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Yamuna Human Chain: वजीराबाद से कालिंदी कुंज तक लाखों लोगों ने बनाई मानव श्रृंखला, जानें क्या हैं इसके उद्देश्य

यमुना नदी इतनी प्रदूषित हो चुकी है कि इसे अब नाले की संज्ञा दी जाने लगी है. इसकी साफ-सफाई को लेकर लोगों ने रविवार को वजीरावाद से लेकर कालिंदी कुंज तक करीब 22 किमी तक एक मानव श्रृंखला बनाई. मानव श्रृंखला का उद्देश्य आम जनमानस और सरकार का ध्यान इस ओर आकर्षित करना है, ताकि नदी को इसके पुराने स्वरूप में लाया जा सके.

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Published : Jun 4, 2023, 10:32 AM IST

Updated : Jun 4, 2023, 3:20 PM IST

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नई दिल्लीः राजधानी दिल्ली में यमुना नदी की बदहाल स्थिति किसी से छिपी नहीं है. अक्सर यमुना की बदहाल तस्वीरें सामने आत रहती है. इसके उत्थान को लेकर सरकारी तौर पर कई कदम उठाए जा रहे हैं. वहीं अब सामाजिक स्तर पर भी इसको लेकर बड़ी मुहिम चलाई जा रही है. यमुना संसद के तत्वधान में यमुना के प्रति जन भागीदारी सुनिश्चित करने और लोगों को इसके प्रति जागरूक करने के लिए वजीराबाद से कालिंदी कुंज के बीच करीब 22 किलोमीटर तक सभी महत्वपूर्ण यमुना घाटों पर मानव श्रृंखला बनाई गई. इसमें धार्मिक, राजनीतिक, व्यापारिक, सामाजिक, आरडब्ल्यूए, शैक्षणिक, सांस्कृतिक क्षेत्रों से जुड़ी हस्तियों और आम लोगों ने बढ़चढ़कर हिस्सा लिया. कार्यक्रम की शुरुआत यमुना नदी के पूजन से की गई.

वजीरावाद में लोगों ने हिस्सा लियाः उत्तरी दिल्ली के वजीराबाद घाट पर बड़ी संख्या में लोग यमुना किनारे पहुंचे. यहां लोगों ने मानव श्रृंखला बनाकर यमुना को बचाने के लिए एकजुटता प्रदर्शित की. साथ ही लोगों ने शपथ ली कि वे यमुना को अब मैला नहीं करेंगे और नदी के अस्तित्व को बचाने के लिए काम करेंगे. अब एक बार फिर से हजारों साल पहले वाला यमुना का पुराना स्वरूप दिखेगा.

ITO घाट पर यमुना संसद का आयोजनः यमुना के अलग-अलग घाटों पर यमुना संसद का आयोजन किया गया. इस दौरान हजारों की संख्या में लोगों ने मानव श्रृंखला बना कर यमुना को स्वच्छ रखने में एकजुटता का संदेश दिया. इस कार्यक्रम में अलग अलग राजनीतिक दलों के नेता भी शामिल हुए. आइटीओ के छठ घाट पर आयोजित यमुना संसद में दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय और दिल्ली प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा के साथ धर्मगुरु भी मौजूद रहे.

नेताओं की प्रतिक्रियाः दिल्ली सरकार के प्रयावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा कि यमुना संसद में दिल्ली के सभी राजनीतिक, धार्मिक व्यापारिक संगठनों ने हिस्सा लिया है. इस कार्यक्रम का मकसद सरकारी प्रयास के अलावा लोगों को भी जागरूक करना है, ताकि समाज के लोग भी अपने स्तर पर सहयोग करें. वहीं वीरेंद्र सचदेवा ने कहा कि दिल्ली सरकार के यमुना की सफाई के दावे सबके सामने हैं. जब सरकार काम नहीं करती, तब जन आंदोलन होता है. आज इसकी शुरुआत हुई है. उम्मीद है कि यमुना साफ और स्वच्छ होगी.

कालिंदी कुंज घाट पर लोगों की भागीदारीः कालिंदी कुंज यमुना घाट पर भी बड़ी संख्या में रविवार सुबह से लोग एकत्रित हुए और यमुना के प्रति अपनी आस्था व्यक्त की. यमुना संसद में भाग लेने वाले लोगों ने बताया कि यमुना के प्रति लोगों की जागरूकता सुनिश्चित करने के लिए यहां पर मानव श्रृंखला बनाई गई है. दिल्ली के वजीराबाद से लेकर कालिंदी कुंज के बीच मानव श्रृंखला के लिए बनाए गए 8 पॉइंट पर एकत्रित हुए और मानव श्रृंखला बनाई. लोगों ने सरकार से मांग की कि यमुना की बदहाल स्थिति को ठीक किया जाए ताकि यमुना स्वच्छ निर्मल होकर अविरल होकर बह सके.

मैली क्यों है यमुनाः दिल्ली के 8 बड़े नालों के जरिए 350 लाख लीटर से ज्यादा गंदा पानी प्रतिदिन सीधे यमुना में बहाया जाता है. यमुना की सफाई के लिए डीडीए, दिल्ली जल बोर्ड, डीयूएसआईबी, डीएसआईआईडीसी, डीपीसीसी और कई अन्य एजेंसियां काम कर रही है. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उनकी सरकार की मानें तो वर्ष 2025 तक यमुना को हर हाल में साफ कर देंगे. लेकिन एक्शन में वह तेजी नहीं दिख रही जो होनी चाहिए.

अब तक यमुना के लिए किए गए कार्यः दिल्ली में यमुना के साथ अभी तक खिलवाड़ ही हुआ है. यमुना नदी की दुर्दशा पर पहली बार वर्ष 1993 पर ध्यान गया. तब यमुना एक्शन प्लान बनाया गया. आज 30 सालों के इस सफर में 1500 करोड़ से अधिक रुपए सफाई के नाम पर बहा दिए गए. मगर यमुना का बहाव निर्मल और निर्बाध सरकारें नहीं कर पाई. यमुना सफाई के नाम पर बने सरकारी प्रोजेक्ट हर साल बजट लोकेशन में अपनी जगह तो बनाते हैं, लेकिन यमुना की तस्वीर उस बजट से नहीं बदली है. अगर यमुना साफ होती तो दिल्ली में दशकों से चली आ रही पानी की समस्या दूर हो जाती. मगर प्रदूषण की मार ने इस यमुना नदी को ऐसी चोट पहुंचाई है कि इसके पानी को छूने तक से लोग गुरेज करते हैं. दिल्ली के पड़ोसी राज्य उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा में बटवारा में यमुना का कुदरती रूप से पानी का बहाव पूरे साल एक समान नहीं रहा.

ये भी पढ़ेंः ओडिशा रेल हादसा: प्रारंभिक जांच रिपोर्ट सौंपी गई, PM मोदी ने दोषियों पर कड़ी कार्रवाई का वादा किया

मानव शृंखला का हिस्सा बने राष्ट्रवादी चिंतक केएन गोविंदाचार्य ने बताया कि यह यमुना संरक्षण आंदोलन जनता द्वारा जनता की भलाई के लिए किया गया जन आंदोलन है. यमुना की सफाई होने के लोगों का स्वस्थ भी ठीक रहेगा. यह एक अनूठा और सफल प्रयास है. अगर सरकार यमुना ने गंदे नालों के पानी को छोड़ना बंद नहीं करेगी, तो जनता खुद ही नालों को बंद करने लग जाएगी.

यमुना संसद के संयोजक रवि शंकर तिवारी का कहना है कि सुबह यमुना जी के तट के दृश्य ने हमें नि:शब्द कर गया है. लोगों ने अभियान का हिस्सा बनकर सफल बना दिया. सभी का धन्यवाद. अब यमुना सफाई से जुड़े विषयों पर सरकार के साथ संवाद करेंगे. समय-समय पर आम जनमानस को एकजुट कर सुनिश्चित करेंगे कि नदी को साफ और अवरिल बनाया जाए.

यमुना संसद के कार्यक्रम में कई संगठन शामिल: यमुना संसद के कार्यक्रम में अखिल भारतीय विश्व गायत्री परिवार, निरंकारी समाज, श्री यमुना सेवा समिति, नामधारी समाज, ईश्वरीय ब्रम्हाकुमारी प्रजापति, दिल्ली सिख गुरूद्वारा प्रबंधक कमेटी, इस्कॉन, फतेहपुरी मस्जिद के इमाम समेत कई धार्मिक संस्थाएँ शामिल हुई. इसके आलावे और 1,800 से ज्यादा सामाजिक, स्वयंसेवी, व्यापारिक संस्थाओं, दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन, ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन, सभी राजनीतिक दलों का सार्थक और सकारात्मक सहयोग मिला.

वजीराबाद से कालिंदी कुंज तक लाखों लोगों ने बनाई मानव श्रृंखला

ये भी पढे़ंः World Environment Day: वातावरण को स्वच्छ और खुशनुमा बनाते ये पौधे, जानें इनडोर प्लांट्स की खासियतें

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नई दिल्लीः राजधानी दिल्ली में यमुना नदी की बदहाल स्थिति किसी से छिपी नहीं है. अक्सर यमुना की बदहाल तस्वीरें सामने आत रहती है. इसके उत्थान को लेकर सरकारी तौर पर कई कदम उठाए जा रहे हैं. वहीं अब सामाजिक स्तर पर भी इसको लेकर बड़ी मुहिम चलाई जा रही है. यमुना संसद के तत्वधान में यमुना के प्रति जन भागीदारी सुनिश्चित करने और लोगों को इसके प्रति जागरूक करने के लिए वजीराबाद से कालिंदी कुंज के बीच करीब 22 किलोमीटर तक सभी महत्वपूर्ण यमुना घाटों पर मानव श्रृंखला बनाई गई. इसमें धार्मिक, राजनीतिक, व्यापारिक, सामाजिक, आरडब्ल्यूए, शैक्षणिक, सांस्कृतिक क्षेत्रों से जुड़ी हस्तियों और आम लोगों ने बढ़चढ़कर हिस्सा लिया. कार्यक्रम की शुरुआत यमुना नदी के पूजन से की गई.

वजीरावाद में लोगों ने हिस्सा लियाः उत्तरी दिल्ली के वजीराबाद घाट पर बड़ी संख्या में लोग यमुना किनारे पहुंचे. यहां लोगों ने मानव श्रृंखला बनाकर यमुना को बचाने के लिए एकजुटता प्रदर्शित की. साथ ही लोगों ने शपथ ली कि वे यमुना को अब मैला नहीं करेंगे और नदी के अस्तित्व को बचाने के लिए काम करेंगे. अब एक बार फिर से हजारों साल पहले वाला यमुना का पुराना स्वरूप दिखेगा.

ITO घाट पर यमुना संसद का आयोजनः यमुना के अलग-अलग घाटों पर यमुना संसद का आयोजन किया गया. इस दौरान हजारों की संख्या में लोगों ने मानव श्रृंखला बना कर यमुना को स्वच्छ रखने में एकजुटता का संदेश दिया. इस कार्यक्रम में अलग अलग राजनीतिक दलों के नेता भी शामिल हुए. आइटीओ के छठ घाट पर आयोजित यमुना संसद में दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय और दिल्ली प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा के साथ धर्मगुरु भी मौजूद रहे.

नेताओं की प्रतिक्रियाः दिल्ली सरकार के प्रयावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा कि यमुना संसद में दिल्ली के सभी राजनीतिक, धार्मिक व्यापारिक संगठनों ने हिस्सा लिया है. इस कार्यक्रम का मकसद सरकारी प्रयास के अलावा लोगों को भी जागरूक करना है, ताकि समाज के लोग भी अपने स्तर पर सहयोग करें. वहीं वीरेंद्र सचदेवा ने कहा कि दिल्ली सरकार के यमुना की सफाई के दावे सबके सामने हैं. जब सरकार काम नहीं करती, तब जन आंदोलन होता है. आज इसकी शुरुआत हुई है. उम्मीद है कि यमुना साफ और स्वच्छ होगी.

कालिंदी कुंज घाट पर लोगों की भागीदारीः कालिंदी कुंज यमुना घाट पर भी बड़ी संख्या में रविवार सुबह से लोग एकत्रित हुए और यमुना के प्रति अपनी आस्था व्यक्त की. यमुना संसद में भाग लेने वाले लोगों ने बताया कि यमुना के प्रति लोगों की जागरूकता सुनिश्चित करने के लिए यहां पर मानव श्रृंखला बनाई गई है. दिल्ली के वजीराबाद से लेकर कालिंदी कुंज के बीच मानव श्रृंखला के लिए बनाए गए 8 पॉइंट पर एकत्रित हुए और मानव श्रृंखला बनाई. लोगों ने सरकार से मांग की कि यमुना की बदहाल स्थिति को ठीक किया जाए ताकि यमुना स्वच्छ निर्मल होकर अविरल होकर बह सके.

मैली क्यों है यमुनाः दिल्ली के 8 बड़े नालों के जरिए 350 लाख लीटर से ज्यादा गंदा पानी प्रतिदिन सीधे यमुना में बहाया जाता है. यमुना की सफाई के लिए डीडीए, दिल्ली जल बोर्ड, डीयूएसआईबी, डीएसआईआईडीसी, डीपीसीसी और कई अन्य एजेंसियां काम कर रही है. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उनकी सरकार की मानें तो वर्ष 2025 तक यमुना को हर हाल में साफ कर देंगे. लेकिन एक्शन में वह तेजी नहीं दिख रही जो होनी चाहिए.

अब तक यमुना के लिए किए गए कार्यः दिल्ली में यमुना के साथ अभी तक खिलवाड़ ही हुआ है. यमुना नदी की दुर्दशा पर पहली बार वर्ष 1993 पर ध्यान गया. तब यमुना एक्शन प्लान बनाया गया. आज 30 सालों के इस सफर में 1500 करोड़ से अधिक रुपए सफाई के नाम पर बहा दिए गए. मगर यमुना का बहाव निर्मल और निर्बाध सरकारें नहीं कर पाई. यमुना सफाई के नाम पर बने सरकारी प्रोजेक्ट हर साल बजट लोकेशन में अपनी जगह तो बनाते हैं, लेकिन यमुना की तस्वीर उस बजट से नहीं बदली है. अगर यमुना साफ होती तो दिल्ली में दशकों से चली आ रही पानी की समस्या दूर हो जाती. मगर प्रदूषण की मार ने इस यमुना नदी को ऐसी चोट पहुंचाई है कि इसके पानी को छूने तक से लोग गुरेज करते हैं. दिल्ली के पड़ोसी राज्य उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा में बटवारा में यमुना का कुदरती रूप से पानी का बहाव पूरे साल एक समान नहीं रहा.

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मानव शृंखला का हिस्सा बने राष्ट्रवादी चिंतक केएन गोविंदाचार्य ने बताया कि यह यमुना संरक्षण आंदोलन जनता द्वारा जनता की भलाई के लिए किया गया जन आंदोलन है. यमुना की सफाई होने के लोगों का स्वस्थ भी ठीक रहेगा. यह एक अनूठा और सफल प्रयास है. अगर सरकार यमुना ने गंदे नालों के पानी को छोड़ना बंद नहीं करेगी, तो जनता खुद ही नालों को बंद करने लग जाएगी.

यमुना संसद के संयोजक रवि शंकर तिवारी का कहना है कि सुबह यमुना जी के तट के दृश्य ने हमें नि:शब्द कर गया है. लोगों ने अभियान का हिस्सा बनकर सफल बना दिया. सभी का धन्यवाद. अब यमुना सफाई से जुड़े विषयों पर सरकार के साथ संवाद करेंगे. समय-समय पर आम जनमानस को एकजुट कर सुनिश्चित करेंगे कि नदी को साफ और अवरिल बनाया जाए.

यमुना संसद के कार्यक्रम में कई संगठन शामिल: यमुना संसद के कार्यक्रम में अखिल भारतीय विश्व गायत्री परिवार, निरंकारी समाज, श्री यमुना सेवा समिति, नामधारी समाज, ईश्वरीय ब्रम्हाकुमारी प्रजापति, दिल्ली सिख गुरूद्वारा प्रबंधक कमेटी, इस्कॉन, फतेहपुरी मस्जिद के इमाम समेत कई धार्मिक संस्थाएँ शामिल हुई. इसके आलावे और 1,800 से ज्यादा सामाजिक, स्वयंसेवी, व्यापारिक संस्थाओं, दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन, ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन, सभी राजनीतिक दलों का सार्थक और सकारात्मक सहयोग मिला.

वजीराबाद से कालिंदी कुंज तक लाखों लोगों ने बनाई मानव श्रृंखला

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Last Updated : Jun 4, 2023, 3:20 PM IST
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