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रूस-यूक्रेन युद्ध: खाद्य तेलों के दाम में तेजी, राजधानी में सप्लाई चेन बरकरार

रूस और यूक्रेन के युद्ध के चलते जहां एक तरफ पूरे विश्व की चिंताएं बढ़ी हुई है. वहीं दूसरी तरफ भारतीय बाजारों पर भी अब इस युद्ध का असर देखा जा रहा है. जहां सेंसेक्स और निफ्टी पर नकारात्मक असर युद्ध का पड़ा है. वहीं दूसरी तरफ भारत में अब खाद्य तेलों के आयात पर भी इसका असर देखा जा रहा है. भारत जैसे देश में हर साल लगभग 215 लाख टन एडिबल ऑयल यानी खाने के तेल की खपत है. जिसका 70% यानी कि लगभग 150 लाख टन भारत दूसरे देशों से इंपोर्ट करता है. रूस और यूक्रेन में हो रहे युद्ध के बीच इंटरनेशनल मार्केट पर पड़े नकारात्मक असर की वजह से भारत में भी अब खाद्य तेलों के दामों में 5 से 8 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी देखी जा रही है. लेकिन इस सब के बीच राहत बड़ी बात यह है कि भारत में न तो किसी भी तरह से खाद्य तेलों की कोई कमी है और न ही सप्लाई चैन पर रूस और यूक्रेन की युद्ध का कोई खास असर पड़ा है.

edible oil price
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Published : Mar 1, 2022, 10:34 AM IST

नई दिल्ली: यूक्रेन और रूस के बीच में हो रहे युद्ध का असर सीधे तौर पर अब एडिबल ऑयल के ऊपर भी पड़ने लगा है. यूक्रेन पूरे विश्व भर में सनफ्लावर ऑयल का सबसे बड़ा उत्पादक है. ऐसे में यूक्रेन और रूस के बीच में युद्ध होने के चलते सनफ्लावर ऑयल की उत्पादन जहां बंद हो गया है. वहीं उसकी वजह से सनफ्लावर एडिबल ऑयल के दामों में भी अब वृद्धि देखी जा रही है. पूरे विश्व में सनफ्लावर ऑयल का सबसे बड़ा उत्पादक यूक्रेन के बाद रूस है और उसके बाद अर्जेंटीना का नंबर आता है.

देश के 28 राज्यों में सक्रिय रूप से काम कर रहे भारतीय उद्योग व्यापार संगठन के जनरल सेक्रेटरी हेमंत गुप्ता जो खुद भी राजधानी दिल्ली में एशिया की सबसे बड़ी होलसेल मार्केट में से एक खारी बावली में एडिबल ऑयल होलसेल विक्रेता हैं. उन्होंने बातचीत के दौरान बताया कि भारत में हर साल लगभग 215 लाख टन एडिबल ऑयल की खपत होती है. जिसमें प्रमुख तौर पर 10 प्रकार के विभिन्न एडिबल ऑयल शामिल हैं. जिनका प्रमुख तौर पर प्रयोग भारत में होता है. 215 लाख टन एडिबल ऑयल में से भारत हर साल लगभग 150 लाख टन एडिबल ऑयल दूसरे देशों इंपोर्ट करता है. जिसमें मलेशिया और इंडोनेशिया से बड़ी संख्या में पाम ऑयल आता है. जबकि अमरीका, अर्जेंटीना और शिकागो से सोयाबीन ऑयल भारत इंपोर्ट करता है. जो कि हर वर्ष भारत में एडिबल ऑयल की खपत का 65 से 70 प्रतिशत है.

भारत हर साल यूक्रेन से 20 से 25 लाख टन सनफ्लावर ऑयल इंपोर्ट करता है. जिसे पूरे देश भर की विभिन्न कंपनियां इंपोर्ट करती हैं. जो भारत में एडिबल ऑयल की खपत का कुल 10 प्रतिशत है. वर्तमान में भारत सन फ्लावर आयल को प्रमुख रूप से यूक्रेन से इंपोर्ट करता है. हालांकि विश्व में यूक्रेन के अलावा रूस और अर्जेंटीना भी सनफ्लावर ऑयल का उत्पादन करते हैं. जबकि इसके अतिरिक्त भारत में मस्टर्ड ऑयल, ग्राउंडनट ऑयल, कॉटन सीड ऑयल, पाम ऑयल और सोयाबीन ऑयल का हिस्सा लगभग 90 प्रतिशत है.

ये भी पढ़ें: यूक्रेन-रूस युद्ध से भारत में बढ़े खाद्य तेल के दाम, जानें कितना हुआ महंगा

रूस और यूक्रेन के बीच में युद्ध की शुरुआत होने से पहले भारत में जहां सनफ्लावर ऑयल की कीमत लगभग ₹138 प्रति लीटर थी. वह अब बढ़कर ₹150 प्रति लीटर हो गई है यानी कि ₹12 का उछाल युद्ध शुरू होने के बाद देखा गया है, जो कि 8 प्रतिशत के आसपास है. आने वाले दिनों में सनफ्लावर ऑयल की कीमत अधिकतम ₹5 और बढ़ सकती है. बाकी सनफ्लावर ऑयल के दाम कितने बढ़ेंगे यह तो रूस और यूक्रेन के युद्ध पर डिपेंड करता है कि यह युद्ध कितने दिन चलेगा और कितने दिन तक यूक्रेन में इंडस्ट्रीज बंद रहेंगी. वहीं दूसरी तरफ भारत के अंदर प्रमुख तौर पर प्रयोग किए जाने वाले सरसों के तेल पर रूस और यूक्रेन के युद्ध का कोई खास फर्क पड़ता हुआ नजर नहीं आ रहा है. सरसों की फसल भारत में प्रमुख रूप से होती है. सरसों की फसल हर साल मार्च के महीने में आती है और इस साल देश में सरसों की बंपर फसल होने की उम्मीद जताई जा रही है. जिसके चलते इस बार सरसों के तेल के दामों में तेजी होने की उम्मीद कम है. जबकि फिलहाल अभी सरसों के तेल के दाम पर रूस और यूक्रेन की युद्ध का कोई असर नहीं पड़ा है. वर्तमान हालातों को देखा जाए तो आने वाले दिनों में सरसों के तेल के रेट में ₹15 की गिरावट होने की पूरी उम्मीद है. सरसों के तेल के दाम अभी भारत में ₹155 प्रति लीटर है, जो मार्च के अंदर 140 रुपये तक जा सकता है. रूस और यूक्रेन के बीच में हो रहे युद्ध के चलते अगले आने वाले दिनों में क्या हालात बनेंगे इसको लेकर कुछ भी कहना काफी मुश्किल है. ऐसे में सनफ्लावर ऑयल को लेकर की कुछ कहना अभी फिलहाल संभव नहीं है. लेकिन भारत में सनफ्लावर ऑयल की खपत 10 प्रतिशत है और उसके उपलब्ध न होने पर बाजार में कई ऑप्शन अवेलेबल हैं. जिसमें सरसों का तेल, सोयाबीन ऑयल, राइस ब्रान ऑयल के साथ कॉटन सीड ऑयल, मूंगफली का तेल आदि उपलब्ध है. तो ऐसे में लोगों को किसी प्रकार की कोई मुश्किल आगामी दिनों में नहीं होगी.

ये भी पढ़ें: मार्च महीने के पहले ही दिन लगा झटका, कमर्शियल रसोई गैस सिलेंडर के बढ़े दाम

एडिबल ऑयल में अगर सोयाबीन ऑयल की बात की जाए तो एक महीना पहले सोयाबीन ऑयल की कीमत जहां 140-42 रुपये थी. वहीं रूस और यूक्रेन में युद्ध शुरू होने के बाद सोयाबीन ऑयल की कीमत लगभग ₹150 प्रति लीटर तक पहुंच गई है. यानी कि सरल शब्दों में ₹8 का उछाल सोयाबीन आयल में भी देखने को मिला है. अगले आगे आने वाले दिनों में दाम कितने बड़ते हैं यह भी रूस और यूक्रेन के युद्ध पर डिपेंड करता है.

रूस और यूक्रेन के बीच में युद्ध शुरू होने के बाद से ही एडिबल ऑयल के दामों में आंशिक रूप से बढ़त देखी जा रही है. जिसका एक बड़ा कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल के दाम में तेजी आना भी है. भारत के अंदर सभी जो खाने के तेल हैं उन के दामों में लगभग ₹5 से लेकर ₹10 तक की बढ़ोतरी फिलहाल दर्ज की गई है. हालांकि अगले आनेवाले दिनों में सरसों की नई खेप आने के बाद डोमेस्टिक लाइन के अंदर सप्लाई लाइन देश में बनेगी. जिससे मार्केट के अंदर या तो रेट गिरेंगे या फिर स्टेबल रहेंगे.

भारत जैसे देश में बड़ी संख्या में गरीब तबके या निम्न वर्ग के लोग अभी भी डालडा ऑयल ओर घी का प्रयोग करते हैं. जिसकी दामों में भी बीते 1 महीने में अगर बात की जाए तो 5 से ₹6 की बढ़ोतरी देखी गई है. इसके पीछे एक बड़ा प्रमुख कारण डालडा घी और तेल के निर्माण में प्रयोग होने वाले रॉ मेटेरियल का महंगा होना और अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेजी आना भी है. हालांकि आगामी दिनों में डालडा के दामों में भी स्टेबिलिटी देखे जाने का पूरा अनुमान है.

ये भी पढ़ें: खाद्य तेल की जल्द घटेंगी खुदरा कीमतें!

देश की राजधानी दिल्ली में फिलहाल आगामी समय में रूस और यूक्रेन के बीच हो रहे युद्ध को लेकर एडिबल ऑयल यानी खाने के तेल को लेकर किसी प्रकार की कोई परेशानी सामने आने की संभावना नहीं है. सप्लाई चेन पूरे तरीके से बरकरार है और पर्याप्त मात्रा में लोगों के लिए एडिबल ऑयल की उपलब्धता है. हालांकि राजधानी दिल्ली में किसी प्रकार के ऑयल का उत्पादन नहीं होता लेकिन आसपास के राज्यों में तेल का उत्पादन होता और वहीं से तेल दिल्ली में आता है. ऐसे में तेल के दामो में थोड़ा बहुत उछाल सामान्य तौर पर रहने का अनुमान है.बाकी दिल्ली के अंदर एडिबल ऑयल की सप्लाई को लेकर किसी भी तरह की कोई दिक्कत या परेशानी नहीं है. रूस और यूक्रेन के बीच में हो रहे युद्ध से राजधानी दिल्ली एडिबल ऑयल की सप्लाई चेन पर कोई असर नहीं है. कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि रूस और यूक्रेन के बीच में हो रहे घमासान युद्ध का भारतीय बाजारों के एडिबल ऑयल के क्षेत्र पर किसी प्रकार का कोई खास असर देखने को नहीं मिल रहा है. हालांकि मार्केट में एडिबल ऑयल के दामों में थोड़ी तेजी आई है जिसकी वजह से 5% तक दाम बढ़े हैं. इसका एक बड़ा कारण यह भी है कि भारतीय मार्केट में एडिबल ऑयल की संख्या और आवश्यकता को पूरा करने के लिए भारत अभी भी अन्य देशों पर निर्भर है क्योंकि लगभग 70% एडिबल ऑयल भारत इम्पोर्ट करता है. लेकिन इतना साफ है कि अभी घबराने की किसी को भी कोई जरूरत नहीं है और भारत में पर्याप्त मात्रा में एडिबल ऑयल की सप्लाई की बनी हुई है.

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नई दिल्ली: यूक्रेन और रूस के बीच में हो रहे युद्ध का असर सीधे तौर पर अब एडिबल ऑयल के ऊपर भी पड़ने लगा है. यूक्रेन पूरे विश्व भर में सनफ्लावर ऑयल का सबसे बड़ा उत्पादक है. ऐसे में यूक्रेन और रूस के बीच में युद्ध होने के चलते सनफ्लावर ऑयल की उत्पादन जहां बंद हो गया है. वहीं उसकी वजह से सनफ्लावर एडिबल ऑयल के दामों में भी अब वृद्धि देखी जा रही है. पूरे विश्व में सनफ्लावर ऑयल का सबसे बड़ा उत्पादक यूक्रेन के बाद रूस है और उसके बाद अर्जेंटीना का नंबर आता है.

देश के 28 राज्यों में सक्रिय रूप से काम कर रहे भारतीय उद्योग व्यापार संगठन के जनरल सेक्रेटरी हेमंत गुप्ता जो खुद भी राजधानी दिल्ली में एशिया की सबसे बड़ी होलसेल मार्केट में से एक खारी बावली में एडिबल ऑयल होलसेल विक्रेता हैं. उन्होंने बातचीत के दौरान बताया कि भारत में हर साल लगभग 215 लाख टन एडिबल ऑयल की खपत होती है. जिसमें प्रमुख तौर पर 10 प्रकार के विभिन्न एडिबल ऑयल शामिल हैं. जिनका प्रमुख तौर पर प्रयोग भारत में होता है. 215 लाख टन एडिबल ऑयल में से भारत हर साल लगभग 150 लाख टन एडिबल ऑयल दूसरे देशों इंपोर्ट करता है. जिसमें मलेशिया और इंडोनेशिया से बड़ी संख्या में पाम ऑयल आता है. जबकि अमरीका, अर्जेंटीना और शिकागो से सोयाबीन ऑयल भारत इंपोर्ट करता है. जो कि हर वर्ष भारत में एडिबल ऑयल की खपत का 65 से 70 प्रतिशत है.

भारत हर साल यूक्रेन से 20 से 25 लाख टन सनफ्लावर ऑयल इंपोर्ट करता है. जिसे पूरे देश भर की विभिन्न कंपनियां इंपोर्ट करती हैं. जो भारत में एडिबल ऑयल की खपत का कुल 10 प्रतिशत है. वर्तमान में भारत सन फ्लावर आयल को प्रमुख रूप से यूक्रेन से इंपोर्ट करता है. हालांकि विश्व में यूक्रेन के अलावा रूस और अर्जेंटीना भी सनफ्लावर ऑयल का उत्पादन करते हैं. जबकि इसके अतिरिक्त भारत में मस्टर्ड ऑयल, ग्राउंडनट ऑयल, कॉटन सीड ऑयल, पाम ऑयल और सोयाबीन ऑयल का हिस्सा लगभग 90 प्रतिशत है.

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रूस और यूक्रेन के बीच में युद्ध की शुरुआत होने से पहले भारत में जहां सनफ्लावर ऑयल की कीमत लगभग ₹138 प्रति लीटर थी. वह अब बढ़कर ₹150 प्रति लीटर हो गई है यानी कि ₹12 का उछाल युद्ध शुरू होने के बाद देखा गया है, जो कि 8 प्रतिशत के आसपास है. आने वाले दिनों में सनफ्लावर ऑयल की कीमत अधिकतम ₹5 और बढ़ सकती है. बाकी सनफ्लावर ऑयल के दाम कितने बढ़ेंगे यह तो रूस और यूक्रेन के युद्ध पर डिपेंड करता है कि यह युद्ध कितने दिन चलेगा और कितने दिन तक यूक्रेन में इंडस्ट्रीज बंद रहेंगी. वहीं दूसरी तरफ भारत के अंदर प्रमुख तौर पर प्रयोग किए जाने वाले सरसों के तेल पर रूस और यूक्रेन के युद्ध का कोई खास फर्क पड़ता हुआ नजर नहीं आ रहा है. सरसों की फसल भारत में प्रमुख रूप से होती है. सरसों की फसल हर साल मार्च के महीने में आती है और इस साल देश में सरसों की बंपर फसल होने की उम्मीद जताई जा रही है. जिसके चलते इस बार सरसों के तेल के दामों में तेजी होने की उम्मीद कम है. जबकि फिलहाल अभी सरसों के तेल के दाम पर रूस और यूक्रेन की युद्ध का कोई असर नहीं पड़ा है. वर्तमान हालातों को देखा जाए तो आने वाले दिनों में सरसों के तेल के रेट में ₹15 की गिरावट होने की पूरी उम्मीद है. सरसों के तेल के दाम अभी भारत में ₹155 प्रति लीटर है, जो मार्च के अंदर 140 रुपये तक जा सकता है. रूस और यूक्रेन के बीच में हो रहे युद्ध के चलते अगले आने वाले दिनों में क्या हालात बनेंगे इसको लेकर कुछ भी कहना काफी मुश्किल है. ऐसे में सनफ्लावर ऑयल को लेकर की कुछ कहना अभी फिलहाल संभव नहीं है. लेकिन भारत में सनफ्लावर ऑयल की खपत 10 प्रतिशत है और उसके उपलब्ध न होने पर बाजार में कई ऑप्शन अवेलेबल हैं. जिसमें सरसों का तेल, सोयाबीन ऑयल, राइस ब्रान ऑयल के साथ कॉटन सीड ऑयल, मूंगफली का तेल आदि उपलब्ध है. तो ऐसे में लोगों को किसी प्रकार की कोई मुश्किल आगामी दिनों में नहीं होगी.

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एडिबल ऑयल में अगर सोयाबीन ऑयल की बात की जाए तो एक महीना पहले सोयाबीन ऑयल की कीमत जहां 140-42 रुपये थी. वहीं रूस और यूक्रेन में युद्ध शुरू होने के बाद सोयाबीन ऑयल की कीमत लगभग ₹150 प्रति लीटर तक पहुंच गई है. यानी कि सरल शब्दों में ₹8 का उछाल सोयाबीन आयल में भी देखने को मिला है. अगले आगे आने वाले दिनों में दाम कितने बड़ते हैं यह भी रूस और यूक्रेन के युद्ध पर डिपेंड करता है.

रूस और यूक्रेन के बीच में युद्ध शुरू होने के बाद से ही एडिबल ऑयल के दामों में आंशिक रूप से बढ़त देखी जा रही है. जिसका एक बड़ा कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल के दाम में तेजी आना भी है. भारत के अंदर सभी जो खाने के तेल हैं उन के दामों में लगभग ₹5 से लेकर ₹10 तक की बढ़ोतरी फिलहाल दर्ज की गई है. हालांकि अगले आनेवाले दिनों में सरसों की नई खेप आने के बाद डोमेस्टिक लाइन के अंदर सप्लाई लाइन देश में बनेगी. जिससे मार्केट के अंदर या तो रेट गिरेंगे या फिर स्टेबल रहेंगे.

भारत जैसे देश में बड़ी संख्या में गरीब तबके या निम्न वर्ग के लोग अभी भी डालडा ऑयल ओर घी का प्रयोग करते हैं. जिसकी दामों में भी बीते 1 महीने में अगर बात की जाए तो 5 से ₹6 की बढ़ोतरी देखी गई है. इसके पीछे एक बड़ा प्रमुख कारण डालडा घी और तेल के निर्माण में प्रयोग होने वाले रॉ मेटेरियल का महंगा होना और अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेजी आना भी है. हालांकि आगामी दिनों में डालडा के दामों में भी स्टेबिलिटी देखे जाने का पूरा अनुमान है.

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देश की राजधानी दिल्ली में फिलहाल आगामी समय में रूस और यूक्रेन के बीच हो रहे युद्ध को लेकर एडिबल ऑयल यानी खाने के तेल को लेकर किसी प्रकार की कोई परेशानी सामने आने की संभावना नहीं है. सप्लाई चेन पूरे तरीके से बरकरार है और पर्याप्त मात्रा में लोगों के लिए एडिबल ऑयल की उपलब्धता है. हालांकि राजधानी दिल्ली में किसी प्रकार के ऑयल का उत्पादन नहीं होता लेकिन आसपास के राज्यों में तेल का उत्पादन होता और वहीं से तेल दिल्ली में आता है. ऐसे में तेल के दामो में थोड़ा बहुत उछाल सामान्य तौर पर रहने का अनुमान है.बाकी दिल्ली के अंदर एडिबल ऑयल की सप्लाई को लेकर किसी भी तरह की कोई दिक्कत या परेशानी नहीं है. रूस और यूक्रेन के बीच में हो रहे युद्ध से राजधानी दिल्ली एडिबल ऑयल की सप्लाई चेन पर कोई असर नहीं है. कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि रूस और यूक्रेन के बीच में हो रहे घमासान युद्ध का भारतीय बाजारों के एडिबल ऑयल के क्षेत्र पर किसी प्रकार का कोई खास असर देखने को नहीं मिल रहा है. हालांकि मार्केट में एडिबल ऑयल के दामों में थोड़ी तेजी आई है जिसकी वजह से 5% तक दाम बढ़े हैं. इसका एक बड़ा कारण यह भी है कि भारतीय मार्केट में एडिबल ऑयल की संख्या और आवश्यकता को पूरा करने के लिए भारत अभी भी अन्य देशों पर निर्भर है क्योंकि लगभग 70% एडिबल ऑयल भारत इम्पोर्ट करता है. लेकिन इतना साफ है कि अभी घबराने की किसी को भी कोई जरूरत नहीं है और भारत में पर्याप्त मात्रा में एडिबल ऑयल की सप्लाई की बनी हुई है.

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