नई दिल्ली: रेल आधारित MRTS के क्षेत्र में दिल्ली मेट्रो ने शनिवार को स्वदेश विकसित भारत की पहली ट्रेन कंट्रोल एवं सुपरविजन सिस्टम, आई-एटीएस(i-ATS) (स्वदेशी- ऑटोमैटिक ट्रेन सुपरविजन) का अपने पहले कॉरिडोर, रेड लाइन (रिठाला से शहीद स्थल) पर परिचालन हेतु शुभारंभ किया है.
मेट्रो रेल ट्रांज़िट सिस्टम के लिए पूर्ण रूप से स्थानीय निर्मित इस सिग्नलिंग प्रणाली को डीएमआरसी और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) द्वारा भारत सरकार की मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत पहल के अंतर्गत संयुक्त रूप से विकसित किया गया है. इस उपलब्धि के साथ भारत ने कुछ देशों की विशिष्ट सूची में छठे देश के रूप में अपना नाम दर्ज करवाया है. जिनका अपना एटीएस सिस्टम है. रेड लाइन से प्रारंभ करते हुए इस आई एटीएस प्रणाली को दिल्ली मेट्रो के अन्य परिचालित कॉरिडोर के साथ फेज-4 परियोजना के अलग कॉरिडोर में भी प्रयोग किया जाएगा. आई-एटीएस की मदद से प्रिवेंटिव मेंटेनेंस मॉड्यूल को फेज-4 परियोजना के कॉरिडोर में लागू किया जाएगा. इसके अलावा इस आई एटीएस को रेल आधारित अन्य प्रणालियों के साथ-साथ भारतीय रेल के परिचालन में उपयोग किया जा सकता है. इस तकनीक को विभिन्न सिग्नलिंग वेंडर सिस्टम में उपयुक्त आंशिक परिवर्तन कर विकसित किया गया है.
आई एटीएस का विकास मेट्रो रेलवे के लिए स्वदेशी निर्मित सीबीटीसी (संचार आधारित ट्रेन नियंत्रण) आधारित सिग्नलिंग प्रणाली के विकास की दिशा में एक बड़ा कदम है और एटीएस (स्वचालित ट्रेन पर्यवेक्षण) सीबीटीसी सिग्नलिंग प्रणाली की एक महत्वपूर्ण उप प्रणाली है. मेट्रो जैसी हाई ट्रेन डेंसिटी ऑपरेशन के लिए यह प्रणाली अति आवश्यक है, जहां हर कुछ मिनटों के अंतराल पर सेवाएं निर्धारित की जाती हैं. सीबीटीसी (CBTC) जैसी प्रौद्योगिकी प्रणालियां मुख्य रूप से बाहरी देशों द्वारा नियंत्रित की जाती हैं. आई एटीएस के उपयोग से ऐसी तकनीक मुहैया कराने वाले विदेशी वेंडर पर भारतीय मेट्रो की निर्भरता को काफी कम कर देगी.
भारत सरकार के मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत' पहल के तहत आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय (MoHUA) ने सीबीटीसी (CBTC) तकनीक को स्वदेशी बनाने का फैसला किया था. डीएमआरसी के साथ-साथ आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय (MoHUA), भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL), आरडीएसओ (RDSO) और अन्य सहयोगी इस विकास का हिस्सा रहे हैं. प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाने के लिए डीएमआरसी और बीईएल ने नवंबर, 2022 में एक एमओयू पर हस्ताक्षर किया था. डीएमआरसी और बीईएल की एक समर्पित टीम ने परिचालन तकनीक तैयार करने के लिए एक साथ मिलकर काम किया. साइट की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए डीएमआरसी के आईटी पार्क में एक पूर्ण विकसित आई-एटीएस लैब स्थापित की गई है, जिसे सीबीटीसी(CBTC) प्रणाली के विकास हेतु उन्नत किया जा रहा है.
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दिल्ली मेट्रो की रेड लाइन पर Make in India सिग्नलिंग प्रणाली (i-ATS) का आगाज
दिल्ली मेट्रो ने स्वदेश विकसित भारत की पहली ट्रेन कंट्रोल एवं सुपरविजन सिस्टम, i-ATS का शनिवार को शुभारंभ किया. रेड लाइन से प्रारंभ करते हुए इस आई एटीएस प्रणाली को दिल्ली मेट्रो के अन्य परिचालित कॉरिडोर के साथ फेज-4 परियोजना के अलग कॉरिडोर में भी प्रयोग किया जाएगा.
नई दिल्ली: रेल आधारित MRTS के क्षेत्र में दिल्ली मेट्रो ने शनिवार को स्वदेश विकसित भारत की पहली ट्रेन कंट्रोल एवं सुपरविजन सिस्टम, आई-एटीएस(i-ATS) (स्वदेशी- ऑटोमैटिक ट्रेन सुपरविजन) का अपने पहले कॉरिडोर, रेड लाइन (रिठाला से शहीद स्थल) पर परिचालन हेतु शुभारंभ किया है.
मेट्रो रेल ट्रांज़िट सिस्टम के लिए पूर्ण रूप से स्थानीय निर्मित इस सिग्नलिंग प्रणाली को डीएमआरसी और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) द्वारा भारत सरकार की मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत पहल के अंतर्गत संयुक्त रूप से विकसित किया गया है. इस उपलब्धि के साथ भारत ने कुछ देशों की विशिष्ट सूची में छठे देश के रूप में अपना नाम दर्ज करवाया है. जिनका अपना एटीएस सिस्टम है. रेड लाइन से प्रारंभ करते हुए इस आई एटीएस प्रणाली को दिल्ली मेट्रो के अन्य परिचालित कॉरिडोर के साथ फेज-4 परियोजना के अलग कॉरिडोर में भी प्रयोग किया जाएगा. आई-एटीएस की मदद से प्रिवेंटिव मेंटेनेंस मॉड्यूल को फेज-4 परियोजना के कॉरिडोर में लागू किया जाएगा. इसके अलावा इस आई एटीएस को रेल आधारित अन्य प्रणालियों के साथ-साथ भारतीय रेल के परिचालन में उपयोग किया जा सकता है. इस तकनीक को विभिन्न सिग्नलिंग वेंडर सिस्टम में उपयुक्त आंशिक परिवर्तन कर विकसित किया गया है.
आई एटीएस का विकास मेट्रो रेलवे के लिए स्वदेशी निर्मित सीबीटीसी (संचार आधारित ट्रेन नियंत्रण) आधारित सिग्नलिंग प्रणाली के विकास की दिशा में एक बड़ा कदम है और एटीएस (स्वचालित ट्रेन पर्यवेक्षण) सीबीटीसी सिग्नलिंग प्रणाली की एक महत्वपूर्ण उप प्रणाली है. मेट्रो जैसी हाई ट्रेन डेंसिटी ऑपरेशन के लिए यह प्रणाली अति आवश्यक है, जहां हर कुछ मिनटों के अंतराल पर सेवाएं निर्धारित की जाती हैं. सीबीटीसी (CBTC) जैसी प्रौद्योगिकी प्रणालियां मुख्य रूप से बाहरी देशों द्वारा नियंत्रित की जाती हैं. आई एटीएस के उपयोग से ऐसी तकनीक मुहैया कराने वाले विदेशी वेंडर पर भारतीय मेट्रो की निर्भरता को काफी कम कर देगी.
भारत सरकार के मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत' पहल के तहत आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय (MoHUA) ने सीबीटीसी (CBTC) तकनीक को स्वदेशी बनाने का फैसला किया था. डीएमआरसी के साथ-साथ आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय (MoHUA), भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL), आरडीएसओ (RDSO) और अन्य सहयोगी इस विकास का हिस्सा रहे हैं. प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाने के लिए डीएमआरसी और बीईएल ने नवंबर, 2022 में एक एमओयू पर हस्ताक्षर किया था. डीएमआरसी और बीईएल की एक समर्पित टीम ने परिचालन तकनीक तैयार करने के लिए एक साथ मिलकर काम किया. साइट की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए डीएमआरसी के आईटी पार्क में एक पूर्ण विकसित आई-एटीएस लैब स्थापित की गई है, जिसे सीबीटीसी(CBTC) प्रणाली के विकास हेतु उन्नत किया जा रहा है.
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