नई दिल्ली: दिल्ली बीजेपी और आम आदमी पार्टी में लगातार जुबानी जंग जारी है. दिल्ली बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने कहा है कि दिल्ली की केजरीवाल सरकार घोटालों की सरकार है. इस सरकार का कोई विभाग ऐसा नहीं है जहां पर घोटाला न हुआ हो. दो दिन पहले दिल्ली बीजेपी ने परिवहन विभाग के बुराड़ी व्हीकल फिटनेस सेंटर में चल रहे घोटाले का पर्दाफाश किया था. आज हम यहां केजरीवाल सरकार की ऐप बेस्ड प्रीमियम बस सर्विस घोटाले को सामने लाने की कोशिश कर रहे हैं.
2016 में तत्कालीन लेफ्टिनेंट गवर्नर नजीब जंग ने इस बस सेवा की अनुमति देने से इनकार कर दिया था. बीजेपी की शिकायत पर एक एंटी करप्शन ब्यूरो की जांच हुई और यह स्थापित हुआ कि केजरीवाल सरकार गुरुग्राम स्थित बस एग्रीगेटर शटल का पक्ष लेने की कोशिश कर रही थी.
प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने कहा कि आप के एक प्रमुख नेता आशीष खेतान, जो उस समय दिल्ली संवाद आयोग के अध्यक्ष थे और मुखर रूप से आप आधारित बस सेवा का प्रचार कर रहे थे, एसीबी जांच शुरू होने के बाद इसका प्रचार करना बंद कर दिया. और पूछताछ शुरू होने के बाद कभी भी सामान्य नहीं रहे. उन्हें समझ आ गया था कि अगर इस ऐप बस सेवा को और बढ़ावा दिया गया तो वह जेल जाएंगे.
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इसके बाद खेतान पहले राजनीतिक रूप से छिप गए और बाद में 2018 में चुपचाप आम आदमी पार्टी को छोड़ दिया. दिल्ली भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि मुख्यमंत्री केजरीवाल बताएं कि उनकी सरकार किस आधार पर ऐप बेस्ड प्रीमियम बस सेवा को फिर से शुरू कर रही है जिसे 2016-17 में बंद करना पड़ा था.
वीरेंद्र सचदेवा ने मुख्यमंत्री केजरीवाल से पूछा है कि क्या परिवहन विभाग के नियमों के अनुबंध कैरिज खंड में कोई बदलाव किया गया है. क्योंकि 2016 में इस प्रीमियम बस सेवा को रोकने के 2 मुख्य कारण थे. सरकार पर कैरिज नियम अवेहलना और एक एग्रीगेटर शटल के प्रति पक्षपात का आरोप था. कहा कि केजरीवाल सरकार ने डीटीसी को पूरी तरह से खत्म कर दिया है. इसकी इंटरसिटी बस सेवा लगभग बंद है और शहर का सार्वजनिक परिवहन चाहे वह स्थानीय हो या अंतरराज्यीय पूरी तरह से निजी क्लस्टर बस ऑपरेटरों पर निर्भर है.
इसके अलावा कुछ निजी बस ऑपरेटर कैरिज अनुबंध का उल्लंघन कर अवैध रूप से अंतरराज्यीय बस सेवाओं का संचालन कर रहे हैं. यह ऐप आधारित प्रीमियम बस सेवा बहुत महंगी होगी और अंतरराज्यीय मार्गों पर यात्रा करने वाले आम आदमी की पहुंच से बाहर होगी. चौंकाने वाली बात यह है कि बेड़े की कमी के कारण डीटीसी अंतरराज्यीय मार्गों से लगभग हट गई है और अब केजरीवाल सरकार इस पूरे क्षेत्र का निजीकरण करने की कोशिश कर रही है.
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