नई दिल्ली: इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस हब और पवन दुग्गल एसोसिएट की ओर से 'द इंडियन नेशनल फोरम ऑन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस' का आयोजन किया गया. इसमें विषय विशेषज्ञों ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के इस्तेमाल को लेकर भविष्य में आने वाली चुनौतियों और उनके समाधान के साथ ही वैधानिक पहलुओं पर चर्चा की.
जाने-माने साइबर लॉ एक्सपर्ट एवं सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता पवन दुग्गल ने कहा कि भारत का वर्तमान सूचना प्रौद्योगिकी कानून 23 साल पुराना है. जब यह कानून बना था उस वक्त न तो सोशल मीडिया था और न ही आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस. आज आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का जमाना है और आने वाले पांच-छह सालों में इससे भी आगे सुपर इंटेलिजेंस आने वाला है. ऐसे में भारत में आईटी लॉ को और मजबूत करने की जरूरत है. आज आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर किया जा रहा है. ऐसे में लोगों की डाटा प्राइवेसी के साथ ही मजबूत जवाबदेही तय करने का समय आ गया है. इस फोरम में इन सभी बिंदुओं पर चर्चा की गई है. इससे निकले निष्कर्ष के बारे में सरकार को अवगत कराया जाएगा ताकि नए आईटी लो को बनाते समय इन बिंदुओं को ध्यान में रखा जा सके.
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फोरम को संबोधित करते हुए साइबर लॉ एक्सपर्ट एवं हाईकोर्ट के अधिवक्ता साक्षर दुग्गल ने कहा कि एआई आज हमारे जीवन में हर कदम पर है. गूगल सर्च हो या चैट जीपीटी हमें इसकी मदद लेनी ही पड़ती है. आज हेल्थ केयर कंपनियां एआई का इस्तेमाल कर रही हैं. डाइग्नोस्टिक से लेकर डेंटिस्ट्री और मेडिकल एजुकेशन में भी एआई ट्रेनिंग मॉड्यूल का सहारा लिया जा रहा है. इसलिए हमें एआई का इस्तेमाल करने से बचने की बजाए इसके रेगुलेशन के बारे में सोचना होगा. एआई के रेगुलेशन में छह अहम बिंदुओं पर ध्यान देना होगा. लाइबिलिटी, ट्रांसपैरेंसी, रिस्क बेस्ड एप्रोच, बायसनेस, डाटा प्राइवेसी और राइट्स एंड रिस्पॉन्सिबिलिटीज ऑफ डाटा सब्जेक्ट पर ध्यान देते हुए जिसका रेगुलेशन किया जाना बहुत जरूरी है ताकि हम आने वाले भविष्य में इसके खतरे के प्रति तैयार एवं सचेत रहें.
साक्षर दुग्गल ने कहा कि साइबर साइकोलॉजी समय-समय पर बदल रही है. आज साइबर स्पेस में होने वाले अपराध से पीड़ितों का जीवन प्रभावित हो रहा है. एआई अब हमारे इमोशंस से भी जुड़ने लगा है. इसलिए एआई का इस्तेमाल करते समय हमें साइबर साइकोलॉजी और साइबर इमोशंस का ध्यान रखना होगा. एआई में किसी भी चीज को रिप्लेस करने की क्षमता है. फोरम में साइबर लॉ, एआई और विधि संस्थानों से जुड़े विषय विशेषज्ञों ने भी अपनी बात रखी.