद लाशों को कांधा देने के लिए भी कोई तैयार नहीं हो रहा है. जिले के रानीगंज प्रखंड के एक गांव से ऐसा ही घटना सामने आई थी. जहां गांव वालों ने अर्थी को कांधा देने से इंकार कर दिया था. तब मां के शव का उसकी बेटी ने अकेले ही अंतिम संस्कार (last rites) किया था. लेकिन हद तो तब हो गई जब बेटी ने 10 दिन बाद मां-बाप के श्राद्धक्रम में ब्रह्मभोज किया तो उसी गांव के 150 लोग खाने पहुंच गए.

many people reached on Brahmbhoj who refused to last rites in araria
ब्रह्मभोज

रानीगंज प्रखंड के विशनपुर पंचायत के मधुलता गांव के रहने वाले बीरेन मेहता की कोरोना से मौत हो गई थी. चार दिन बाद उनकी पत्नी प्रियंका देवी की भी मौत हो गई. घर में अकेली बेटी ने गांव वालों से जब अंतिम संस्कार की बात कही तो कोई इसके लिए तैयार नहीं हुए. पूरे गांव में कोई उन्हें कांधा देने तक नहीं आया. आखिरकार बड़ी बेटी सोनी कुमारी ने दाह संस्कार के पैसे नहीं होने पर पंचायत के मुखिया से पैसे लिए और अकेले अपने दो-भाई बहनों के साथ खेत में जाकर मां को दफना दिया था.

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सोनी कुमारी व अन्य

ब्रह्मभोज में खाने पहुंचे 150 लोग
मां की मृत्यु के बाद जिला प्रशासन की ओर से जो राशि मिली, उससे बेटी ने मां-पिता का श्राद्धक्रम पूरा करने के लिए ब्रह्मभोज का आयोजन किया. इस आयोजन में उसी गांव के 150 लोग पहुंच गए जिन्होंने मृतक के शव को उठाने से मना कर दिया था.

many people reached on Brahmbhoj who refused to last rites in araria
श्राद्धक्रम की तैयारी

घर का कर्ज भी चुका रही है सोनी
दरअसल, आर्थिक तंगी में मां को दफनाने की तस्वीर मीडिया में आने के बाद रानीगंज के सीओ ने सोनी को 4 लाख रुपये की आर्थिक मदद दी थी. जैसे ही मुआवजे के रूप में रुपये मिले. वैसे ही ग्रामीण सोनी और उसके छोटे बहन भाई को सांत्वना देने पहुंचने लगे. गांव वालों की सलाह पर बेटी सोनी ने श्राद्धक्रम का आयोजन किया था. श्राद्धकर्म में कई सामान सोनी दुकान से उधार लाई थी. उधार देने वालों का भी घर पर तांता लग गया. आर्थिक सहायता में मिली रकम को बैंक से निकालकर अब वो घर का उधार भी चुका रही है.

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भाई और बहन के साथ सोनी कुमारी

मृतक बीरेंद्र मेहता की दो बेटी सोनी और चांदनी और एक पुत्र नीतीश कुमार है. सोनी ने बताया कि मां की मौत के बाद रानीगंज के सीओ ने कोरोना को लेकर हुई मौत पर चार लाख रुपये का चेक दिया था. लेकिन अभी तक पापा के मौत के पैसे नहीं मिले हैं.

नई दिल्ली/अररियाः कोरोना महामारी के इस दौर में लोगों की संवेदना इस कदर कठोर हो गई है कि मृत्यु के बाद लाशों को कांधा देने के लिए भी कोई तैयार नहीं हो रहा है. जिले के रानीगंज प्रखंड के एक गांव से ऐसा ही घटना सामने आई थी. जहां गांव वालों ने अर्थी को कांधा देने से इंकार कर दिया था. तब मां के शव का उसकी बेटी ने अकेले ही अंतिम संस्कार (last rites) किया था. लेकिन हद तो तब हो गई जब बेटी ने 10 दिन बाद मां-बाप के श्राद्धक्रम में ब्रह्मभोज किया तो उसी गांव के 150 लोग खाने पहुंच गए.

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ब्रह्मभोज

रानीगंज प्रखंड के विशनपुर पंचायत के मधुलता गांव के रहने वाले बीरेन मेहता की कोरोना से मौत हो गई थी. चार दिन बाद उनकी पत्नी प्रियंका देवी की भी मौत हो गई. घर में अकेली बेटी ने गांव वालों से जब अंतिम संस्कार की बात कही तो कोई इसके लिए तैयार नहीं हुए. पूरे गांव में कोई उन्हें कांधा देने तक नहीं आया. आखिरकार बड़ी बेटी सोनी कुमारी ने दाह संस्कार के पैसे नहीं होने पर पंचायत के मुखिया से पैसे लिए और अकेले अपने दो-भाई बहनों के साथ खेत में जाकर मां को दफना दिया था.

many people reached on Brahmbhoj who refused to last rites in araria
सोनी कुमारी व अन्य

ब्रह्मभोज में खाने पहुंचे 150 लोग
मां की मृत्यु के बाद जिला प्रशासन की ओर से जो राशि मिली, उससे बेटी ने मां-पिता का श्राद्धक्रम पूरा करने के लिए ब्रह्मभोज का आयोजन किया. इस आयोजन में उसी गांव के 150 लोग पहुंच गए जिन्होंने मृतक के शव को उठाने से मना कर दिया था.

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श्राद्धक्रम की तैयारी

घर का कर्ज भी चुका रही है सोनी
दरअसल, आर्थिक तंगी में मां को दफनाने की तस्वीर मीडिया में आने के बाद रानीगंज के सीओ ने सोनी को 4 लाख रुपये की आर्थिक मदद दी थी. जैसे ही मुआवजे के रूप में रुपये मिले. वैसे ही ग्रामीण सोनी और उसके छोटे बहन भाई को सांत्वना देने पहुंचने लगे. गांव वालों की सलाह पर बेटी सोनी ने श्राद्धक्रम का आयोजन किया था. श्राद्धकर्म में कई सामान सोनी दुकान से उधार लाई थी. उधार देने वालों का भी घर पर तांता लग गया. आर्थिक सहायता में मिली रकम को बैंक से निकालकर अब वो घर का उधार भी चुका रही है.

many people reached on Brahmbhoj who refused to last rites in araria
भाई और बहन के साथ सोनी कुमारी

मृतक बीरेंद्र मेहता की दो बेटी सोनी और चांदनी और एक पुत्र नीतीश कुमार है. सोनी ने बताया कि मां की मौत के बाद रानीगंज के सीओ ने कोरोना को लेकर हुई मौत पर चार लाख रुपये का चेक दिया था. लेकिन अभी तक पापा के मौत के पैसे नहीं मिले हैं.

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