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Agrasen ki Baoli : वर्षों पहले सुख चुके अग्रसेन की बावली में पानी आने से एएसआई खुश, हुई घेराबंदी

मुगलों द्वारा राजधानी दिल्ली में निर्मित बावली आज भी अपनी कहानी से लोगों को रूबरू कराती हैं. समय के साथ-साथ हजारों वर्ष पुराने बावली सुख गईं. लेकिन दिल्ली में एक ऐसा बावली भी है, जिसको देखने के लिए काफी संख्या में पर्यटक आते हैं.

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Published : Apr 12, 2023, 2:59 PM IST

अग्रसेन की बावली में आया पानी.

नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली में राजाओं और मुगलों द्वारा निर्मित बावली आज भी अपनी कहानी से लोगों को रूबरू कराती हैं. वक्त के साथ हजारों वर्ष पुराने बावली सुख गईं. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग बावली को संरक्षित कर रही हैं. मुगलों के समय में लबालब बावलियां अब सुख चुकी हैं. बहरहाल, आज हम आपको एक ऐसी बावली के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसका इतिहास काफी गहरा है. अग्रसेन की बावली नाम तो आपने सुना ही होगा. यह बावली दिल्ली के दिल कहलाने वाले कनॉट प्लेस में स्थित है. इस बावली की खास बात यह है कि सर्दी हो या गर्मी यहां भारी संख्या में पर्यटक पहुंचते हैं. इनमें प्रेमी जोड़ों की संख्या अधिक रहती है.

यह बावली जो कभी पानी से लबालब रहती थी. वक्त के साथ सुख गई. इसके पीछे मुख्य कारण यहां पर दिल्ली मेट्रो के कार्य को माना जाता रहा है. जब यहां पर मेट्रो कार्य विस्तार हुआ तो यहां पर बावली का पानी का स्तर कम होता चला गया. आलम यह रहा कि जल स्तर इतना कम हुआ कि बावली का पानी ही सुख गया. वर्षों तक अग्रसेन की बावली में पानी नहीं आया, अब आप इसे चमत्कार कहें या फिर कुछ और. वर्षों पहले सुख चुकी अग्रेसन की बावली में प्राकृतिक रूप से पानी आया है. बावली में पानी आने से एएसआई खुश है और एएसआई का मानना है कि यह पानी प्राकृतिक रूप से आया है. एएसआई की मानें तो बावली में पानी का जलस्तर भी बढ़ रहा है.

एएसआई के दिल्ली सर्कल चीफ व सुपरिटेंडेंट आर्कियोलॉजिस्ट प्रवीण सिंह ने बताया कि बावली में वर्षों पहले जलस्तर नीचे चला गया था. यहां पानी लाने के लिए प्रयास किए जा रहे थे. हालांकि, वर्षों बाद प्राकृतिक रूप से पानी आना किसी खुशी से कम नहीं है. उन्होंने कहा कि बावली में जलस्तर बरकरार रखने के लिए संरक्षण कार्य जारी रहेगा. इसमें 100 से अधिक सीढ़ियां हैं, जो जल स्तर तक ले जाती हैं. हालांकि, यहां आने वाले लोगों की सुरक्षा के लिए सुरक्षा कर्मी तैनात हैं और नीचे सीढ़ी तक लोगों को जाने की मनाही है. बावली में कोई गिर न जाए कोई घटना न हो इसलिए नीचे रस्सी लगाकर घेराबंदी कर दी गई है. साथ ही लोगों को निर्देश भी दिया जाता है कि वह ऊपर की सीढ़ियां पर ही रहें.

ये भी पढ़ें : Delhi Liquor Scam: मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका पर आज होगी बहस, ईडी पेश कर सकती और सबूत

फिल्मों की शूटिंग भी हुई है: अग्रसेन की बावली दिल्ली में इतनी मशहूर है कि इस लोकेशन पर कई हिंदी फ़िल्मों की कई सीन की शूटिंग भी हुई है. सलमान खान की सुल्तान सहित अन्य फिल्में भी हैं. वहीं, यहां पर डॉक्यूमेंट्री भी बनाई गई हैं. यहां गर्मी के दिनों में भारी संख्या में प्रेमी जोड़े यहां राहत पाने के लिए पहुंचते हैं. नोएडा से आई रीना ने बताया कि जब कॉलेज में थी तब दोस्तों के साथ यहां आई थी. तब पानी सुख गया था. अब परिवार संग आई हूं. पानी देखकर काफी अच्छा लगा.

कब हुआ था निर्माण : अग्रसेन की बावली का का निर्माण कार्य 14वीं शताब्दी में महाराजा उग्रसेन नामक अग्रोहा के राजा द्वारा किया था. इस बावली को बनाने के पीछे मकसद यह था कि पानी के लिए लोगों को दूरदराज इलाकों में न जाना पड़े. यहां पानी के साथ सीढ़ियों पर बैठकर ठंडक मिलती थी. पानी की सुविधा के लिए ही दिल्ली में अन्य जगहों पर बावली का निर्माण हुआ.

अग्रसेन की बावली में आया पानी.

नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली में राजाओं और मुगलों द्वारा निर्मित बावली आज भी अपनी कहानी से लोगों को रूबरू कराती हैं. वक्त के साथ हजारों वर्ष पुराने बावली सुख गईं. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग बावली को संरक्षित कर रही हैं. मुगलों के समय में लबालब बावलियां अब सुख चुकी हैं. बहरहाल, आज हम आपको एक ऐसी बावली के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसका इतिहास काफी गहरा है. अग्रसेन की बावली नाम तो आपने सुना ही होगा. यह बावली दिल्ली के दिल कहलाने वाले कनॉट प्लेस में स्थित है. इस बावली की खास बात यह है कि सर्दी हो या गर्मी यहां भारी संख्या में पर्यटक पहुंचते हैं. इनमें प्रेमी जोड़ों की संख्या अधिक रहती है.

यह बावली जो कभी पानी से लबालब रहती थी. वक्त के साथ सुख गई. इसके पीछे मुख्य कारण यहां पर दिल्ली मेट्रो के कार्य को माना जाता रहा है. जब यहां पर मेट्रो कार्य विस्तार हुआ तो यहां पर बावली का पानी का स्तर कम होता चला गया. आलम यह रहा कि जल स्तर इतना कम हुआ कि बावली का पानी ही सुख गया. वर्षों तक अग्रसेन की बावली में पानी नहीं आया, अब आप इसे चमत्कार कहें या फिर कुछ और. वर्षों पहले सुख चुकी अग्रेसन की बावली में प्राकृतिक रूप से पानी आया है. बावली में पानी आने से एएसआई खुश है और एएसआई का मानना है कि यह पानी प्राकृतिक रूप से आया है. एएसआई की मानें तो बावली में पानी का जलस्तर भी बढ़ रहा है.

एएसआई के दिल्ली सर्कल चीफ व सुपरिटेंडेंट आर्कियोलॉजिस्ट प्रवीण सिंह ने बताया कि बावली में वर्षों पहले जलस्तर नीचे चला गया था. यहां पानी लाने के लिए प्रयास किए जा रहे थे. हालांकि, वर्षों बाद प्राकृतिक रूप से पानी आना किसी खुशी से कम नहीं है. उन्होंने कहा कि बावली में जलस्तर बरकरार रखने के लिए संरक्षण कार्य जारी रहेगा. इसमें 100 से अधिक सीढ़ियां हैं, जो जल स्तर तक ले जाती हैं. हालांकि, यहां आने वाले लोगों की सुरक्षा के लिए सुरक्षा कर्मी तैनात हैं और नीचे सीढ़ी तक लोगों को जाने की मनाही है. बावली में कोई गिर न जाए कोई घटना न हो इसलिए नीचे रस्सी लगाकर घेराबंदी कर दी गई है. साथ ही लोगों को निर्देश भी दिया जाता है कि वह ऊपर की सीढ़ियां पर ही रहें.

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फिल्मों की शूटिंग भी हुई है: अग्रसेन की बावली दिल्ली में इतनी मशहूर है कि इस लोकेशन पर कई हिंदी फ़िल्मों की कई सीन की शूटिंग भी हुई है. सलमान खान की सुल्तान सहित अन्य फिल्में भी हैं. वहीं, यहां पर डॉक्यूमेंट्री भी बनाई गई हैं. यहां गर्मी के दिनों में भारी संख्या में प्रेमी जोड़े यहां राहत पाने के लिए पहुंचते हैं. नोएडा से आई रीना ने बताया कि जब कॉलेज में थी तब दोस्तों के साथ यहां आई थी. तब पानी सुख गया था. अब परिवार संग आई हूं. पानी देखकर काफी अच्छा लगा.

कब हुआ था निर्माण : अग्रसेन की बावली का का निर्माण कार्य 14वीं शताब्दी में महाराजा उग्रसेन नामक अग्रोहा के राजा द्वारा किया था. इस बावली को बनाने के पीछे मकसद यह था कि पानी के लिए लोगों को दूरदराज इलाकों में न जाना पड़े. यहां पानी के साथ सीढ़ियों पर बैठकर ठंडक मिलती थी. पानी की सुविधा के लिए ही दिल्ली में अन्य जगहों पर बावली का निर्माण हुआ.

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