नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली में आम आदमी पार्टी और बीजेपी के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है. अब बीजेपी सांसद मनोज तिवारी ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि दिल्ली जल बोर्ड केजरीवाल सरकार के भ्रष्टाचार का पर्याय बन गया है. जल बोर्ड की स्थापना का उद्देश्य था कि यह बोर्ड स्वयं अपना मूलभूत ढांचा तैयार करेगा और अपने राजस्व से अपने खर्चे चलाएगा. दिल्ली सरकार केवल बड़ी प्लान हेड योजनाओं के लिए आर्थिक संसाधन उपलब्ध कराएगी.
सांसद तिवारी का कहना है कि 1999 से 2013 तक कांग्रेस की शीला दीक्षित सरकार ने जल बोर्ड के संसाधनों की लूट मचाई. इसके परिणाम स्वरूप 2013-14 के अंत में जल बोर्ड पर लगभग 20 हजार करोड़ रुपए की देनदारी खड़ी हो गई. 2015 में सत्ता में आई आम आदमी पार्टी ने 14 लाख घरों को नल से जल देने का सपना दिखाया, पर जल उपलब्धता बढ़ाने के लिए कोई काम नहीं किया. 2013-14 में दिल्ली में 850 एमजीडी पानी उपलब्ध था. राष्ट्रपति शासन के दौरान 2014 में ओखला में 100 एमजीडी पानी का प्लांट लगा. इसके बाद राजधानी में 950 एमजीडी पेय जल की उलब्धता बनी.
तिवारी ने कहा कि हर घर को पानी देने का सपना दिखाने वाली केजरीवाल ने जनता को धोखा दिया है. इसका प्रमाण है कि आज दिल्ली में 1350 एमजीडी पेय जल की आवश्यकता है. जबकि, उपलब्धता मात्र 950 एमजीडी की है. लगभग 9 वर्ष के शासन में केजरीवाल ने पेयजल की उपलब्धता बढ़ाने के लिए कोई प्रयास नहीं किया.
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तिवारी ने कहा कि विगत 5 वित्त वर्षों में सरकार ने जल बोर्ड को 12,700 करोड़ रुपए के ऋण एवं अनुदान दिए, पर इस पैसे का कोई हिसाब नहीं है. वित्त विभाग ने जब भी हिसाब मांगा तो केजरीवाल सरकार ने विक्टिम कार्ड खेलना शुरू कर दिया. किसी भी संस्था में हेरफेर का इससे बड़ा प्रमाण क्या हो सकता है. उन्होंने कहा कि सरकार के वित्त विभाग ने जब बजट राशि की अगली किस्त देने के लिए जल बोर्ड से 1557 करोड़ रुपए का हिसाब मांगा तो जल मंत्री आतिशी ने दिल्ली में जल संकट की धमकी देना शुरू कर दिया. आज 2023 में भी राजधानी की एक तिहाई आबादी टैंकर माफिया के रहमो करम पर है.