नई दिल्ली: गुरु गोविंद सिंह इंद्रप्रस्थ यूनिवर्सिटी (जीजीएसआईपीयू) के पूर्वी दिल्ली में बने नवनिर्मित परिसर के उद्घाटन को लेकर उपराज्यपाल और दिल्ली सरकार एक बार फिर आमने-सामने है. दरअसल, शिक्षा मंत्री आतिशी ने मंगलवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा था कि आठ जून को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल इस परिसर का उद्घाटन करेंगे. अब इस पर उपराज्यपाल कार्यालय ने आपत्ति जताते हुए एक प्रेस वक्तव्य जारी किया है.
वक्तव्य में कहा गया है कि चौंकाने वाली बात है कि शिक्षा मंत्री आतिशी मार्लेना ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में घोषणा की कि सीएम अरविंद केजरीवाल जीजीएसआईपीयू के पूर्वी परिसर का उद्घाटन करेंगे. यह अच्छी तरह से जानते हुए कि यह उद्घाटन उपराज्यपाल द्वारा किया जाना है. सीएम अरविंद केजरीवाल खुद इस बात से वाकिफ थे कि एलजी कैंपस का उद्घाटन करने वाले हैं. वे यह भी जानते थे कि एलजी को मुख्य अतिथि और सीएम को विशिष्ट अतिथि के रूप में समारोह में उपस्थित होना था और उन्होंने इसके लिए सहमति भी दी थी.
कुलपति ने भी की थी घोषणा: दरअसल, मुख्यमंत्री ने अपने कार्यक्रम को समायोजित करने के लिए उद्घाटन की तारीख 23 मई को आगे बढ़ाने के लिए कहा था. जिसके बाद आठ जून की तारीख तय की गई थी. उपराज्यपाल इस परिसर का उद्घाटन करेंगे, यह बात मार्च 2023 में ही फाइल में लिख दी गई थी. जब विश्वविद्यालय ने एलजी सचिवालय को लिखा था कि कैंपस का उद्घाटन करने के लिए एलजी की सहमति मांगी जाए, तो मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी इस बात से पूरी तरह वाकिफ थे. इसके अलावा मंगलवार को जिस दिन आतिशी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह दावा किया था, उसी दिन कुलपति ने जीजीएसआईपीयू के दीक्षांत समारोह में मंच पर घोषणा की थी कि उपराज्यपाल गुरुवार को पूर्वी परिसर का उद्घाटन करेंगे. उस दौरान भी आतिशी सम्मानित अतिथि के रूप में उपस्थित थीं.
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लगाया बिना काम के क्रेडिट लेने का आरोप: उपराज्यपाल कार्यालय की ओर से आरोप लगाते हुए यह भी कहा गया कि, केजरीवाल सरकार बिना काम करे ही हर काम का क्रेडिट लेना चाहती है. यह उसकी आदत बन गई है. जीजीएसआईपीयू के पूर्वी परिसर की परिकल्पना 2013 में की गई थी, जब आप कहीं भी सत्ता में नहीं थी और इसके लिए 41 करोड़ रुपये की राशि निर्धारित की गई थी.
परिसर की आधारशिला तत्कालीन केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने 14 दिसंबर 2014 को रखी थी. फरवरी, 2015 में आप सरकार के सत्ता में आने के बाद भी इसपर कोई ठोस काम नहीं हुआ. 387 करोड़ रुपये की लागत से कैंपस के निर्माण के लिए खुद जीजीएसआईपीयू को पैसा देना पड़ा, जिसमें से सरकार का हिस्सा केवल 41 करोड़ रुपये था. यहां तक कि ये रुपया तीन किश्तों में भुगतान किया गया था, जिसकी तीसरी किश्त दो दिन पहले यानी पांच जून को जारी की गई है.
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