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केजरीवाल सरकार पर OBC वर्ग की अनदेखी करने का आरोप, जंतर-मंतर पर एकजुट हो करेंगे प्रदर्शन

अरविंद केजरीवाल सरकार को ओबीसी संघर्ष संयुक्त समिति ने कड़ी चेतावनी देते हुए कहा है कि 1993 के पहले के प्रमाण पत्र की बाध्यता को खत्म किया जाए, अन्यथा ओबीसी वर्ग 5 फरवरी 2023 को जंतर-मंतर पर प्रदर्शन करेगी.

केजरीवाल सरकार पर OBC की अनदेखी करने का आरोप
केजरीवाल सरकार पर OBC की अनदेखी करने का आरोप
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Published : Feb 4, 2023, 10:17 AM IST

नई दिल्ली: दिल्ली सरकार द्वारा ओबीसी समाज को उनके हक से वंचित रखने के खिलाफ ओबीसी (OBC) वर्ग 5 फरवरी को जंतर-मंतर पर प्रदर्शन करेगी. ओबीसी संघर्ष संयुक्त समिति के संयोजक सुनील यादव का कहना है कि केजरीवाल सरकार पिछले आठ सालों से लगातार ओबीसी समाज को अपने झूठे वायदों का शिकार बना रही है. इसके साथ ही केंद्र की मोदी सरकार की योजनाओं से भी वंचित रखा जा रहा है और इसका सबसे बड़ा कारण है कि सरकार ओबीसी सर्टिफिकेट नहीं बनाने दे रही है.

समिति ने आह्वान किया है कि 5 फरवरी को दिल्ली में रहने वाले ओबीसी समाज के सभी वंचित दिल्ली सरकार के खिलाफ प्रचंड विरोध प्रदर्शन करेंगे. उनका कहना है कि देश के अलग-अलग राज्यों से अलग-अलग जाति के लोग समय-समय पर अपने रोजगार या अन्य किसी वजह से दिल्ली में आकर बसते हैं. यहां की आबादी का लगभग 60 फीसदी जनसंख्या ओबीसी समाज का है लेकिन केजरीवाल ने उनका इस्तेमाल सिर्फ वोट बैंक के लिए किया है. उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा अपने घोषणा पत्र में लिखा था कि जब उनकी सरकार बनेगी तब वो राजधानी में रह रहे ओबीसी समाज के लिए 1993 के पहले के प्रमाण पत्र की बाध्यता (शर्त) को खत्म करेंगे और ओबीसी प्रमाण पत्र का सरलीकरण करेंगे.

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प्रमाण पत्र बनाने में कहा आ रही दिक्कत: समिति के संयोजक ने कहा कि ओबीसी प्रवासी समाज का कोई भी व्यक्ति चाहे वह 30 साल पहले से यहां क्यों नहीं रह रहा हो, अगर वह अपना ओबीसी सर्टिफिकेट बनवाने जाता है तो उससे 1993 के पहले का निवास प्रमाण पत्र मांगा जाता है. लेकिन उनके पास 1993 से पहले का निवास प्रमाण पत्र न होने की वजह से उनका प्रमाण पत्र नहीं बन पाता है. उन्होंने कहा कि हमारे बच्चों को ओबीसी जाति में होने के बावजूद भी आरक्षण का लाभ नहीं मिल पाता है. जिसकी वजह से न ही बच्चों का कॉलेजों में एडमिशन हो पाता, न ही हमारे सामज के बच्चों को नौकरी में कोई लाभ मिल पाता है. उन्होंने कहा अन्य राज्यों से आए ओबीसी समाज के बच्चों का भविष्य खराब हो रहा है. लेकिन अब इस अन्याय को समाज बर्दास्त नहीं करने वाला है और जंतर-मंतर पर इसके खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया जाएगा.

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समिति ने आह्वान किया है कि 5 फरवरी को दिल्ली में रहने वाले ओबीसी समाज के सभी वंचित दिल्ली सरकार के खिलाफ प्रचंड विरोध प्रदर्शन करेंगे. उनका कहना है कि देश के अलग-अलग राज्यों से अलग-अलग जाति के लोग समय-समय पर अपने रोजगार या अन्य किसी वजह से दिल्ली में आकर बसते हैं. यहां की आबादी का लगभग 60 फीसदी जनसंख्या ओबीसी समाज का है लेकिन केजरीवाल ने उनका इस्तेमाल सिर्फ वोट बैंक के लिए किया है. उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा अपने घोषणा पत्र में लिखा था कि जब उनकी सरकार बनेगी तब वो राजधानी में रह रहे ओबीसी समाज के लिए 1993 के पहले के प्रमाण पत्र की बाध्यता (शर्त) को खत्म करेंगे और ओबीसी प्रमाण पत्र का सरलीकरण करेंगे.

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प्रमाण पत्र बनाने में कहा आ रही दिक्कत: समिति के संयोजक ने कहा कि ओबीसी प्रवासी समाज का कोई भी व्यक्ति चाहे वह 30 साल पहले से यहां क्यों नहीं रह रहा हो, अगर वह अपना ओबीसी सर्टिफिकेट बनवाने जाता है तो उससे 1993 के पहले का निवास प्रमाण पत्र मांगा जाता है. लेकिन उनके पास 1993 से पहले का निवास प्रमाण पत्र न होने की वजह से उनका प्रमाण पत्र नहीं बन पाता है. उन्होंने कहा कि हमारे बच्चों को ओबीसी जाति में होने के बावजूद भी आरक्षण का लाभ नहीं मिल पाता है. जिसकी वजह से न ही बच्चों का कॉलेजों में एडमिशन हो पाता, न ही हमारे सामज के बच्चों को नौकरी में कोई लाभ मिल पाता है. उन्होंने कहा अन्य राज्यों से आए ओबीसी समाज के बच्चों का भविष्य खराब हो रहा है. लेकिन अब इस अन्याय को समाज बर्दास्त नहीं करने वाला है और जंतर-मंतर पर इसके खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया जाएगा.

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