नई दिल्ली: दिल्ली में बिजली की सब्सिडी को लेकर उपराज्यपाल व दिल्ली सरकार के बीच मतभेद सामने आया है. समृद्ध लोगों को बिजली सब्सिडी नहीं देने के दिल्ली विद्युत नियामक आयोग (डीईआरसी) की सलाह को उपराज्यपाल ने कैबिनेट को फैसला लेने का निर्देश दिया है. उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव नरेश कुमार से कहा है कि बिजली विभाग को डीआरसी की वैधानिक सलाह को कैबिनेट के समक्ष रखकर 15 दिनों के अंदर फैसला लिया जाए.
डीईआरसी ने साल 2020 में आम आदमी पार्टी की सरकार को वैधानिक सलाह जारी करते हुए कहा था कि आर्थिक तौर पर कमजोर और जरूरतमंद उपभोक्ताओं तक बिजली सब्सिडी को सीमित रखने पर विचार किया जाना चाहिए. इससे 1 से 5 किलोवाट तक स्वीकृत लोड व बिजली की खपत करने वाले को सब्सिडी का 95 फीसद फायदा मिलता है. ऐसे उपभोक्ता जिन्हें सब्सिडी की जरूरत नहीं है और वह ज्यादा खपत करते हैं, उन्हें सब्सिडी नहीं देने पर सरकारी खजाने में 200 से 316 करोड़ तक की बचत होगी. वहीं, एलजी ने मुख्य सचिव को निर्देश दिया है कि डीईआरसी की वैधानिक सलाह के पालन के लिए इसे कैबिनेट के सामने रखते हुए 15 दिनों में इस पर फैसला लें.
बिजली सब्सिडी को वापसी को लेकर आम आदमी पार्टी ने एलजी पर निशाना साधा है. आप का कहना है कि यह मामला उनके अधिकार क्षेत्र में नहीं है. जिस पर वह फैसला ले रहे हैं. एलजी ने बिजली सब्सिडी के संबंध में वैधानिक रूप से आदेश जारी किया है. यह फैसला कर उन्होंने एक बार फिर संविधान और सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का उल्लंघन किया है. इससे पहले वर्ष 2018 में डीईआरसी ने दिल्ली सरकार से पूछा था कि सरकार उपभोक्ताओं के खाते में सीधे बिजली सब्सिडी हस्तांतरित करने पर विचार करेगी.
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उधर, उपराज्यपाल के निर्देश पर मुख्य सचिव ने बिजली सब्सिडी के लिए नए प्रस्ताव तैयार करने को कहा है. नए नियम के तहत बिजली उपभोक्ताओं द्वारा लिए गए लोड को ध्यान में रखकर सब्सिडी दी जाएगी. प्रस्ताव के अनुसार जिस बिजली उपभोक्ताओं ने अपने घर में बिजली कनेक्शन के लिए तीन किलोवाट तक का कनेक्शन लिया है, उन्हें ही सब्सिडी का लाभ मिलेगा. जिन उपभोक्ताओं का तीन किलोवॉट से अधिक का लोड स्वीकृत है उन्हें बिल में सब्सिडी का लाभ नहीं मिलेगा. डीईआरसी, ऊर्जा विभाग के इस प्रस्ताव को अगर मंजूरी देता है तो अप्रैल के बाद यह लागू हो जाएगा. बता दें कि दिल्ली में कुल बिजली उपभोक्ताओं की संख्या 58 लाख है. इनमें से करीब 91 फीसद उपभोक्ता ऐसे हैं जिनका पावर लोड 3 किलोवाट से कम है. वहीं, 9 फीसदी उपभोक्ता ऐसे हैं जिनका लोड 3 किलोवाट से अधिक है.
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