नई दिल्ली: मुख्यमंत्री कार्यालय में पहले उपसचिव के रूप में तैनात अधिकारी मुकुल मनराई पर रिश्वतखोरी की शिकायत के खिलाफ उपराज्यपाल ने एसीबी को जांच करने की मंजूरी दे दी है. अधिकारी पर रिश्वत मांगने और एक सिविल डिफेंस वालंटियर को परेशान करने का आरोप है. अधिकारी पर सिविल डिफेंस वालंटियर से उसकी उपस्थिति रजिस्टर को प्रमाणित करने के लिए कथित तौर पर रिश्वत की मांग करने का आरोप है.
शिकायतकर्ता सिविल डिफेंस वालंटियर ने आरोपी अधिकारी की पैसे की मांग करते हुए एक वीडियो रिकॉर्डिंग भी सबूत के तौर पर प्रस्तुत की थी. दिल्ली सरकार के आला अधिकारियों को सबूत के तौर पर ऑडियो रिकॉर्डिंग के साथ शिकायत नवंबर, 2017 में प्राप्त हुई थी. लेकिन मामले को सतर्कता निदेशालय (डीओवी), सामान्य प्रशासन विभाग, प्रशासनिक सुधार विभाग और शिक्षा विभाग के बीच घुमाया जा रहा था. वीडियो रिकॉर्डिंग के साथ शिकायत मिलने पर, एसीबी ने रिकॉर्डिंग की सीडी प्रमाणीकरण के लिए फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी (एफएसएल) को भेजकर जांच शुरू की. एफएसएल ने सीडी को बिना छेड़छाड़ और असली पाया. प्राप्त जानकारी के अनुसार सतर्कता निदेशालय ने सबूतों को देखने के बाद मामले की एसीबी से जांच कराने की सिफारिश की.
अब उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने अधिकारी के खिलाफ प्राप्त शिकायत को संज्ञान लेते हुए एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) को जांच सौंप दी है. उपराज्यपाल ने मुख्यमंत्री कार्यालय में लोक शिकायत प्रबंधन प्रणाली जान संवाद की देखरेख करने वाले तत्कालीन उपसचिव मुकुल मनराई के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम (पीओसी), 1988 की धारा (17ए) के तहत जांच को मंजूरी दी गयी है.
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