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ट्रांसजेंडर समुदाय के लोगों के लिए AIIMS में चला लाइव सर्जरी वर्कशॉप, मिलेगी ये सुविधाएं

5 day workshop on Transgender In Delhi Aiims: ट्रांसजेंडर समुदाय के लोगों को बीमारी के इलाज के लिए कई बार दर-दर भटकना पड़ता है. अब AIIMS दिल्ली ने इनकी समस्याओं का हल निकालते हुए अलग से सेंटर बनाने का फैसला लिया है जानिए..

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Nov 30, 2023, 2:12 PM IST

नई दिल्ली: AIIMS में ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए अलग सेंटर बनाया जाएगा. इसकी शुरुआत भी हो चुकी है. इस सेंटर पर विदेशी डॉक्टरों को सेक्स रीअसाइनमेंट सर्जरी की ट्रेनिंग देने के लिए बुलाया गया. पांच दिन की इस ट्रेनिंग में लाइव सर्जरी वर्कशॉप का आयोजन किया गया था. जिसका आज गुरुवार को समापन हो गया. एम्स के साथ सामाजिक न्याय मंत्रालय और ‘एसोसिएशन फॉर ट्रांसजेंडर हेल्थ इन इंडिया’ (ATHI) और वर्ल्ड प्रोफेशनल एसोसिएशन फॉर ट्रांसजेंडर हेल्थ (WPATH) भी इस सेंटर को सहयोग देंगे.

आपको बता दें कि ट्रांसजेंडर समुदाय के लोगों को बीमारी के इलाज के लिए कई बार दर-दर भटकना पड़ता है. अब AIIMS दिल्ली ने इनकी समस्याओं का हल निकालते हुए अलग से सेंटर बनाने का फैसला लिया है. जिससे इस समाज के लोगों को आसानी से इलाज मिल पाएगा. अलग-अलग विभागों के डॉक्टर यहां आकर अपनी सेवाएं देंगे.

इस दौरान एम्स दिल्ली के डायरेक्टर प्रोफेसर एम श्रीनिवास ने कहा कि जिस प्रकार लड़का और लड़की दो जेंडर हैं वैसे ही एक तीसरा जेंडर भी होता है, जिसे थर्ड जेंडर कहा जाता है. लेकिन सामाजिक भेदभाव और कलंक के कारण इस जेंडर की स्वीकारता समाज ने नहीं दी है. यह कोई जन्मजात बीमारी नहीं है या जेनेटिक डिफेक्ट नहीं है, बल्कि प्राकृतिक रूप से जैव विविधता के कारण ऐसा होता है.

यह भी पढ़ें-चीन में सांस की बीमारी बढ़ने के बाद कर्नाटक स्वास्थ्य विभाग ने जारी की एडवाइजरी

श्रीनिवास ने ये भी कहा कि भारतीय जनमानस की सोच में अभी भी पुरुष प्रधान समाज की झलक देखने को मिलती है. विशेष कर पुरानी पीढ़ी के दादा-दादी का मोह बेटे और पोतों के प्रति अधिक देखने को मिल रहा है. जब परिवार में किसी नए मेहमान के आगमन की आहट होती है तो प्रतिक्रिया स्वरूप तुरंत ही दादा-दादी कहते हैं कि उन्हें पोता चाहिए, लड़का ही होगा यह सोच अभी भी गहरे तक जड़ जमाए हुए है.

नई दिल्ली: AIIMS में ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए अलग सेंटर बनाया जाएगा. इसकी शुरुआत भी हो चुकी है. इस सेंटर पर विदेशी डॉक्टरों को सेक्स रीअसाइनमेंट सर्जरी की ट्रेनिंग देने के लिए बुलाया गया. पांच दिन की इस ट्रेनिंग में लाइव सर्जरी वर्कशॉप का आयोजन किया गया था. जिसका आज गुरुवार को समापन हो गया. एम्स के साथ सामाजिक न्याय मंत्रालय और ‘एसोसिएशन फॉर ट्रांसजेंडर हेल्थ इन इंडिया’ (ATHI) और वर्ल्ड प्रोफेशनल एसोसिएशन फॉर ट्रांसजेंडर हेल्थ (WPATH) भी इस सेंटर को सहयोग देंगे.

आपको बता दें कि ट्रांसजेंडर समुदाय के लोगों को बीमारी के इलाज के लिए कई बार दर-दर भटकना पड़ता है. अब AIIMS दिल्ली ने इनकी समस्याओं का हल निकालते हुए अलग से सेंटर बनाने का फैसला लिया है. जिससे इस समाज के लोगों को आसानी से इलाज मिल पाएगा. अलग-अलग विभागों के डॉक्टर यहां आकर अपनी सेवाएं देंगे.

इस दौरान एम्स दिल्ली के डायरेक्टर प्रोफेसर एम श्रीनिवास ने कहा कि जिस प्रकार लड़का और लड़की दो जेंडर हैं वैसे ही एक तीसरा जेंडर भी होता है, जिसे थर्ड जेंडर कहा जाता है. लेकिन सामाजिक भेदभाव और कलंक के कारण इस जेंडर की स्वीकारता समाज ने नहीं दी है. यह कोई जन्मजात बीमारी नहीं है या जेनेटिक डिफेक्ट नहीं है, बल्कि प्राकृतिक रूप से जैव विविधता के कारण ऐसा होता है.

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श्रीनिवास ने ये भी कहा कि भारतीय जनमानस की सोच में अभी भी पुरुष प्रधान समाज की झलक देखने को मिलती है. विशेष कर पुरानी पीढ़ी के दादा-दादी का मोह बेटे और पोतों के प्रति अधिक देखने को मिल रहा है. जब परिवार में किसी नए मेहमान के आगमन की आहट होती है तो प्रतिक्रिया स्वरूप तुरंत ही दादा-दादी कहते हैं कि उन्हें पोता चाहिए, लड़का ही होगा यह सोच अभी भी गहरे तक जड़ जमाए हुए है.

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