नई दिल्ली: IMA के पूर्व अध्यक्ष डॉ. विनय अग्रवाल का कहना है कि आयुर्वेद के डॉक्टरों को सर्जरी की अनुमति दिए जाने के बाद अगर उन्हें शल्य चिकित्सक कहा जाए, तो हमें इससे कोई परेशानी नहीं है. लेकिन उन्हें एमएस की डिग्री दी जा रही है और इसमें यह नहीं मालूम है कि जो एमएस सर्जरी करेगा वह आयुर्वेद का डॉक्टर है, या फिर मॉडर्न मेडिसिन का. जिसके चलते जो मरीज सर्जरी के लिए आएंगे उन्हें कैसे मालूम होगा.
साथ ही उन्होंने कहा कि जो आयुर्वेद के जो डॉक्टर सर्जरी करेंगे, उस सर्जरी के बाद यदि कोई परेशानी होती है तो क्या उसके लिए उन्हें ट्रेनिंग दी गई है. क्योंकि हमने कई ऐसे मामले देखे हैं हाल ही में कर्नाटका में भी आयुर्वेद के डॉक्टरों द्वारा सर्जरी के बाद मरीज को परेशानी हुई थी, जिसके बाद उस डॉक्टर को सजा का पात्र भी बनना पड़ा था.
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इसके साथ ही उन्होंने कहा कि पुणे में भी एक सिजेरियन सेक्शन के बाद डॉक्टर को 10 साल की सजा दी गई, तो यदि अगर इस तरीके की परेशानी होंगी तो इसके लिए कौन जिम्मेदार होगा.
अभियान में अन्य डॉक्टर भी शामिल
इसके साथ ही आईएमए में भारतीय चिकित्सा केंद्रीय परिषद की अधिसूचना जिसके अंतर्गत आयुर्वेद के पोस्टग्रेजुएट डॉक्टर्स को सर्जरी की अनुमति दी गई है उसको लेकर अब हस्ताक्षर अभियान चलाए जाने की घोषणा की है. आईएमए की तरफ से कहा गया है कि इस अभियान में ना केवल इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के डॉक्टर बल्कि डेंटल, ईएनटी और कई अन्य सर्जरी करने वाले डॉक्टर भी शामिल हो रहे हैं.