नई दिल्ली: ईटीवी भारत की खबर का एक बड़ा असर देखने को मिला रहा है. आज केजरीवाल सरकार ने प्राइवेट एंबुलेंस का किराया फिक्स करने का ऐलान किया है. बता दें कि ईटीवी भारत लगातार एंबुलेंस के किराये और अंतिम संस्कार के खर्चे को लेकर खबर चला रहा था.
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ईटीवी भारत की अंतिम संस्कार में रहे भारी खर्च वाली स्टोरी को विपक्षी पार्टियां (कांग्रेस और बीजेपी) ने भी प्रमुखता से उठाया था. इसके बाद आज दिल्ली सरकार ने एंबुलेंस का रेट फिक्स किया है. एक बड़ा सवाल ये है कि एंबुलेंस का रेट तो फिक्स हुआ, लेकिन कोविड शवों के अंतिम संस्कार के दौरान हो रही भारी खर्चे को लेकर सरकार क्या कर रही है. एंबुलेंस के रेट फिक्स करने से शवों को श्मशान घाट ले जाने वाले खर्च में कमी तो आएगी, लेकिन पूरी तरह से ये फ्री नहीं हो पाएगा.
कोविड मरीजों के अंतिम संस्कार के दौरान एंबुलेंस का खर्चा ही सबसे ज्यादा आ रहा था. कोरोना से मृत इंसानों के अंतिम संस्कार के लिए लोगों को ज्यादा पैसे खर्च करने पड़ रहे हैं. सबसे पहले 31 सौ रुपये की पर्ची लकड़ी और श्मशान शुल्क के लिए काटी जाती है. इसके अलावा अन्य दाह संस्कार के दौरान उपयोग में आने वाली अन्य सामग्रियों को परिजन ही लेकर आते हैं. इसकी कीमत 3 से लेकर 4 हजार रुपये तक होती है. इसके बाद पीपीई किट की व्यवस्था भी परिजन करते हैं. कोरोना विधि से अंतिम संस्कार के लिए पिपीई किट की अनिवार्यता है, तो ऐसे में 1,500 से 2,000 रुपये तक PPE किट में खर्च होते हैं. इस पूरी प्रक्रिया में कम से कम 7,600 से लेकर 9,100 रुपये तक का खर्च होता है. फिलहाल सरकार ने इस खर्चे को लेकर कुछ नहीं किया है.
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इससे पहले कोविड मरीजों को श्मशान ले जाने के लिए एंबुलेंस का सहारा लेना पड़ता है. जहां सरकारी एंबुलेंस मुफ्त, तो श्मशान समिति के एंबुलेंस का चार्ज 800 रुपया है. प्राइवेट एंबुलेंस का 3,000 से लेकर 8,000 रुपये तक रेट था. प्राइवेट एंबुलेंस में कभी-कभी मनमाना किराया वसूलने की खबरें आती रहत थीं. एंबुलेंस को फ्री करने की बजाय ने सरकार ने थोड़ी सी राहत देते हुए उसका चार्ज फिक्स कर दिया है. दिल्ली में जहां हर रोज सैंकड़ों की संख्या में कोविड मरीजों की मौत हो रही है. वहीं, अंतिम संस्कार में होने वाले खर्च से आम जनता काफी परेशान है.
सवाल ये है कि जब राजस्थान समेत कई राज्यों में कोरोना से होने वाली मौतों में अंतिम संस्कार का खर्चा राज्य सरकार दे रही है. शव को अस्पताल से अंतिम संस्कार स्थल तक लाने का खर्च भी वहन कर रही है, तो दिल्ली सरकार ऐसा क्यों नहीं कर रही है. सियासी उलझनों के फेर में लगी सरकार और प्रशासन का ध्यान इस और है ही नहीं. दिल्ली का आम आदमी आखिर करे तो क्या करें...न अस्पतालों में ईलाज मयस्सर है और न ही श्मशान, कब्रिस्तान में जगह...ऊपर से महंगा खर्च, दुखियारे परिवार की कमर तोड़ कर रख दे रहा है. दिल्ली वाले कोरोना से जूझते हुए अपनी जीवटता दिखा रहे हैं...मुद्दा सरकार और प्रशासन की सोच का है...क्या अन्य राज्यों की तरह दिल्ली में कोविड मृतकों का अंतिम संस्कार सरकारी खर्च पर नहीं हो सकता ??