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Mahashivratri 2023: महाशिवरात्रि पर व्रत करते वक्त इन 10 नियमों का करें पालन

पूरे देश में महाशिवरात्रि का पर्व इस साल 18 फरवरी को मनाया जाएगा. महाशिवरात्रि पर भोले को मनाने के लिए भक्त व्रत रखेंगे, ताकि उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो सकें.

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Published : Feb 11, 2023, 10:13 AM IST

जानकारी देते हुए आचार्य शिव कुमार शर्मा

नई दिल्ली: 18 फरवरी (शनिवार) को महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाएगा. महाशिवरात्रि के दिन व्रत रखने और भगवान शिव की पूजा अर्चना करने का विधान है. महाशिवरात्रि पर भक्त भगवान शिव की पूजा के साथ व्रत भी रखते हैं. महाशिवरात्रि का व्रत रखने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. हिंदू धर्म में महाशिवरात्रि का विशेष महत्व है.

ऐसे करें व्रत : महाशिवरात्रि का व्रत रखने के लिए एक दिन पूर्व ही व्रत की तैयारियां शुरू कर दें. व्रत से एक दिन पूर्व तामसिक भोजन, शराब , धूम्रपान आदि का त्याग कर केवल सात्विक भोजन करना चाहिए. वहीं, हिंदू धर्म प्रत्येक व्यक्ति का सम्मान और उसे प्रेम से व्यवहार करना सिखाता है. विशेष तौर पर ख्याल रखें कि किसी से गलत वाणी का प्रयोग ना करें और ना ही किसी पर गुस्सा करें. इसके अलावा व्रत करने वाले झूठ और अभिमान का पूर्णयता त्याग करें. महाशिवरात्रि के व्रत के दिन अन्न का सेवन नहीं करना चाहिए. अन्न ग्रहण करने से व्रत पूर्ण नहीं होता है और दोष लगता है. शास्त्रों में व्रत को निराहार रखने का विधान है.

रात्रि में करना चाहिए जागरण : भगवान शिव की आराधना और भजन कीर्तन करते हुए भक्तों को रात्रिजागरण करना चाहिए. कहा जाता है कि ऐसा करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं. शिवलिंग की पूरी परिक्रमा करने की मनाही बताई गई है. शिवलिंग की जलहरी उत्तर दिशा में होती है. इसके अलावा शिवलिंग पर चढ़ाए गए जल का पानी उत्तर दिशा में बहता है. यदि शिवलिंग की पूरी प्रक्रिया की जाती है तो पानी को लांघना पड़ेगा. ऐसे में शिवलिंग की पूरी परिक्रमा करना वर्जित होता है.

आपस में प्रेम और सद्भाव से रहें : महाशिवरात्रि व्रत के दौरान ब्रह्मचर्य के नियमों का पालन करें और घर में आपस में प्रेम और सद्भाव के साथ रहें. शिव पूजा के दौरान शिवलिंग पर अर्पित किए जाने वाले फूलों और पत्तों को पूजा के बाद नदी या तालाब में प्रवाहित करें. वहीं, गलती से भी पूजा में प्रयोग हुए इन फूलों और पत्तों को अपमानित ना करें.
महाशिवरात्रि पर पूजा के दौरान दिशा का रखे विशेष ख्याल: गाजियाबाद स्थित शिव शंकर ज्योतिष एवं वास्तु अनुसंधान केंद्र के आचार्य शिव कुमार शर्मा के मुताबिक महाशिवरात्रि पर भगवान शिव को प्रसन्न करने और व्रत रखने के कई नियम हैं, जिनका पालन करना जरूरी होता है. उन्होंने बताया कि महाशिवरात्रि पर पूजा के दौरान दिशा का भी विशेष ध्यान रखना बताया गया है. भगवान शिव की पूजा के दौरान आपका मुख पूर्व या उत्तर दिशा की तरफ होना चाहिए. साथ ही महाशिवरात्रि पर पूजा के दौरान शिवलिंग पर दूध, दही और शहद चढ़ाने के बाद जल जरूर अर्पित करें और अंत में जल चढ़ाने के बाद ही जल अभिषेक पूर्ण माना जाता है.
किसी भी मान्यता या जानकारी की पुष्टि नहीं करता ईटीवी भारत: बता दें कि यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि etvbharat.com किसी भी तरह की मान्यता या जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. ऐसे में किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.
ये भी पढ़ें: Mahashivratri 2023 : केवल भारत में ही नहीं नेपाल व बांग्लादेश में भी मनायी जाती है महाशिवरात्रि

जानकारी देते हुए आचार्य शिव कुमार शर्मा

नई दिल्ली: 18 फरवरी (शनिवार) को महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाएगा. महाशिवरात्रि के दिन व्रत रखने और भगवान शिव की पूजा अर्चना करने का विधान है. महाशिवरात्रि पर भक्त भगवान शिव की पूजा के साथ व्रत भी रखते हैं. महाशिवरात्रि का व्रत रखने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. हिंदू धर्म में महाशिवरात्रि का विशेष महत्व है.

ऐसे करें व्रत : महाशिवरात्रि का व्रत रखने के लिए एक दिन पूर्व ही व्रत की तैयारियां शुरू कर दें. व्रत से एक दिन पूर्व तामसिक भोजन, शराब , धूम्रपान आदि का त्याग कर केवल सात्विक भोजन करना चाहिए. वहीं, हिंदू धर्म प्रत्येक व्यक्ति का सम्मान और उसे प्रेम से व्यवहार करना सिखाता है. विशेष तौर पर ख्याल रखें कि किसी से गलत वाणी का प्रयोग ना करें और ना ही किसी पर गुस्सा करें. इसके अलावा व्रत करने वाले झूठ और अभिमान का पूर्णयता त्याग करें. महाशिवरात्रि के व्रत के दिन अन्न का सेवन नहीं करना चाहिए. अन्न ग्रहण करने से व्रत पूर्ण नहीं होता है और दोष लगता है. शास्त्रों में व्रत को निराहार रखने का विधान है.

रात्रि में करना चाहिए जागरण : भगवान शिव की आराधना और भजन कीर्तन करते हुए भक्तों को रात्रिजागरण करना चाहिए. कहा जाता है कि ऐसा करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं. शिवलिंग की पूरी परिक्रमा करने की मनाही बताई गई है. शिवलिंग की जलहरी उत्तर दिशा में होती है. इसके अलावा शिवलिंग पर चढ़ाए गए जल का पानी उत्तर दिशा में बहता है. यदि शिवलिंग की पूरी प्रक्रिया की जाती है तो पानी को लांघना पड़ेगा. ऐसे में शिवलिंग की पूरी परिक्रमा करना वर्जित होता है.

आपस में प्रेम और सद्भाव से रहें : महाशिवरात्रि व्रत के दौरान ब्रह्मचर्य के नियमों का पालन करें और घर में आपस में प्रेम और सद्भाव के साथ रहें. शिव पूजा के दौरान शिवलिंग पर अर्पित किए जाने वाले फूलों और पत्तों को पूजा के बाद नदी या तालाब में प्रवाहित करें. वहीं, गलती से भी पूजा में प्रयोग हुए इन फूलों और पत्तों को अपमानित ना करें.
महाशिवरात्रि पर पूजा के दौरान दिशा का रखे विशेष ख्याल: गाजियाबाद स्थित शिव शंकर ज्योतिष एवं वास्तु अनुसंधान केंद्र के आचार्य शिव कुमार शर्मा के मुताबिक महाशिवरात्रि पर भगवान शिव को प्रसन्न करने और व्रत रखने के कई नियम हैं, जिनका पालन करना जरूरी होता है. उन्होंने बताया कि महाशिवरात्रि पर पूजा के दौरान दिशा का भी विशेष ध्यान रखना बताया गया है. भगवान शिव की पूजा के दौरान आपका मुख पूर्व या उत्तर दिशा की तरफ होना चाहिए. साथ ही महाशिवरात्रि पर पूजा के दौरान शिवलिंग पर दूध, दही और शहद चढ़ाने के बाद जल जरूर अर्पित करें और अंत में जल चढ़ाने के बाद ही जल अभिषेक पूर्ण माना जाता है.
किसी भी मान्यता या जानकारी की पुष्टि नहीं करता ईटीवी भारत: बता दें कि यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि etvbharat.com किसी भी तरह की मान्यता या जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. ऐसे में किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.
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