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चिनाब नदी पर बन रहे सबसे ऊंचे पुल का लोअर आर्च तैयार, मार्च 2022 तक निर्माण कार्य हो जाएगा पूरा

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Published : Mar 15, 2021, 5:04 PM IST

उत्तरी रेलवे के महाप्रबंधक आशुतोष गंगल ने बताया कि चिनाब नदी पर बनने वाले इस ब्रिज की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि नदी की तल से आर्च की ऊंचाई 360 मीटर के आसपास है और इस लिहाज से यह दुनिया का सबसे ऊंचा आर्च ब्रिज है. इसको बनाने में कई मुश्किलें सामने आई. इसको बनाने में लगभग 10 हजार टन स्टील का उपयोग हुआ है.

चिनाब नदी पर बन रहा सबसे ऊंचा आर्च पुल, देखें वीडियो
चिनाब नदी पर बन रहा सबसे ऊंचा आर्च पुल, देखें वीडियो

नई दिल्ली: चिनाब नदी पर बन रहे दुनिया की सबसे ऊंचे आर्च ब्रिज के लोअर आर्च का काम पूरा हो चुका है. उत्तरी रेलवे के महाप्रबंधक आशुतोष गंगल ने बताया कि लोअर आर्च का निर्माण करना अपने आप में एक बड़ी चुनौती थी क्योंकि निर्माण स्थल पर पहुंचने का कोई साधन नहीं था.

चिनाब नदी पर बन रहा सबसे ऊंचा आर्च पुल, देखें वीडियो

'360 मीटर है ऊंचाई'

ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए उत्तरी रेलवे के महाप्रबंधक आशुतोष गंगल ने बताया कि चिनाब नदी पर बनने वाले इस ब्रिज की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि नदी की तल से आर्च की ऊंचाई 360 मीटर के आसपास है और इस लिहाज से यह दुनिया का सबसे ऊंचा आर्च ब्रिज है.

इसको बनाने में कई मुश्किलें सामने आई. इसको बनाने में लगभग 10 हजार टन स्टील का उपयोग हुआ है. इसको बनाने कई मुश्किलें सामने आईं. जिस जगह पर यह पुल बनाया जा रहा है वहां पहुंचना मुश्किल था. वहां पहुंचने के लिए कोई सड़क मार्ग नहीं था. जाने का कोई तरीका नहीं था.

रेलवे ने वहां काम शुरू करने के लिए पहले सड़कें बनवाईं. पुल का दूसरा सिरा जिसे बक्कल एंड भी कहते हैं वहां सड़क बनाने से भी काम नहीं हुआ तो वहां टनल भी बनानी पड़ी. उसके बाद दोनों छोर से काम शुरू किया गया और 14 मार्च को लोअर आर्च का काम पूरा कर लिया गया है और बाकी का काम चल रहा है. आशा है कि इस महीने के अंत तक आर्च का काम पूरी तरह से कर लिया जाएगा.


'2022 तक पूरा हो जाएगा निर्माण कार्य'

उत्तरी रेलवे के महाप्रबंधक आशुतोष गंगल ने बताया कि हमें उम्मीद है कि मार्च 2022 तक हम इस पुल का निर्माण पूरा कर पाएंगे. लेकिन इस पुल को इस्तेमाल करने के लिए रेल मार्ग तैयार हो रहा है और पुल के चालू होने की तिथि टनल के निर्माण पर भी निर्भर करती है. जो 111 किलोमीटर का सेक्शन बचा है बनिहाल से कटरा के बीच में उसमें 97 किलोमीटर की टनल है. जिनमें से 84 किलोमीटर की टनलिंग पूरी हो चुकी है और 7 किलोमीटर के ब्रिज हैं जिनमें चिनाब पर स्थित ब्रिज भी शामिल है.

चिनाब के अलावा और भी ब्रिज हैं जिनकी कुल लंबाई 7 किलोमीटर है. हमारे लिए जो सबसे मुश्किल काम है वह टनलिंग का है. निर्माण स्थल तक पहुंच का कोई साधन नहीं होने के कारण कई टनल तक पहुंचने में भी हमें लंबा समय लग गया.

ये भी पढ़ें- दिल्ली: फिर बाधित हो सकती है पानी सप्लाई, हो सकती है 25 फीसदी कटौती

ये भी पढ़ें- जेएनयू में देशविरोधी नारे लगाने के सभी आरोपियों को मिली जमानत

'स्पेशल ऑडिट के दिए गए हैं ऑर्डर'

तपोवन हादसे से जुड़े सवाल के जवाब में आशुतोष गंगल ने बताया कि तपोवन हादसे से सबक लेते हुए हमने टनलिंग के लिए एक स्पेशल ऑडिट ऑर्डर कर दी है ताकि टनलिंग के लिए यदि हमें कोई एक्स्ट्रा प्रिकॉशन लेना पड़े तो तो हम उसे ले सके. टनलिंग का काम चल रहा है और यदि आवश्यकता पड़ी तो हम एक्स्ट्रा प्रिकॉशन भी लेंगे.

नई दिल्ली: चिनाब नदी पर बन रहे दुनिया की सबसे ऊंचे आर्च ब्रिज के लोअर आर्च का काम पूरा हो चुका है. उत्तरी रेलवे के महाप्रबंधक आशुतोष गंगल ने बताया कि लोअर आर्च का निर्माण करना अपने आप में एक बड़ी चुनौती थी क्योंकि निर्माण स्थल पर पहुंचने का कोई साधन नहीं था.

चिनाब नदी पर बन रहा सबसे ऊंचा आर्च पुल, देखें वीडियो

'360 मीटर है ऊंचाई'

ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए उत्तरी रेलवे के महाप्रबंधक आशुतोष गंगल ने बताया कि चिनाब नदी पर बनने वाले इस ब्रिज की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि नदी की तल से आर्च की ऊंचाई 360 मीटर के आसपास है और इस लिहाज से यह दुनिया का सबसे ऊंचा आर्च ब्रिज है.

इसको बनाने में कई मुश्किलें सामने आई. इसको बनाने में लगभग 10 हजार टन स्टील का उपयोग हुआ है. इसको बनाने कई मुश्किलें सामने आईं. जिस जगह पर यह पुल बनाया जा रहा है वहां पहुंचना मुश्किल था. वहां पहुंचने के लिए कोई सड़क मार्ग नहीं था. जाने का कोई तरीका नहीं था.

रेलवे ने वहां काम शुरू करने के लिए पहले सड़कें बनवाईं. पुल का दूसरा सिरा जिसे बक्कल एंड भी कहते हैं वहां सड़क बनाने से भी काम नहीं हुआ तो वहां टनल भी बनानी पड़ी. उसके बाद दोनों छोर से काम शुरू किया गया और 14 मार्च को लोअर आर्च का काम पूरा कर लिया गया है और बाकी का काम चल रहा है. आशा है कि इस महीने के अंत तक आर्च का काम पूरी तरह से कर लिया जाएगा.


'2022 तक पूरा हो जाएगा निर्माण कार्य'

उत्तरी रेलवे के महाप्रबंधक आशुतोष गंगल ने बताया कि हमें उम्मीद है कि मार्च 2022 तक हम इस पुल का निर्माण पूरा कर पाएंगे. लेकिन इस पुल को इस्तेमाल करने के लिए रेल मार्ग तैयार हो रहा है और पुल के चालू होने की तिथि टनल के निर्माण पर भी निर्भर करती है. जो 111 किलोमीटर का सेक्शन बचा है बनिहाल से कटरा के बीच में उसमें 97 किलोमीटर की टनल है. जिनमें से 84 किलोमीटर की टनलिंग पूरी हो चुकी है और 7 किलोमीटर के ब्रिज हैं जिनमें चिनाब पर स्थित ब्रिज भी शामिल है.

चिनाब के अलावा और भी ब्रिज हैं जिनकी कुल लंबाई 7 किलोमीटर है. हमारे लिए जो सबसे मुश्किल काम है वह टनलिंग का है. निर्माण स्थल तक पहुंच का कोई साधन नहीं होने के कारण कई टनल तक पहुंचने में भी हमें लंबा समय लग गया.

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'स्पेशल ऑडिट के दिए गए हैं ऑर्डर'

तपोवन हादसे से जुड़े सवाल के जवाब में आशुतोष गंगल ने बताया कि तपोवन हादसे से सबक लेते हुए हमने टनलिंग के लिए एक स्पेशल ऑडिट ऑर्डर कर दी है ताकि टनलिंग के लिए यदि हमें कोई एक्स्ट्रा प्रिकॉशन लेना पड़े तो तो हम उसे ले सके. टनलिंग का काम चल रहा है और यदि आवश्यकता पड़ी तो हम एक्स्ट्रा प्रिकॉशन भी लेंगे.

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