ETV Bharat / state

मीटिंग के बाद CM केजरीवाल के दावे को LG ऑफिस ने बताया भ्रामक और मनगढ़ंत

दिल्ली की चुनी हुई सरकार और एलजी के बीच अधिकारों को लेकर लंबे समय बाद सीएम अरविंद केजरीवाल और उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना के बीच मीटिंग हुई. मीटिंग खत्म होने के ठीक बाद सीएम ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की और दावा किया कि वह सारे डॉक्यूमेंट्स लेकर गए थे लेकिन एलजी उनकी एक भी बात मानने को तैयार नहीं है. सीएम के इसी बयान पर एलजी ऑफिस ने सफाई देते हुए कहा कि सीएम के सभी दावे भ्रामक और मनगढ़ंत हैं.

Lg cm meeting tussel
Lg cm meeting tussel
author img

By

Published : Jan 14, 2023, 10:11 AM IST

नई दिल्ली: दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के बीच मीटिंग हुई और उसके बाद सीएम द्वारा प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कही गई बातों को उपराज्यपाल कार्यालय ने खारिज किया है. उपराज्यपाल कार्यालय की तरफ से जारी बयान में मुख्यमंत्री के दावों को भ्रामक और मनगढ़ंत बताया गया है.

उपराज्यपाल कार्यालय की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि बैठक के बाद सुप्रीम कोर्ट के आदेशों, प्रशासक के रूप में उपराज्यपाल की शक्तियां, सभी विषयों पर सर्वोच्च अधिकार और अधिकारियों को निर्देश देने को लेकर मुख्यमंत्री ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में उपराज्यपाल के बारे में जो भी बयान दिए, वह पूरी तरह भ्रामक, झूठे और मनगढ़ंत हैं. उन्होंने अपना एजेंडा साधने के लिए तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश किया. उपराज्यपाल कार्यालय ने मुख्यमंत्री के बयान का सिरे से खंडन कर उन्हें संविधान के प्रावधानों, संसदीय अधिनियम और सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के अनुसार काम करने की सलाह दी. साथ ही मुख्यमंत्री को यह नसीहत भी दी कि सुप्रीम कोर्ट में इस विषय पर चल रही सुनवाई की वजह से मौजूदा कानूनों को कम करके आंकने की भूल ना करें.

उपराज्यपाल कार्यालय के अधिकारियों ने दावा किया कि मीटिंग में उपराज्यपाल ने स्पष्ट रूप से रेखांकित किया कि दिल्ली के लोगों का हित ही दोनों की प्राथमिकता है. मुख्यमंत्री को हर मुद्दे का राजनीतिकरण नहीं करना चाहिए और दिल्ली के विकास के लिए मिलकर काम करना चाहिए. इसके लिए जरूरी है कि प्रशासनिक कामकाज संविधान के मुताबिक हो और सरकारी पैसों का इस्तेमाल जनता की भलाई के लिए किया जाए.

बता दें कि लंबे इंतजार के बाद शुक्रवार शाम में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना की मीटिंग हुई थी. माना जा रहा था कि इस मीटिंग के बाद दोनों के बीच तल्खी कुछ कम हो सकती है. लेकिन इसके विपरीत दोनों के बीच नए सिरे से बयानबाजी और आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है. उपराज्यपाल से मीटिंग के लिए मिलने गए अरविंद केजरीवाल पूरी तरह से तैयार होकर गए थे. वह संविधान के साथ-साथ जीएनसीटीडी एक्ट, ट्रांजेक्शन ऑफ बिज़नेस रूल्स, एजुकेशन एक्ट, मोटर व्हीकल एक्ट, सुप्रीम कोर्ट के संविधान पीठ के आदेश और दिल्ली हाईकोर्ट के आदेशों की कॉपी साथ लेकर पहुंचे थे. मीटिंग के बाद मुख्यमंत्री ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर दावा किया कि उपराज्यपाल उनकी एक भी बात मानने के लिए तैयार नहीं हुए. खुद को दिल्ली का प्रशासक बताते हुए उपराज्यपाल ने साफ कह दिया कि उनके पास फैसला लेने की सुप्रीम पावर है और वह दिल्ली के किसी भी अधिकारी को किसी भी वक्त किसी भी विषय को लेकर आदेश दे सकते हैं. फैसले और फाइल अपने पास मंगा सकते हैं. मुख्यमंत्री ने कहा कि दिल्ली सरकार के कामकाज में उपराज्यपाल का हस्तक्षेप बढ़ता जा रहा है इसकी वजह से सारे काम रुकते जा रहे हैं.

ये भी पढ़ें: LG screws on Kejriwal: अनिल अंबानी की कंपनी से AAP नेताओं को हटाने का निर्देश

नई दिल्ली: दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के बीच मीटिंग हुई और उसके बाद सीएम द्वारा प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कही गई बातों को उपराज्यपाल कार्यालय ने खारिज किया है. उपराज्यपाल कार्यालय की तरफ से जारी बयान में मुख्यमंत्री के दावों को भ्रामक और मनगढ़ंत बताया गया है.

उपराज्यपाल कार्यालय की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि बैठक के बाद सुप्रीम कोर्ट के आदेशों, प्रशासक के रूप में उपराज्यपाल की शक्तियां, सभी विषयों पर सर्वोच्च अधिकार और अधिकारियों को निर्देश देने को लेकर मुख्यमंत्री ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में उपराज्यपाल के बारे में जो भी बयान दिए, वह पूरी तरह भ्रामक, झूठे और मनगढ़ंत हैं. उन्होंने अपना एजेंडा साधने के लिए तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश किया. उपराज्यपाल कार्यालय ने मुख्यमंत्री के बयान का सिरे से खंडन कर उन्हें संविधान के प्रावधानों, संसदीय अधिनियम और सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के अनुसार काम करने की सलाह दी. साथ ही मुख्यमंत्री को यह नसीहत भी दी कि सुप्रीम कोर्ट में इस विषय पर चल रही सुनवाई की वजह से मौजूदा कानूनों को कम करके आंकने की भूल ना करें.

उपराज्यपाल कार्यालय के अधिकारियों ने दावा किया कि मीटिंग में उपराज्यपाल ने स्पष्ट रूप से रेखांकित किया कि दिल्ली के लोगों का हित ही दोनों की प्राथमिकता है. मुख्यमंत्री को हर मुद्दे का राजनीतिकरण नहीं करना चाहिए और दिल्ली के विकास के लिए मिलकर काम करना चाहिए. इसके लिए जरूरी है कि प्रशासनिक कामकाज संविधान के मुताबिक हो और सरकारी पैसों का इस्तेमाल जनता की भलाई के लिए किया जाए.

बता दें कि लंबे इंतजार के बाद शुक्रवार शाम में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना की मीटिंग हुई थी. माना जा रहा था कि इस मीटिंग के बाद दोनों के बीच तल्खी कुछ कम हो सकती है. लेकिन इसके विपरीत दोनों के बीच नए सिरे से बयानबाजी और आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है. उपराज्यपाल से मीटिंग के लिए मिलने गए अरविंद केजरीवाल पूरी तरह से तैयार होकर गए थे. वह संविधान के साथ-साथ जीएनसीटीडी एक्ट, ट्रांजेक्शन ऑफ बिज़नेस रूल्स, एजुकेशन एक्ट, मोटर व्हीकल एक्ट, सुप्रीम कोर्ट के संविधान पीठ के आदेश और दिल्ली हाईकोर्ट के आदेशों की कॉपी साथ लेकर पहुंचे थे. मीटिंग के बाद मुख्यमंत्री ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर दावा किया कि उपराज्यपाल उनकी एक भी बात मानने के लिए तैयार नहीं हुए. खुद को दिल्ली का प्रशासक बताते हुए उपराज्यपाल ने साफ कह दिया कि उनके पास फैसला लेने की सुप्रीम पावर है और वह दिल्ली के किसी भी अधिकारी को किसी भी वक्त किसी भी विषय को लेकर आदेश दे सकते हैं. फैसले और फाइल अपने पास मंगा सकते हैं. मुख्यमंत्री ने कहा कि दिल्ली सरकार के कामकाज में उपराज्यपाल का हस्तक्षेप बढ़ता जा रहा है इसकी वजह से सारे काम रुकते जा रहे हैं.

ये भी पढ़ें: LG screws on Kejriwal: अनिल अंबानी की कंपनी से AAP नेताओं को हटाने का निर्देश

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.