नई दिल्ली: हर व्यक्ति अपने को स्वस्थ रखने की हर मुमकिन कोशिश करता है. खास तौर पर कोरोना महामारी के बाद लोगों ने अपनी सेहत पर ज्यादा ध्यान देना शुरू कर दिया है. खासकर खान पान पर विशेष ध्यान दे रहे हैं. स्वस्थ शरीर के लिए अब लोगों की थालियों में मिलेट्स या मोटा अनाज जगह बन रहा है. मोटे अनाज के फायदे को लेकर केंद्र सरकार कई तरह के जागरूक कार्यक्रम चला रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अमेरिका दौरे पर वहां के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने उनको मिलेट्स से बने व्यंजनों की दावत दी.
क्या हैं मोटे अनाज
ज्वार, बाजरा, मक्का, रागी (महुआ), जौ, कोदो, सांवा, कुटकी और चीना जैसे अनाज मोटे अनाज की श्रेणी में आते हैं. हमें मोटे अनाजों को अपने खानपान में शामिल करके निरोग और स्वस्थ रह सकते हैं.
रागी
रागी का सेवन करने वाले लोगों की हड्डी रोग की समस्या नहीं होती है. क्योंकि इसमें कैल्शियम बहुतायत में पाया जाता है. 100 ग्राम रागी में 344 मिलीग्राम कैल्शियम पाया जाता है, जो शरीर की हड्डियों को मजबूत करता है. इसके अलावा मधुमेह रोग में रागी का प्रयोग काफी लाभदायक होता है. रागी से आप कई तरह के स्वादिष्ट पकवान भी बना सकते हैं. इससे खिचड़ी, इडली, हल्वा, परांठा आदि बनाकर प्रयोग किया जा सकता है.
बाजरा
बाजरे में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, आयरन और केरोटीन होता है. यह शरीर को ताकत प्रदान करता है. वैसे इसमें पाइटिक अम्ल, पॉलीफेनॉल जैसी कुछ हानिकारक तत्व भी पाए जाते हैं. अगर इसे पानी में भिगोकर अंकुरित कर और पकाने के बाद खाया जाता है, तो सभी पोषणरोधी तत्वों में कमी हो जाती है. बाजरे से आप रोटी के अलावा स्वादिष्ट लड्डू, पुए, कटलेट और मलीदा बना सकते हैं.
ज्वार
ज्वार सब से ज्यादा नाइजीरिया में उगाया जाता है. भारत में इसको कर्णाटक, तमिलनाडु और आंध्र में उगाया जाता है. इसमें प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, कॉपर, आयरन और फाइबर प्रचुर मात्रा में पाया जाता है. यह पाचन तंत्र को दुरुस्त रखने में सहायक है. शराब, बेबी फ़ूड, ब्रेड और बिस्किट बनाने में ज्वार का प्रयोग किया जाता है. अन्य मोटे अनाजों की तुलना में ज्वार का अधिकतम उपयोग उद्योगों में किया जाता है. यह विश्व में उगाया जाने वाला 5वां महत्वपूर्ण अनाज है. इससे रोटी, पकोड़ी, चीला, समोसा, ब्रेड पकोड़े. इसके अलावा ज्वार से ब्राउनी भी बनाई जा सकती है.
मक्का
विटामिन ए, फॉलिक एसिड और एंटी ऑक्सीडेंट से भरपूर मक्का दिल के मरीजों, गर्भवती स्त्रियों और कैंसर रोगियों के लिए काफी फायदेमंद है. इसमें कार्बोहाइड्रेट और कैलोरी अधिक मात्रा में पाया जाता है. मक्का से आप रोटी, परांठा, कटलेट, चीला आदि बनाकर खा सकते हैं.
जौ
जौ अर्थात बार्ले में प्रोटीन, फाइबर, आयरन, मैग्नीशियम, पोटैशियम और कैल्शियम जैसे पौष्टिक तत्व भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं. इसमें पाए जाने वाले 8 तरह के अमीनो एसिड शरीर में इंसुलिन निर्माण का कार्य करते हैं. जौ का दलिया, रोटी, खीर आदि बनाकर इसका इस्तेमाल कर सकते हैं.
कोदो
कोदो में हाई प्रोटीन, फाइबर और विभिन्न विटामिन पोषक तत्वों की भरमार है. यह हाइपरटेंशन और घाव को ठीक करने में काफी मददगार है. कोदो से आप रोटी, इडली, डोसा और दलिया सहित विभिन्न पारंपरिक व्यंजनों को बना सकते हैं.
कुटकी
कुटकी को छोटा बाजरा भी कहा जाता है. इसका ज्यादातर इस्तेमाल पके हुए सामान, स्नैक्स, सलाद, फ्लैटब्रेड और यहां तक कि चावल के विकल्प के रूप में भी शामिल है. इसके फूलों का उपयोग प्राकृतिक खाद्य रंग के रूप में किया जाता है. इसमें कार्बोहइड्रेट काफी मात्रा में पाया जाता है. इसके सेवन से किडनी को दुरस्त रखा जा सकता है.
कांगनी
कांगनी में आहारीय फाइबर और महत्वपूर्ण पोषक तत्वों की भरमार होती है. इससे विभिन्न प्रकार के स्वादिष्ट और मीठे व्यंजन बनाये जा सकते हैं. साथ ही इसको चावल का एक बेहतरीन विकल्प माना जाता है और लंबे समय तक पेट भरा हुआ महसूस कराता है.
सांवा
सांवा पोषक तत्वों से भरपूर है और विटामिन, कैल्शियम, आयरन और फाइबर का अच्छा स्रोत है. इसका स्वाद हल्का, पौष्टिक होता है. इसका उपयोग दलिया, ब्रेड और चावल के विकल्प सहित विभिन्न प्रकार के मीठे और नमकीन व्यंजनों में किया जाता है.
चीना
चीना में विटामिन और प्रोटीन पाया जाता है. इसका इस्तेमाल कर कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल करने के साथ साथ लिवर को ठीक रखा जा सकता है. इसे अक्सर आटे में पीसकर रोटी, दलिया, मीठा और नमकीन व्यंजन बनाने के लिए उपयोग किया जाता है.
अब आप के लिए आसान हो जाएगा कि मोटे अनाज को किस तरह अपने डेली रूटीन के इस्तेमाल में लाएं? वहीं अगर आप बाहर किसी रेस्टोरेंट में मोटे अनाज से बने स्वादिष्ट व्यंजनों का लजीज जायका चखना चाहते हैं, तो आप दिल्ली के INA स्थित दिल्ली हाट में "मिलेट्स एक्सपीरियंस सेंटर" जा सकते हैं. यहां मोटे अनाज की तमाम वैरायटी मौजूद है.
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