नई दिल्ली: दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष चौधरी अनिल कुमार ने कहा कि यह बहुत ही निंदनीय है कि आम आदमी पार्टी और भाजपा ने दिल्ली विधानसभा के शीतकालीन सत्र के पहले दिन का इस्तेमाल लोगों के लिए काम करने के बजाय राजनीतिक नौटंकी करने व एक-दूसरे पर आरोप लगाने में गंवा दिया. उन्होंने कहा कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उप मुख्यमंत्री व शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया को दिल्ली के सरकारी स्कूलों में प्रिंसिपल व वाईस प्रिंसिपल सहित हजारों शिक्षकों के खाली पदों को भरने की कोई परवाह नहीं है.
चौधरी अनिल कुमार ने कहा कि यह चौंकाने वाला है कि दिल्ली को एक बार फिर दूसरा सबसे प्रदूषित शहर घोषित किया गया है, लेकिन आम आदमी पार्टी और भाजपा को लोगों के स्वास्थ्य की कोई चिंता नहीं है. वायु प्रदूषण लोगों, खासकर बच्चों और बुजुर्गों के लिए गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं पैदा कर रहा है. अनिल कुमार ने कहा कि जब कांग्रेस 15 साल तक दिल्ली में सत्ता में थी, तब शीला दीक्षित सरकार ने कभी भी राजनीतिक लाभ के लिए विधानसभा सत्रों का दुरुपयोग नहीं किया. केवल दिल्ली के नागरिकों और शहर के विकास से जुड़े मुद्दों से संबंधित महत्वपूर्ण कार्यों को करने के लिए अधिकतर काम किया. उन्होंने कहा कि पिछले 8 सालों से सरकारी स्कूलों में शिक्षा का स्तर लगातार गिर रहा है, परंतु केजरीवाल और सिसोदिया फर्जी डाटा के साथ लोगों को बेवकूफ बनाने के लिए “दिल्ली के शिक्षा मॉडल“ के बारे में झूठे दावे कर रहे हैं.
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कहा कि एक आरटीआई के जवाब अनुसार, अप्रैल 2022 तक, दिल्ली में स्कूलों के लिए 57 प्लॉट खाली पड़े थे, लेकिन पिछले 8 वर्षों में एक भी नया स्कूल नहीं बनाया गया. जबकि चुनावी घोषणा पत्र में 500 नए स्कूल बनाने का वादा किया गया था. सरकार ने क्लास रूम की मरम्मत के नाम पर केवल जनता के पैसे की लूट करके भ्रष्टाचार किया है जिसकी एलजी ने जांच के आदेश दिए हैं. उन्होंने कहा कि केजरीवाल और सिसोदिया वायु और जल प्रदूषण, महंगाई, बेरोजगारी, व्यापारियों, आम लोगों की दुर्दशा जैसे मुद्दों से लोगों का ध्यान हटाने के लिए विज्ञापनों द्वारा झूठ प्रचार करके झूठ फैला रहे हैं. दिल्ली की दुर्दशा ने साबित कर दिया है कि केजरीवाल दिल्ली को सुशासन प्रदान करने में पूरी तरह विफल साबित हुए हैं.
अनिल कुमार ने कहा कि केजरीवाल अभी भी एक एनजीओ की मानसिकता के साथ काम कर रहे हैं. नवनिर्वाचित आम आदमी पार्टी के पार्षदों ने एमसीडी हाउस के पहले ही सत्र में गुंडागर्दी की. यही प्रक्रिया नए पार्षदों का शपथ ग्रहण समारोह भी दोहराई गई. आम आदमी पार्टी और भाजपा पार्षदों के बीच झड़प के कारण सत्र गतिरोध में समाप्त करना पड़ा, जिसके परिणामस्वरूप महापौर का चुनाव स्थगित कर दिया गया, जो हाउस व लोकतांत्रिक चुनाव प्रक्रिया का अपमान था. जबकि दिल्ली ने एमसीडी चुनाव में आम आदमी पार्टी को बहुमत दिया.
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