नई दिल्ली: उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने 2020 में उत्तर पूर्वी दिल्ली में दंगे के उस मामले में छह आरोपियों के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी है, जिसमें गोली लगने से घायल एक व्यक्ति की मौत हो गई थी. जांच के दौरान यह सामने आया कि नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) का लोकतांत्रिक तरीके से विरोध करने की आड़ में गहरी साजिश रची गई, जिसके कारण दिल्ली के उत्तर-पूर्वी जिले में दंगे हुए.
दरअसल, यह मामला 24 फरवरी, 2020 को गोली लगने से शाहिद उर्फ अल्लाह मेहर (25) की मौत का है, जो गली नंबर 17, न्यू मुस्तफाबाद का निवासी था. इस अपराध के लिए उपराज्यपाल ने मोहम्मद फिरोज, चांद मोहम्मद, रईस खान, मोहम्मद जुनैद, इरशाद और अकील अहमद के खिलाफ 1 मार्च, 2020 को पुलिस स्टेशन दयालपुर में दर्ज मामले में अभियोजन की मंजूरी दी, जो भारतीय दंड संहिता की धारा 153 ए और 505 (1) के तहत दंडनीय है. धारा 153ए के तहत धर्म, जाति, जन्म स्थान, निवास, भाषा आदि के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने और सद्भाव बनाए रखने के लिए प्रतिकूल कार्य करने के लिए दंडित करने का प्रवधान है. इसमें तीन साल तक की कैद, जुर्माना या दोनों हो सकते हैं.
वहीं, धारा 505 (1), जिसके तहत अभियोजन की मंजूरी मांगी गई, सार्वजनिक रूप से शरारत पैदा करने वाले बयानों के मामलों से संबंधित है. इसमें उकसाने के इरादे से कोई बयान, अफवाह को प्रकाशित या प्रसारित करना, जिससे जनता या जनता के किसी भी वर्ग के लिए डर फैलाने या सार्वजनिक शांति के खिलाफ अपराध करने के लिए प्रेरित किया जा सकता है, या जो व्यक्तियों के समुदाय को किसी अन्य वर्ग या समुदाय के खिलाफ कोई अपराध करने के लिए उकसाने की संभावना रखता है, में कारावास की सजा दिए जाने या जुर्माना लगाए जाने या दोनों का प्रावधान है. इसके तहत कारावास को छह साल तक बढ़ा जा सकता है.
मौजूदा मामले में छह गिरफ्तार आरोपियों ने खुलासा किया कि वे दंगों में शामिल थे. वे सप्तर्षि इस्पात एंड अलॉयज प्राइवेट लिमिटेड की इमारत में जबरदस्ती घुस गए थे और अन्य दंगाइयों के साथ फर्म के कार्यालय को लूटा था. दंगे के दौरान पीड़ित, चांद बाग मजार के पास 25 फुटा चांद बाग, मुख्य वजीराबाद रोड दिल्ली के सर्विस रोड पर स्थित कंपनी की छत पर गोली लगने से घायल हुआ था. मामले की जांच अपराध शाखा को स्थानांतरित कर दी गई, जिसने गवाहों से पूछताछ की और एक टीवी चैनल के सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो सहित एकत्र किए गए सबूतों का विश्लेषण किया.
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नागरिकता संशोधन अधिनियम के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों के मद्देनजर हुए दंगों के मामलों की जांच में पता चला कि इसके कुछ समय पहले, साजिशकर्ता मुस्लिम बहुल इलाकों में पर्चे बांट रहे थे और प्रचार कर रहे थे कि केंद्र का इरादा मुसलमानों की नागरिकता छीनने का है और उन्हें आगे जाकर डिटेंशन कैंप में डाल दिया जाएगा. उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी), 1973 की धारा 196 (1) के तहत अभियोजन की मंजूरी दी. एफआईआर धारा 144, 145,147, 148, 149, 153 ए, 302, 395, 397, 452, 454, 505, 506, 188 और 120बी के तहत दर्ज की गई थी.
(ANI)
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