जॉइंट फोरम फॉर मूवमेंट ऑन एजुकेशन का कहना है कि देश मे आम जनता के पैसों से चल रहे शैक्षणिक संस्थानों पर केंद्र सरकार हमला कर रही है. फोरम का कहना है कि फंड वापिस लिए जा रहे हैं, शिक्षा के लोकतांत्रिक और समावेशी चरित्र को बदला जा रहा है, अकादमिक और वैज्ञानिक कंटेंट को खत्म किया जा रहा है.
की जा रही कटौती
फोरम का कहना है कि यूनिवर्सिटी और कॉलेजों को अपना खर्चा चलाने के पहले यूजीसी से अनुदान मिला करता था, उसकी जगह हायर एजुकेशन फंडिंग एजेंसी से लोन लेने को कहा जा रहा है. विश्वविद्यालयों को त्रिपक्षीय एमओयू साइन करने को कहा जा रहा है. बजट में कटौती, यूजीसी ग्रांट में कटौती, रिसर्च बॉडी से पैसा वापस लिया जाना, फंड वापस लिया जाना, स्कॉलरशिप और फैलोशिप में कटौती की जा रही है.
सरकार का हस्तक्षेप ज्यादा
खाली पड़े सरकारी पदों पर भर्ती ना होना, लंबे समय से स्थाई नियुक्ति प्रमोशन और पेंशन ना देना यह सब समस्याएं हैं. शिक्षक भर्ती में 200 पॉइंट रोस्टर को लागू नही किया जा रहा. यहां तक कि यूनिवर्सिटी के कामकाज में सरकार का जरूरत से ज्यादा हस्तक्षेप है.
फोरम की मानें तो सरकार द्वारा यूनियन पर हमला, संगठित हिंसा, झूठे केस दाखिल करना, गिरफ्तारी और सिविल सर्विस रूल्स लागू किया जा रहा है. यहां तक कि दिल्ली विश्वविद्यालय में एस्मा लागू करने की कोशिश की गई. इससे पहले ज्वाइंट फोरम फॉर मोमेंट ऑन एजुकेशन ने 29 अक्टूबर को राष्ट्रीय स्तर का सम्मेलन भी किया था.
फोरम में जुड़े लोग
इस फोरम में AIFUCTO, DUTA, FEDCUTA, सेवानिवृत्त हो चुके शिक्षक, स्कूलों के शिक्षक, यूनिवर्सिटी और कॉलेजों के शिक्षक और नॉन टीचिंग कर्मचारी, शिक्षा के अधिकार से जुड़े लोग, अभिभावक संगठन शामिल हैं.