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जो पॉलिसी बनवाएगा उसी को हम वोट देंगे- अतिथि शिक्षक

60 साल की पॉलिसी को लेकर प्रदर्शन कर रहे अतिथि शिक्षकों में सत्ता धारियों को लेकर काफी रोष देखने को मिल रहा है. अतिथि शिक्षकों ने सभी राजनीतिक पार्टियों को यही चेतावनी दी है कि यदि वह उन्हें सड़क से उठाकर सिंहासन पर बिठा सकते हैं तो सिंहासन से उतारना भी उन्हें बखूबी आता है.

'जो पॉलिसी बनवाएगा वो सत्ता में आएगा'
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Published : Mar 12, 2019, 9:46 AM IST

Updated : Mar 12, 2019, 4:02 PM IST

नई दिल्ली: राजनीतिक पार्टियों की गंदी राजनीति का शिकार हो रहे अतिथि शिक्षक अब और चुप बैठने वाले नहीं. उनका कहना है कि जिन राजनीतिक पार्टियों के आगे आज हम हाथ जोड़ कर अपनी पॉलिसी की मांग करने को मजबूर है और वह हमारी नहीं सुन रहे हैं कल जब यही राजनीतिक पार्टियों के सदस्य हमसे वोट मांगने आएंगे तो हम भी इन्हें ठेंगा दिखाएंगे.

'जो पॉलिसी बनवाएगा वो सत्ता में आएगा'

'11 दिनों से सड़क पर बैठे हैं'
प्रदर्शन कर रही एक महिला अतिथि शिक्षक ने कहा कि दिल्ली सरकार के प्रतिनिधि इतने असंवेदनशील हो चुके हैं कि पिछले 11 दिनों से सड़क पर बैठे अतिथि शिक्षकों को और उनके छोटे-छोटे बच्चों को देखकर भी उनके मन में दया नहीं आती. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के पास इतना भी समय नहीं है कि 5 मिनट निकालकर अतिथि शिक्षकों की समस्याएं ही सुन ले, उसे सुलझाना तो बहुत दूर की बात है.

'किसी को कोई परवाह नहीं है'
महिला अतिथि शिक्षक का कहना है कि वोट मांगने के लिए सरकार बड़े बड़े दावे कर रही है कि स्कूलों में रिजल्ट बेहतर हुए हैं, छात्रों को मिशन बुनियाद के जरिए बेहतर शिक्षा पद्धति दी गई है, लेकिन यह असल में जिन शिक्षकों ने किया उन्हीं की सुध लेने वाला कोई नहीं है. स्कूलों के इंफ्रास्ट्रक्चर को सुधारा जा रहा है लेकिन सजीव शिक्षकों के बारे में किसी की किसी को कोई परवाह नहीं है. अतिथि शिक्षकों का कहना है कि यदि शिक्षक ही स्कूल में मौजूद ना रहे तो इंफ्रास्ट्रक्चर किस काम के रह जाएंगे.

'जो पॉलिसी बनवाएगा वो सत्ता में आएगा'
लोकसभा चुनाव सिर पर है. ऐसे में अतिथि शिक्षकों की यही रणनीति है कि वह उसी पार्टी को वोट देंगे और सत्ता में लाएंगे जो उनकी पॉलिसी बनाएगी. अतिथि शिक्षकों का कहना है कि जो सरकार 22,000 परिवारों को बेरोजगार कर उनकी सुध भी नहीं ले सकती ऐसी सरकार को सत्ता में आने का कोई अधिकार नहीं है. वहीं एक अन्य अतिथि शिक्षक ने कहा कि दिल्ली सरकार दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने के लिए लगातार मांग कर रही है. यहां तक कि पोस्टर छपवा कर जगह जगह लगाए जा रहे हैं. लेकिन 22,000 शिक्षक जो सड़क पर बैठे हुए हैं उनकी उन्हें कोई फिक्र नहीं है. यदि दिल्ली सरकार शिक्षकों के साथ खड़ी होती तो शिक्षक भी अपने वोट के साथ उनका भरपूर सहयोग करते.

अतिथि शिक्षकों का सरकार से निवेदन
चुनाव के इस मोड़ पर सभी अतिथि शिक्षकों का सरकार से यही निवेदन है कि वह ड्राफ्ट की हुई पॉलिसी को उपराज्यपाल द्वारा पारित कराए, साथ ही उपराज्यपाल से भी उनकी यही अपील है कि पॉलिसी बनने तक एक नोटिफिकेशन जारी किया जाए, जिसमें स्पष्ट किया गया है कि पॉलिसी के आने तक किसी भी अतिथि शिक्षक को उसके पद से न हटाया जाए और उनका रोजगार सुरक्षित रहे.

नई दिल्ली: राजनीतिक पार्टियों की गंदी राजनीति का शिकार हो रहे अतिथि शिक्षक अब और चुप बैठने वाले नहीं. उनका कहना है कि जिन राजनीतिक पार्टियों के आगे आज हम हाथ जोड़ कर अपनी पॉलिसी की मांग करने को मजबूर है और वह हमारी नहीं सुन रहे हैं कल जब यही राजनीतिक पार्टियों के सदस्य हमसे वोट मांगने आएंगे तो हम भी इन्हें ठेंगा दिखाएंगे.

'जो पॉलिसी बनवाएगा वो सत्ता में आएगा'

'11 दिनों से सड़क पर बैठे हैं'
प्रदर्शन कर रही एक महिला अतिथि शिक्षक ने कहा कि दिल्ली सरकार के प्रतिनिधि इतने असंवेदनशील हो चुके हैं कि पिछले 11 दिनों से सड़क पर बैठे अतिथि शिक्षकों को और उनके छोटे-छोटे बच्चों को देखकर भी उनके मन में दया नहीं आती. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के पास इतना भी समय नहीं है कि 5 मिनट निकालकर अतिथि शिक्षकों की समस्याएं ही सुन ले, उसे सुलझाना तो बहुत दूर की बात है.

'किसी को कोई परवाह नहीं है'
महिला अतिथि शिक्षक का कहना है कि वोट मांगने के लिए सरकार बड़े बड़े दावे कर रही है कि स्कूलों में रिजल्ट बेहतर हुए हैं, छात्रों को मिशन बुनियाद के जरिए बेहतर शिक्षा पद्धति दी गई है, लेकिन यह असल में जिन शिक्षकों ने किया उन्हीं की सुध लेने वाला कोई नहीं है. स्कूलों के इंफ्रास्ट्रक्चर को सुधारा जा रहा है लेकिन सजीव शिक्षकों के बारे में किसी की किसी को कोई परवाह नहीं है. अतिथि शिक्षकों का कहना है कि यदि शिक्षक ही स्कूल में मौजूद ना रहे तो इंफ्रास्ट्रक्चर किस काम के रह जाएंगे.

'जो पॉलिसी बनवाएगा वो सत्ता में आएगा'
लोकसभा चुनाव सिर पर है. ऐसे में अतिथि शिक्षकों की यही रणनीति है कि वह उसी पार्टी को वोट देंगे और सत्ता में लाएंगे जो उनकी पॉलिसी बनाएगी. अतिथि शिक्षकों का कहना है कि जो सरकार 22,000 परिवारों को बेरोजगार कर उनकी सुध भी नहीं ले सकती ऐसी सरकार को सत्ता में आने का कोई अधिकार नहीं है. वहीं एक अन्य अतिथि शिक्षक ने कहा कि दिल्ली सरकार दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने के लिए लगातार मांग कर रही है. यहां तक कि पोस्टर छपवा कर जगह जगह लगाए जा रहे हैं. लेकिन 22,000 शिक्षक जो सड़क पर बैठे हुए हैं उनकी उन्हें कोई फिक्र नहीं है. यदि दिल्ली सरकार शिक्षकों के साथ खड़ी होती तो शिक्षक भी अपने वोट के साथ उनका भरपूर सहयोग करते.

अतिथि शिक्षकों का सरकार से निवेदन
चुनाव के इस मोड़ पर सभी अतिथि शिक्षकों का सरकार से यही निवेदन है कि वह ड्राफ्ट की हुई पॉलिसी को उपराज्यपाल द्वारा पारित कराए, साथ ही उपराज्यपाल से भी उनकी यही अपील है कि पॉलिसी बनने तक एक नोटिफिकेशन जारी किया जाए, जिसमें स्पष्ट किया गया है कि पॉलिसी के आने तक किसी भी अतिथि शिक्षक को उसके पद से न हटाया जाए और उनका रोजगार सुरक्षित रहे.

Intro:लगातार 11 दिन से 60 साल की पॉलिसी को लेकर प्रदर्शन कर रहे अतिथि शिक्षकों में सत्ता धारियों को लेकर काफी रोष देखने को मिला. अतिथि शिक्षकों ने सभी राजनीतिक पार्टियों को यही चेतावनी दी है कि यदि वह उन्हें सड़क से उठाकर सिंहासन पर बिठा सकते हैं तो सिंहासन से उतारना भी उन्हें बखूबी आता है. वहीं प्रदर्शन कर रहे एक शिक्षक कहना है कि धरना देकर बात मनवाने की राह मुख्यमंत्री दिखाई है. यदि वह धरना दे देकर दिल्ली के मुख्यमंत्री बन सकते हैं तो हम धरना देकर अपनी पॉलिसी पास क्यों नहीं करवा सकते.


Body:राजनीतिक पार्टियों की गंदी राजनीति का शिकार हो रहे अतिथि शिक्षक अब और चुप बैठने वाले नहीं. उनका कहना है कि जिन राजनीतिक पार्टियों के आगे आज हम हाथ जोड़ कर अपनी पॉलिसी की मांग करने को मजबूर है और वह हमारी नहीं सुन रहे हैं कल जब यही राजनीतिक पार्टियों के सदस्य हमसे वोट मांगने आएंगे तो हम भी इन्हें ठेंगा दिखाएंगे.

वहीं प्रदर्शन कर रही एक महिला अतिथि शिक्षक ने कहा कि दिल्ली सरकार के प्रतिनिधि इतने असंवेदनशील हो चुके हैं कि पिछले 11 दिनों से सड़क पर बैठे अतिथि शिक्षकों को और उनके छोटे-छोटे बच्चों को देखकर भी उनके मन में दया नहीं आती. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के पास इतना भी समय नहीं है कि 5 मिनट निकालकर अतिथि शिक्षकों की समस्याएं ही सुन ले, उसे सुलझाना तो बहुत दूर की बात है.

महिला अतिथि शिक्षक का कहना है कि वोट मांगने के लिए सरकार बड़े बड़े दावे कर रही है कि स्कूलों में रिजल्ट बेहतर हुए हैं, छात्रों को मिशन बुनियाद के जरिए बेहतर शिक्षा पद्धति दी गई है, लेकिन यह असल में जिन शिक्षकों ने किया उन्हीं की सुध लेने वाला कोई नहीं है. स्कूलों के इंफ्रास्ट्रक्चर को सुधारा जा रहा है लेकिन सजीव शिक्षकों के बारे में किसी की किसी को कोई परवाह नहीं है. अतिथि शिक्षकों का कहना है कि यदि शिक्षक ही स्कूल में मौजूद ना रहे तो इंफ्रास्ट्रक्चर किस काम के रह जाएंगे.

वहीं लोकसभा चुनाव सिर पर है. ऐसे में अतिथि शिक्षकों की यही रणनीति है कि वह उसी पार्टी को वोट देंगे और सत्ता में लाएंगे जो उनकी पॉलिसी बनाएगी. अतिथि शिक्षकों का कहना है कि जो सरकार 22,000 परिवारों को बेरोजगार कर उनकी सुध भी नहीं ले सकती ऐसी सरकार को सत्ता में आने का कोई अधिकार नहीं है. वहीं एक अन्य अतिथि शिक्षक ने कहा कि दिल्ली सरकार दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने के लिए लगातार मांग कर रही है. यहां तक कि पोस्टर छपवा कर जगह जगह लगाए जा रहे हैं. लेकिन 22,000 शिक्षक जो सड़क पर बैठे हुए हैं उनकी उन्हें कोई फिक्र नहीं है. यदि दिल्ली सरकार शिक्षकों के साथ खड़ी होती तो शिक्षक भी अपने वोट के साथ उनका भरपूर सहयोग करते.

चुनाव के इस मोड़ पर सभी अतिथि शिक्षकों का सरकार से यही निवेदन है कि वह ड्राफ्ट की हुई पॉलिसी को उपराज्यपाल द्वारा पारित कराए, साथ ही उपराज्यपाल से भी उनकी यही अपील है कि पॉलिसी बनने तक एक नोटिफिकेशन जारी किया जाए जिसमें स्पष्ट किया गया है कि पॉलिसी के आने तक किसी भी अतिथि शिक्षक को उसके पद से न हटाया जाए और उनका रोजगार सुरक्षित कायम रहे.


Conclusion:
Last Updated : Mar 12, 2019, 4:02 PM IST
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