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शिक्षण संस्थानों को बचाने संसद तक जन मार्च निकालेगा JFME

नई दिल्ली: जॉइंट फोरम फॉर मूवमेंट ऑन एजुकेशन ने यह तय किया है कि वह 19 फरवरी को मंडी हाउस से संसद मार्च तक एक 'जन मार्च' निकालेगा. जिससे कि आम जनता के पैसे से चल रहे शैक्षणिक संस्थानों को बचाने के लिए एक राष्ट्रव्यापी आंदोलन खड़ा किया जा सके.

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Published : Feb 17, 2019, 4:31 PM IST

शिक्षण संस्थानों को बचाने संसद तक जन मार्च निकालेगा JFME


जॉइंट फोरम फॉर मूवमेंट ऑन एजुकेशन का कहना है कि देश मे आम जनता के पैसों से चल रहे शैक्षणिक संस्थानों पर केंद्र सरकार हमला कर रही है. फोरम का कहना है कि फंड वापिस लिए जा रहे हैं, शिक्षा के लोकतांत्रिक और समावेशी चरित्र को बदला जा रहा है, अकादमिक और वैज्ञानिक कंटेंट को खत्म किया जा रहा है.

की जा रही कटौती
फोरम का कहना है कि यूनिवर्सिटी और कॉलेजों को अपना खर्चा चलाने के पहले यूजीसी से अनुदान मिला करता था, उसकी जगह हायर एजुकेशन फंडिंग एजेंसी से लोन लेने को कहा जा रहा है. विश्वविद्यालयों को त्रिपक्षीय एमओयू साइन करने को कहा जा रहा है. बजट में कटौती, यूजीसी ग्रांट में कटौती, रिसर्च बॉडी से पैसा वापस लिया जाना, फंड वापस लिया जाना, स्कॉलरशिप और फैलोशिप में कटौती की जा रही है.

सरकार का हस्तक्षेप ज्यादा
खाली पड़े सरकारी पदों पर भर्ती ना होना, लंबे समय से स्थाई नियुक्ति प्रमोशन और पेंशन ना देना यह सब समस्याएं हैं. शिक्षक भर्ती में 200 पॉइंट रोस्टर को लागू नही किया जा रहा. यहां तक कि यूनिवर्सिटी के कामकाज में सरकार का जरूरत से ज्यादा हस्तक्षेप है.

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फोरम की मानें तो सरकार द्वारा यूनियन पर हमला, संगठित हिंसा, झूठे केस दाखिल करना, गिरफ्तारी और सिविल सर्विस रूल्स लागू किया जा रहा है. यहां तक कि दिल्ली विश्वविद्यालय में एस्मा लागू करने की कोशिश की गई. इससे पहले ज्वाइंट फोरम फॉर मोमेंट ऑन एजुकेशन ने 29 अक्टूबर को राष्ट्रीय स्तर का सम्मेलन भी किया था.

फोरम में जुड़े लोग
इस फोरम में AIFUCTO, DUTA, FEDCUTA, सेवानिवृत्त हो चुके शिक्षक, स्कूलों के शिक्षक, यूनिवर्सिटी और कॉलेजों के शिक्षक और नॉन टीचिंग कर्मचारी, शिक्षा के अधिकार से जुड़े लोग, अभिभावक संगठन शामिल हैं.


जॉइंट फोरम फॉर मूवमेंट ऑन एजुकेशन का कहना है कि देश मे आम जनता के पैसों से चल रहे शैक्षणिक संस्थानों पर केंद्र सरकार हमला कर रही है. फोरम का कहना है कि फंड वापिस लिए जा रहे हैं, शिक्षा के लोकतांत्रिक और समावेशी चरित्र को बदला जा रहा है, अकादमिक और वैज्ञानिक कंटेंट को खत्म किया जा रहा है.

की जा रही कटौती
फोरम का कहना है कि यूनिवर्सिटी और कॉलेजों को अपना खर्चा चलाने के पहले यूजीसी से अनुदान मिला करता था, उसकी जगह हायर एजुकेशन फंडिंग एजेंसी से लोन लेने को कहा जा रहा है. विश्वविद्यालयों को त्रिपक्षीय एमओयू साइन करने को कहा जा रहा है. बजट में कटौती, यूजीसी ग्रांट में कटौती, रिसर्च बॉडी से पैसा वापस लिया जाना, फंड वापस लिया जाना, स्कॉलरशिप और फैलोशिप में कटौती की जा रही है.

सरकार का हस्तक्षेप ज्यादा
खाली पड़े सरकारी पदों पर भर्ती ना होना, लंबे समय से स्थाई नियुक्ति प्रमोशन और पेंशन ना देना यह सब समस्याएं हैं. शिक्षक भर्ती में 200 पॉइंट रोस्टर को लागू नही किया जा रहा. यहां तक कि यूनिवर्सिटी के कामकाज में सरकार का जरूरत से ज्यादा हस्तक्षेप है.

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फोरम की मानें तो सरकार द्वारा यूनियन पर हमला, संगठित हिंसा, झूठे केस दाखिल करना, गिरफ्तारी और सिविल सर्विस रूल्स लागू किया जा रहा है. यहां तक कि दिल्ली विश्वविद्यालय में एस्मा लागू करने की कोशिश की गई. इससे पहले ज्वाइंट फोरम फॉर मोमेंट ऑन एजुकेशन ने 29 अक्टूबर को राष्ट्रीय स्तर का सम्मेलन भी किया था.

फोरम में जुड़े लोग
इस फोरम में AIFUCTO, DUTA, FEDCUTA, सेवानिवृत्त हो चुके शिक्षक, स्कूलों के शिक्षक, यूनिवर्सिटी और कॉलेजों के शिक्षक और नॉन टीचिंग कर्मचारी, शिक्षा के अधिकार से जुड़े लोग, अभिभावक संगठन शामिल हैं.

Intro:

शिक्षण संस्थानों को बचाने के लिए JFME आयोजित करेगा जन मार्च, राष्ट्रव्यापी आंदोलन खड़ा करने की योजना

नई दिल्ली

ज्वाइंट फोरम फॉर मोमेंट ऑन एजुकेशन ने यह तय किया है कि वह 19 फरवरी को मंडी हाउस से संसद मार्च तक एक "जन मार्च " निकालेगा. जिससे कि आम जनता के पैसे से चल रहे शैक्षणिक संस्थानों को बचाने के लिए एक राष्ट्रव्यापी आंदोलन खड़ा किया जा सके.


Body:जॉइंट फोरम फ़ॉर मोमेंट ऑन एजुकेशन का कहना है कि देश मे आम जनता के पैसों से चल रहे शैक्षणिक संस्थानों पर केंद्र सरकार हमला कर रही है. फोरम का कहना है कि फंड वापिस लिए जा रहे हैं , शिक्षा के लोकतांत्रिक और समावेशी चरित्र को बदला जा रहा है, अकादमिक और वैज्ञानिक कंटेंट को खत्म किया जा रहा है .

फोरम का कहना है कि यूनिवर्सिटी और कॉलेजों को अपना खर्चा चलाने के पहले यूजीसी से अनुदान मिला करता था उसकी जगह हायर एजुकेशन फंडिंग एजेंसी से लोन लेने को कहा जा रहा है. विश्वविद्यालयों को त्रिपक्षीय एमओयू साइन करने को कहा जा रहा है . बजट में कटौती, यूजीसी ग्रांट में कटौती, रिसर्च बॉडी से पैसा वापस लिए जाना ,फंड वापस लिया जाना, स्कॉलरशिप और फैलोशिप में कटौती की जा रही है. सरकार में खाली पदों का रहना और उसमें भर्ती ना होना लंबे समय से स्थाई नियुक्ति प्रमोशन और पेंशन न दिया जाना यह सब समस्याएं हैं. शिक्षक भर्ती में 200 पॉइंट रोस्टर को लागू नही किया जा रहा.
यहां तक कि यूनिवर्सिटी के कामकाज में सरकार का जरूरत से ज्यादा हस्तक्षेप है.

फोरम की माने तो सरकार द्वारा यूनियन पर हमला , संगठित हिंसा, झूठे केस दाखिल करना , गिरफ्तारी और सिविल सर्विस रूल्स लागू किया जा रहा है. यहां तक कि दिल्ली विश्वविद्यालय में एस्मा लागू करने की कोशिश की गई .

बता दें कि इससे पहले ज्वाइंट फोरम फॉर मोमेंट ऑन एजुकेशन ने 29 अक्टूबर को राष्ट्रीय स्तर का सम्मेलन भी किया था.





Conclusion:इस फोरम में AIFUCTO, DUTA, FEDCUTA, सेवानिवृत्त हो चुके शिक्षक, स्कूलों के शिक्षक ,यूनिवर्सिटी और कॉलेजों के शिक्षक और नॉन टीचिंग कर्मचारी, शिक्षा के अधिकार से जुड़े लोग ,अभिभावक संगठन शामिल हैं.
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