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JNU: MHRD द्वारा गठित कमेटी का ABVP ने किया विरोध, कहा- मुद्दे से भटकाने की कोशिश

प्रदर्शन कर रहे छात्रों का कहना था कि हमारी केवल एक ही मांग है कि जो फीस हाइक का फैसला लिया गया है उसे वापस लिया जाए. इसके लिए कोई भी कमेटी गठित करने की आवश्यकता ही नहीं है, इसे सीधे तौर पर वाइस चांसलर हमसे बात कर इस फैसले को वापस ले सकते हैं.

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Published : Nov 22, 2019, 4:51 PM IST

MHRD द्वारा गठित कमेटी का ABVP ने किया विरोध

नई दिल्ली: मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा जेएनयू में शांति बहाली के लिए गठित की कमेटी का छात्रों ने विरोध किया है. छात्रों का कहना है कि प्रशासन द्वारा फीस बढ़ोतरी का जो फैसला है उसे यूनिवर्सिटी द्वारा वापस लिया जा सकता है या फिर यूनिवर्सिटी सीधे तौर पर यूजीसी से फंड के लिए चर्चा कर सकती है. इसके लिए एमएचआरडी द्वारा कमेटी गठित कर मुद्दे से भटकाने की कोशिश की जा रही है, इसी कड़ी में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद तमाम छात्रों के साथ कैंपस में धरने पर बैठें है.

ABVP ने किया विरोध
'कमेटी बनाना हल नहीं'प्रदर्शन कर रहे छात्रों का कहना था कि हमारी केवल एक ही मांग है कि जो फीस हाइक का फैसला लिया गया है उसे वापस लिया जाए. इसके लिए कोई भी कमेटी गठित करने की आवश्यकता ही नहीं है, इसे सीधे तौर पर वाइस चांसलर हमसे बात कर इस फैसले को वापस ले सकते हैं या फिर यूजीसी और एमएचआरडी फंड रिलीज कर हमारी फीस बढ़ोतरी के फैसले को वापस करवा सकती है. इसके लिए कमेटी गठित करना कोई हल नहीं है इसलिए हम इसका विरोध करते हैं.



'प्रशासन हमसे नहीं कर रहा कोई बात'
जेएनयू छात्र और एबीवीपी कार्यकर्ता शबरीश का कहना था कf एडमिनिस्ट्रेशन के पास पूरी पावर है कि वह फीस बढ़ोतरी के फैसले को वापस ले छात्रों की मांगों को पूरा करें लेकिन प्रशासन हमसे बात करने को तैयार नहीं है, करीब 1 महीने हो चुके हैं वाइस चांसलर द्वारा हमसे कोई चर्चा नहीं की गई है. और इस तरीके की कमेटी बनाकर छात्रों को परेशान किया जा रहा है. क्योंकि सेमेस्टर के बीच में ही छात्रों के पास बढ़ी हुई फीस का बोझ आ गया है.


'4 गुना की गई है फीस में बढ़ोतरी'
इसके अलावा एबीवीपी के सेक्रेटरी और जेएनयू छात्र मनीष जांगिड़ का कहना था कि जहां पहले छात्रों का महीने का खर्चा करीब ढाई हजार होता था वही फीस बढ़ोतरी के बाद छात्रों को 7 से ₹8000 का बोझ पड़ेगा. छात्र कैसे इतनी फीस देंगे? क्योंकि जेएनयू में पढ़ रहे 40 फ़ीसदी छात्र इस बढ़ी हुई फीस के चलते अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़ने को मजबूर हो जाएंगे. इसलिए हमारी मांगे हैं कि जो फीस बढ़ोतरी का फैसला है उसे तुरंत वापस लिया जाना चाहिए.

नई दिल्ली: मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा जेएनयू में शांति बहाली के लिए गठित की कमेटी का छात्रों ने विरोध किया है. छात्रों का कहना है कि प्रशासन द्वारा फीस बढ़ोतरी का जो फैसला है उसे यूनिवर्सिटी द्वारा वापस लिया जा सकता है या फिर यूनिवर्सिटी सीधे तौर पर यूजीसी से फंड के लिए चर्चा कर सकती है. इसके लिए एमएचआरडी द्वारा कमेटी गठित कर मुद्दे से भटकाने की कोशिश की जा रही है, इसी कड़ी में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद तमाम छात्रों के साथ कैंपस में धरने पर बैठें है.

ABVP ने किया विरोध
'कमेटी बनाना हल नहीं'प्रदर्शन कर रहे छात्रों का कहना था कि हमारी केवल एक ही मांग है कि जो फीस हाइक का फैसला लिया गया है उसे वापस लिया जाए. इसके लिए कोई भी कमेटी गठित करने की आवश्यकता ही नहीं है, इसे सीधे तौर पर वाइस चांसलर हमसे बात कर इस फैसले को वापस ले सकते हैं या फिर यूजीसी और एमएचआरडी फंड रिलीज कर हमारी फीस बढ़ोतरी के फैसले को वापस करवा सकती है. इसके लिए कमेटी गठित करना कोई हल नहीं है इसलिए हम इसका विरोध करते हैं.



'प्रशासन हमसे नहीं कर रहा कोई बात'
जेएनयू छात्र और एबीवीपी कार्यकर्ता शबरीश का कहना था कf एडमिनिस्ट्रेशन के पास पूरी पावर है कि वह फीस बढ़ोतरी के फैसले को वापस ले छात्रों की मांगों को पूरा करें लेकिन प्रशासन हमसे बात करने को तैयार नहीं है, करीब 1 महीने हो चुके हैं वाइस चांसलर द्वारा हमसे कोई चर्चा नहीं की गई है. और इस तरीके की कमेटी बनाकर छात्रों को परेशान किया जा रहा है. क्योंकि सेमेस्टर के बीच में ही छात्रों के पास बढ़ी हुई फीस का बोझ आ गया है.


'4 गुना की गई है फीस में बढ़ोतरी'
इसके अलावा एबीवीपी के सेक्रेटरी और जेएनयू छात्र मनीष जांगिड़ का कहना था कि जहां पहले छात्रों का महीने का खर्चा करीब ढाई हजार होता था वही फीस बढ़ोतरी के बाद छात्रों को 7 से ₹8000 का बोझ पड़ेगा. छात्र कैसे इतनी फीस देंगे? क्योंकि जेएनयू में पढ़ रहे 40 फ़ीसदी छात्र इस बढ़ी हुई फीस के चलते अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़ने को मजबूर हो जाएंगे. इसलिए हमारी मांगे हैं कि जो फीस बढ़ोतरी का फैसला है उसे तुरंत वापस लिया जाना चाहिए.

Intro:मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा जेएनयू में शांति बहाली के लिए गठित की कमेटी का छात्रों ने विरोध किया है छात्रों का कहना है कि प्रशासन द्वारा फीस बढ़ोतरी का जो फैसला है उसे यूनिवर्सिटी द्वारा वापस लिया जा सकता है, या फिर यूनिवर्सिटी सीधे तौर पर यूजीसी से फंड के लिए चर्चा कर सकती है. इसके लिए एमएचआरडी द्वारा कमेटी गठित कर मुद्दे से भटकाने की कोशिश की जा रही है, इसी कड़ी में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद तमाम छात्रों के साथ कैंपस में धरने पर बैठें है.




Body:कमेटी बनाना हल नहीं
प्रदर्शन कर रहे छात्रों का कहना था की हमारी केवल एक ही मांग है कि जो फीस हाइक का फैसला लिया गया है उसे वापस लिया जाए. इसके लिए कोई भी कमेटी गठित करने की आवश्यकता ही नहीं है, इसे सीधे तौर पर वाइस चांसलर हमसे बात कर इस फैसले को वापस ले सकते हैं या फिर यूजीसी और एमएचआरडी फंड रिलीज कर हमारी फीस बढ़ोतरी के फैसले को वापस करवा सकती है. इसके लिए कमेटी गठित करना कोई हल नहीं है इसलिए हम इसका विरोध करते हैं.

प्रशासन हमसे नहीं कर रहा कोई बात
जेएनयू छात्र और एबीवीपी कार्यकर्ता शबरीश का कहना था की एडमिनिस्ट्रेशन के पास पूरी पावर है कि वह फीस बढ़ोतरी के फैसले को वापस ले छात्रों की मांगों को पूरा करें लेकिन प्रशासन हमसे बात करने को तैयार नहीं है, करीब 1 महीने हो चुके हैं वाइस चांसलर द्वारा हमसे कोई चर्चा नहीं की गई है. और इस तरीके की कमेटी बनाकर छात्रों को परेशान किया जा रहा है. क्योंकि सेमेस्टर के बीच में ही छात्रों के पास बढ़ी हुई फीस का बोझ आ गया है.


Conclusion:4 गुना की गई है फीस में बढ़ोतरी
इसके अलावा एबीवीपी के सेक्रेटरी और जेएनयू छात्र मनीष जांगिड़ का कहना था कि जहां पहले छात्रों का महीने का खर्चा करीब ढाई हजार होता था वही फीस बढ़ोतरी के बाद छात्रों को 7 से ₹8000 का बोझ पड़ेगा. छात्र कैसे इतनी फीस देंगे? क्योंकि जेएनयू में पढ़ रहे 40 फ़ीसदी छात्र इस बढ़ी हुई फीस के चलते अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़ने को मजबूर हो जाएंगे. इसलिए हमारी मांगे हैं कि जो फीस बढ़ोतरी का फैसला है उसे तुरंत वापस लिया जाना चाहिए.
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