नई दिल्ली: 9 अक्टूबर को अरविंद केजरीवाल को डेनमार्क में C-40 क्लाइमेट समिट को संबोधित करना था. इसके लिए उन्हें निमंत्रण भी मिल चुका था, लेकिन केंद्र सरकार की अनुमति नहीं मिली और इसके कारण अरविंद केजरीवाल वहां नहीं जा सके.
केंद्र के इस फैसले के बाद आम आदमी पार्टी ने मोदी सरकार को आड़े हाथों लिया. इसे लेकर पार्टी नेता संजय सिंह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस भी की और इसे केजरीवाल सरकार के साथ केंद्र की दुर्भावना करार दिया.
'दिल्ली सरकार के साथ दुर्भावना की नीति'
इस फैसले से पहले तक सीएम केजरीवाल ने दिल्ली में कम हुए प्रदूषण का श्रेय केंद्र सरकार द्वारा निर्मित ईस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेसवे को भी देते सुने गए. इससे पहले 2018 तक वे केंद्र के हर फैसले पर आलोचनात्मक टिप्पणी करते थे. लेकिन केंद्र के हालिया फैसले ने सीएम केजरीवाल को फिर से 2014-18 वाली स्थिति में ही ला खड़ा किया है.
इस सवाल पर कि क्या केंद्र के इस फैसले से दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार के बीच की सामंजस्य वाली स्थिति में कोई बदलाव आएगा, पार्टी नेता संजय सिंह का कहना था कि हमारी उनसे कोई जमीन-जायदाद की लड़ाई तो है नहीं, लेकिन अगर वे दिल्ली सरकार के साथ दुर्भावना की नीति से काम करेंगे, तो फिर हम भी इसे लेकर जनता के बीच जाएंगे.
आप नेता संजय सिंह का यह बयान और इस फैसले के बाद अरविंद केजरीवाल के केंद्र के प्रति रुख में आया बदलाव, स्पष्ट बताता है कि केंद्र और राज्य के बीच सकारात्मक दिख रहे संबंधों की गाड़ी ने अब पूरी तरह से उल्टी दिशा पकड़ ली है.