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जितिन प्रसाद नहीं इकलौते, दिल्ली के ये नेता भी बदल चुके हैं पाला, जानें किसने क्या पाया - उदित राज

राजनीतिक महत्वाकांक्षा और अन्य कारणों से कई नेता पार्टी बदलते रहते हैं. इसी बीच कांग्रेस नेता जितिन प्रसाद (Jitin Prasad) ने बीजेपी का दामन थाम लिया. वैसे कांग्रेस और भाजपा दोनों अलग विचारधारा की पार्टियां हैं, लेकिन नेता अपनी विचारधारा त्याग कर किसी अन्य पार्टी में शामिल होने में कोई गुरेज नहीं करते. आइए जानते हैं ऐसे ही नेताओं के बारे में…

leaders who joined different parties
दिल्ली के ये नेता भी बदल चुके हैं पाला
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Published : Jun 10, 2021, 8:55 AM IST

Updated : Jun 10, 2021, 9:07 AM IST

नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस के कद्दावर नेता जितिन प्रसाद ने भाजपा का दामन थाम लिया है. पूर्व केंद्रीय मंत्री जितिन प्रसाद को भाजपा में कोई अहम जिम्मेदारी मिलने की उम्मीद है. राहुल गांधी (Rahul Gandhi) के करीबी माने जाने वाले प्रसाद के भाजपा में शामिल होने को लेकर सोशल मीडिया पर अलग-अलग तरह की बातें हो रही हैं.

खास बात यह है कि एक पार्टी में सालों तक रहकर साथ छोड़ने वाले जितिन इकलौते नेता नहीं हैं. अलग-अलग राज्यों में चुनावों से पहले नेताओं का एक से दूसरी पार्टी में आना-जाना लगा रहता है. राजधानी दिल्ली के परिपेक्ष में बात करें, तो यहां नेताओं की एक लंबी फेहरिस्त है, जिन्होने मौका पाते ही पार्टी बदल ली. कुछ ने इसके लिए थोड़ा समय लिया और कुछ ने थोड़े समय बाद ही अपनी पार्टी में वापस आ गए.

ये भी पढ़ेंः-क्या कांग्रेस में अंदरूनी तौर पर भरभराकर गिर रहा राहुल गांधी का साम्राज्य ?

अरविंदर सिंह लवली

साल 1998-2017 तक कांग्रेस के सक्रिय सदस्य होने के साथ साथ दिल्ली में मंत्री रहे अरविंदर सिंह लवली (Arvinder Singh Lovely) के भाजपा में शामिल होने की खबर ने सबको सकते में डाल दिया था. उस दौरान अरविंदर सिंह लवली ने पार्टी में घुटन की बात कहते हुए भाजपा का दामन थामा था. साल 2018 में ही अरविंदर सिंह लवली ने कांग्रेस में घर वापसी कर ली. इसके पीछे भाजपा द्वारा उन्हें कोई बड़ी जिम्मेदारी नहीं दिया जाना मुख्य वजह बताया गया.

अलका लांबा

कांग्रेस की छात्र यूनिट से अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत करने वाली चांदी चौक की पूर्व विधायक अलका लांबा (alka lamba) साल 2014 में आम आदमी पार्टी में शामिल हुईं थी. पार्टी ने उन्हें चांदनी चौक विधानसभा से उम्मीदवार बनाया और लांबा जीत भी गईं. पार्टी आलाकमान से लंबे समय तक अन-बन के बाद उन्होंने साल 2019 में घर वापसी कर ली थी. साल 2020 में अलका लांबा कांग्रेस की टिकट पर चांदनी चौक से लड़ी थी और हार गई. मौजूदा समय में वो दिल्ली कांग्रेस कमिटी की सक्रिय सदस्य हैं.

ये भी पढ़ेंः-जितिन प्रसाद के भाजपा में शामिल होने पर जानिए कांग्रेस नेताओं ने क्या कहा

कृष्णा तीरथ

विधायक, दिल्ली सरकार में मंत्री और फिर सांसद, कांग्रेस में लंबे समय तक राजनीतिक तौर पर सक्रिय रहीं कृष्णा तीरथ (Krishna Tirath) ने साल 2015 में भारतीय जनता पार्टी का दामन थामा था. उन्होंने दिल्ली की पटेल नगर सीट से चुनाव लड़ा और हार गई. कृष्णा तीरथ साल 2019 में फिर एक बार कांग्रेस में आ गईं.

आदर्श शास्त्री

दिवंगत प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री के पोते आदर्श शास्त्री (Adarsh Shastri) 2015 के चुनाव में आम आदमी पार्टी की टिकट पर 59.08 फीसदी वोट पाकर जीते थे. उनका नाम आम आदमी पार्टी के भरोसेमंद उम्मीदवारों में गिना जाता था. हालांकि साल 2020 में पार्टी ने उनका टिकट काट दिया. इससे नाराज होकर शास्त्री ने कांग्रेस ज्वाइन कर ली.

ये भी पढ़ेंः-जितिन ने 'हाथ' छोड़ थामा 'कमल', मिशन यूपी के लिए बीजेपी को मिला 'प्रसाद'

उदित राज

दलितों की आवाज बुलंद करने का दावा करने वाले उदित राज (Udit Raj) कभी उत्तर पश्चिमी दिल्ली सीट से भाजपा के सांसद हुआ करते थे. साल 2019 के चुनावों के दौरान पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया, तो वो विरोध में आ गए. भारतीय जनता पार्टी को उन्होंने दलित विरोधी पार्टी बताकर कांग्रेस ज्वाइन कर ली.

शाजिया इल्मी

आम आदमी पार्टी की नेशनल एक्जीक्यूटिव का हिस्सा रहीं शाजिया इल्मी (Shazia Ilmi) ने साल 2014 में पार्टी की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था. उन्होंने आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल पर उन्हें दरकिनार करने का आरोप लगाया था. पार्टी की सदस्यता छोड़ने के बाद साल 2015 में भाजपा से जुड़ गईं. हाल ही में वो सपा के एक नेता के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने के चलते सुर्खियों में आईं थी. प्रदेश भाजपा में भी अब इल्मी बहुत सक्रिय नहीं हैं.

नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस के कद्दावर नेता जितिन प्रसाद ने भाजपा का दामन थाम लिया है. पूर्व केंद्रीय मंत्री जितिन प्रसाद को भाजपा में कोई अहम जिम्मेदारी मिलने की उम्मीद है. राहुल गांधी (Rahul Gandhi) के करीबी माने जाने वाले प्रसाद के भाजपा में शामिल होने को लेकर सोशल मीडिया पर अलग-अलग तरह की बातें हो रही हैं.

खास बात यह है कि एक पार्टी में सालों तक रहकर साथ छोड़ने वाले जितिन इकलौते नेता नहीं हैं. अलग-अलग राज्यों में चुनावों से पहले नेताओं का एक से दूसरी पार्टी में आना-जाना लगा रहता है. राजधानी दिल्ली के परिपेक्ष में बात करें, तो यहां नेताओं की एक लंबी फेहरिस्त है, जिन्होने मौका पाते ही पार्टी बदल ली. कुछ ने इसके लिए थोड़ा समय लिया और कुछ ने थोड़े समय बाद ही अपनी पार्टी में वापस आ गए.

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अरविंदर सिंह लवली

साल 1998-2017 तक कांग्रेस के सक्रिय सदस्य होने के साथ साथ दिल्ली में मंत्री रहे अरविंदर सिंह लवली (Arvinder Singh Lovely) के भाजपा में शामिल होने की खबर ने सबको सकते में डाल दिया था. उस दौरान अरविंदर सिंह लवली ने पार्टी में घुटन की बात कहते हुए भाजपा का दामन थामा था. साल 2018 में ही अरविंदर सिंह लवली ने कांग्रेस में घर वापसी कर ली. इसके पीछे भाजपा द्वारा उन्हें कोई बड़ी जिम्मेदारी नहीं दिया जाना मुख्य वजह बताया गया.

अलका लांबा

कांग्रेस की छात्र यूनिट से अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत करने वाली चांदी चौक की पूर्व विधायक अलका लांबा (alka lamba) साल 2014 में आम आदमी पार्टी में शामिल हुईं थी. पार्टी ने उन्हें चांदनी चौक विधानसभा से उम्मीदवार बनाया और लांबा जीत भी गईं. पार्टी आलाकमान से लंबे समय तक अन-बन के बाद उन्होंने साल 2019 में घर वापसी कर ली थी. साल 2020 में अलका लांबा कांग्रेस की टिकट पर चांदनी चौक से लड़ी थी और हार गई. मौजूदा समय में वो दिल्ली कांग्रेस कमिटी की सक्रिय सदस्य हैं.

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कृष्णा तीरथ

विधायक, दिल्ली सरकार में मंत्री और फिर सांसद, कांग्रेस में लंबे समय तक राजनीतिक तौर पर सक्रिय रहीं कृष्णा तीरथ (Krishna Tirath) ने साल 2015 में भारतीय जनता पार्टी का दामन थामा था. उन्होंने दिल्ली की पटेल नगर सीट से चुनाव लड़ा और हार गई. कृष्णा तीरथ साल 2019 में फिर एक बार कांग्रेस में आ गईं.

आदर्श शास्त्री

दिवंगत प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री के पोते आदर्श शास्त्री (Adarsh Shastri) 2015 के चुनाव में आम आदमी पार्टी की टिकट पर 59.08 फीसदी वोट पाकर जीते थे. उनका नाम आम आदमी पार्टी के भरोसेमंद उम्मीदवारों में गिना जाता था. हालांकि साल 2020 में पार्टी ने उनका टिकट काट दिया. इससे नाराज होकर शास्त्री ने कांग्रेस ज्वाइन कर ली.

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उदित राज

दलितों की आवाज बुलंद करने का दावा करने वाले उदित राज (Udit Raj) कभी उत्तर पश्चिमी दिल्ली सीट से भाजपा के सांसद हुआ करते थे. साल 2019 के चुनावों के दौरान पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया, तो वो विरोध में आ गए. भारतीय जनता पार्टी को उन्होंने दलित विरोधी पार्टी बताकर कांग्रेस ज्वाइन कर ली.

शाजिया इल्मी

आम आदमी पार्टी की नेशनल एक्जीक्यूटिव का हिस्सा रहीं शाजिया इल्मी (Shazia Ilmi) ने साल 2014 में पार्टी की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था. उन्होंने आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल पर उन्हें दरकिनार करने का आरोप लगाया था. पार्टी की सदस्यता छोड़ने के बाद साल 2015 में भाजपा से जुड़ गईं. हाल ही में वो सपा के एक नेता के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने के चलते सुर्खियों में आईं थी. प्रदेश भाजपा में भी अब इल्मी बहुत सक्रिय नहीं हैं.

Last Updated : Jun 10, 2021, 9:07 AM IST
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