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जामिया हमदर्द ने प्रोफेसर उबैदुल्लाह फहद को किया सम्मानित - इंस्टिट्यूट ऑफ ऑब्जेक्टिव इन स्टडीज

प्रोफेसर उबैदुल्लाह हद को जामिया हमदर्द ने तेरहवीं शाह वली उल्लाह अवार्ड से नावाजा गया. साथ ही उन्हें एक लाख का चेक सिफास नामा और मोमेंटो पेश किया गया.

प्रोफेसर उबैदुल्लाह हद , etv bharat
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Published : Sep 28, 2019, 3:14 PM IST

नई दिल्ली: इंस्टिट्यूट ऑफ ऑब्जेक्टिव इन स्टडीज के तेरहवीं शाह वली उल्लाह अवार्ड से प्रोफेसर उबैदुल्लाह हद को जामिया हमदर्द के कन्वेंशन हॉल में एक समारोह के दौरान नवाजा गया.

प्रोफेसर उबैदुल्लाह हद को तेरहवीं शाह वली उल्लाह अवार्ड से नावाजा

आईओएस अवार्ड कमेटी ने दिया खिताब
बता दें कि इस्लामिक स्टडीज में जिसकी बुनियाद आईओएस की अवार्ड कमेटी ने पैरवी शाह वलीउल्लाह अवार्ड के लिए उनका सिलेक्शन किया. प्रोफेसर उबैदुल्लाह अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में इस्लामिक स्टडीज डिपार्टमेंट के एच ओ डी है तो वही बहुत सारी किताबें उन्होंने लिख रखी है.

बताया जा रहा है कि अवार्ड में उन्हें एक लाख का चेक सिफास नामा और मोमेंटो पेश किया गया. इस मौके पर प्रोफेसर फहद ने कहा कि इस्लाम का सियासी निजाम सबसे अहम और सबसे ज्यादा जम्हूरि है लेकिन उस पर बहुत कम तवज्जो दी गई और बहुत कम काम हुआ है.

'अवार्ड का नाम शाह वालीउल्लाह'
आई ओ एस के चेयरमैन डॉ मोहम्मद मंजूर आलम ने अपनी किताब में कहा कि इस अवार्ड का नाम शाह वालीउल्लाह रखा गया है. जिसका मकसद माजी की तारीख जानना उसके हीरो को याद रखना और फिर उनकी रोशनी में अपने हालात का जायजा लेना और सबक सीखना है.

प्रोग्राम की शुरुआत मौलाना अब्दुल्लाह तारीख ने कुरान तिलावत से की मौलाना शाह अजमल फारूक नदवी निजामत की और प्रोफेसर इस्तियाक दानिश ने शुक्रिया की रस्में अदा की बता दें कि इस मौके पर प्रोफेसर जेड एम खान, प्रोफेसर हसीना हासिया, सीनियर जर्नलिस्ट एयू आसिफ प्रोग्राम में शामिल हुए और प्रोफेसर उबैदुल्लाह को मुबारकबाद पेश की.

नई दिल्ली: इंस्टिट्यूट ऑफ ऑब्जेक्टिव इन स्टडीज के तेरहवीं शाह वली उल्लाह अवार्ड से प्रोफेसर उबैदुल्लाह हद को जामिया हमदर्द के कन्वेंशन हॉल में एक समारोह के दौरान नवाजा गया.

प्रोफेसर उबैदुल्लाह हद को तेरहवीं शाह वली उल्लाह अवार्ड से नावाजा

आईओएस अवार्ड कमेटी ने दिया खिताब
बता दें कि इस्लामिक स्टडीज में जिसकी बुनियाद आईओएस की अवार्ड कमेटी ने पैरवी शाह वलीउल्लाह अवार्ड के लिए उनका सिलेक्शन किया. प्रोफेसर उबैदुल्लाह अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में इस्लामिक स्टडीज डिपार्टमेंट के एच ओ डी है तो वही बहुत सारी किताबें उन्होंने लिख रखी है.

बताया जा रहा है कि अवार्ड में उन्हें एक लाख का चेक सिफास नामा और मोमेंटो पेश किया गया. इस मौके पर प्रोफेसर फहद ने कहा कि इस्लाम का सियासी निजाम सबसे अहम और सबसे ज्यादा जम्हूरि है लेकिन उस पर बहुत कम तवज्जो दी गई और बहुत कम काम हुआ है.

'अवार्ड का नाम शाह वालीउल्लाह'
आई ओ एस के चेयरमैन डॉ मोहम्मद मंजूर आलम ने अपनी किताब में कहा कि इस अवार्ड का नाम शाह वालीउल्लाह रखा गया है. जिसका मकसद माजी की तारीख जानना उसके हीरो को याद रखना और फिर उनकी रोशनी में अपने हालात का जायजा लेना और सबक सीखना है.

प्रोग्राम की शुरुआत मौलाना अब्दुल्लाह तारीख ने कुरान तिलावत से की मौलाना शाह अजमल फारूक नदवी निजामत की और प्रोफेसर इस्तियाक दानिश ने शुक्रिया की रस्में अदा की बता दें कि इस मौके पर प्रोफेसर जेड एम खान, प्रोफेसर हसीना हासिया, सीनियर जर्नलिस्ट एयू आसिफ प्रोग्राम में शामिल हुए और प्रोफेसर उबैदुल्लाह को मुबारकबाद पेश की.

Intro:इंस्टिट्यूट ऑफ ऑब्जेक्टिव इन स्टडीज के तेरहवीं शाह वली उल्लाह अवार्ड से प्रोफेसर उबैदुल्लाह हद को जामिया हमदर्द के कन्वेंशन हॉल में एक समारोह के दौरान अवार्ड से नवाजा गया प्रोफेसर उबैदुल्लाह फहद इस्लामी सियासत में नाम आया और काबिले जिक्र खिदमत है इस्लामी स्टडीज में उन्होंने कई ऐतिहासिक काम किए हैं


Body:बता दें कि इस्लामिक स्टडीज में जिसकी बुनियाद आईओएस की अवार्ड कमेटी ने पैरवी शाह वलीउल्लाह अवार्ड के लिए उनका सिलेक्शन किया प्रोफेसर उबैदुल्लाह अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में इस्लामिक स्टडीज डिपार्टमेंट के एच ओ डी है तो वही बहुत सारी किताबें उन्होंने लिख रखी है बताया जा रहा है कि अवार्ड में उन्हें एक लाख का चेक सिफास नामा और मोमेंटो पेश किया गया इस मौके पर खिताब करते हुए प्रोफेसर फहद ने कहा कि इस्लाम का सियासी निजाम सबसे अहम और सबसे ज्यादा जम्हूरि है लेकिन उस पर बहुत कम तवज्जो दी गई और बहुत कम काम हुआ है


Conclusion:आई ओ एस के चेयरमैन डॉ मोहम्मद मंजूर आलम ने अपनी किताब में कहा कि इस अवार्ड का नाम शाह वालीउल्लाह रखा गया है जिसका मकसद माजी की तारीख जानना उसके हीरो को याद रखना और फिर उनकी रोशनी में अपने हालात का जायजा लेना और सबक सीखना है दुनिया में वही कौम जिंदा रहती है जो अपनी तारीख याद रखती है मंच की सदारत का फरीजा प्रोफ़ेसर यासीन मजहर सिद्दीकी ने अंजाम दिया उनकी सदरती खिताब में उन्होंने कहा कि इस्लाम सियासत की जब बात करती हैं तो बराहे रास्त ख़िलाफ़ते रासदा के निफाज की बात करते है हालांकि अब मुमकिन नहीं है प्रोग्राम की शुरुआत मौलाना अब्दुल्लाह तारीख ने कुरान तिलावत से की मौलाना शाह अजमल फारूक नदवी निजामत की और प्रोफेसर इस्तियाक दानिश ने शुक्रिया की रस्में अदा की बता दें कि इस मौके पर प्रोफेसर z M खान प्रोफेसर हसीना हासिया सीनियर जर्नलिस्ट A U आसिफ प्रोग्राम में शामिल हुए और प्रोफेसर उबैदुल्लाह को मुबारकबाद पेश की
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