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IIT शोधकर्ताओं ने बनाया पहला मशीन लर्निंग सॉफ्टवेयर, शीशे के गुणों का चलेगा पता

दिल्ली में IIT शोधकर्ताओं ने एक ऐसा सॉफ्टवेयर बनाया है जिसकी मदद से शीशे की संरचनाओं की अनुकूलता और अनुपात का पता चल सके.

IIT शोधकर्ता etv bharat
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Published : Aug 3, 2019, 11:43 AM IST

नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली में IIT के शोधकर्ताओं ने एक लर्निंग सॉफ्टवेयर विकसित किया है. जिसका उपयोग ग्लासेस नाव के पूर्वानुमान और अनुकूलन के लिए किया जा सकेगा.

IIT शोधकर्ताओं ने मशीन लर्निंग सॉफ्टवेयर किया विकसित

शीशे को मनचाहे गुणों में विकसित करना एक चुनौती
आज के जमाने में हर कोई यही सोचता है कि ऐसा मोबाइल फोन, कांच के बर्तन या खिड़की का शीशा हो जो 2 हजार साल बाद भी न टूटे. इसे मनचाहे गुणों के साथ विकसित करना भी एक खुली चुनौती बनी हुई है. इस समस्या को हल करने के लिए IIT दिल्ली के शोधकर्ताओं ने शीशे की संरचनाओं की भविष्यवाणी और अनुकूलन के लिए पहला मशीन लर्निंग सॉफ्टवेयर विकसित किया है.

बटन दबाकर पता चल जाएंगे मूलभूत संघटक
शोधकर्ताओं का कहना है कि कंपनियों को एक बटन दबाकर खरोच प्रतिरोधक और दरार प्रतिरोधक क्षमता जैसे बेहतर गुणों के साथ आसानी से शीशे के मूलभूत संघटको की भविष्यवाणी करने में सहायता करेगा.

मशीन लर्निंग की मदद से पता कर सकते है मूलभूत अनुपात
प्रोजेक्ट इन्वेस्टिगेटर्स के प्रोफेसर अनूप कृष्णन बताया कि संगठन संरचना गुण संबंध को समझना और भविष्यवाणी करना बुलेट प्रूफ और स्क्रैच प्रूफ ग्लास जैसी नई वस्तु को विकसित करने की कुंजी है.

मशीन लर्निंग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसे डाटा चलित तकनीक द्वारा हम मौजूदा ज्ञान का उपयोग करके उचित गुणों के साथ शीशे की मूलभूत घटकों के अनुपात का अनुमान लगा सकते हैं. पीवाईजीआई पाइथन भाषा में लिखा कांच के गुणों की पूर्व अनुमान और अनुकूलन के लिए विकसित किया गया एक सॉफ्टवेयर पैकेज है.

PYGGI को किया जाएगा अपग्रेड
वही प्रोफ़ेसर हरिप्रसाद कोडामना ने कहा कि ग्लास साइंस के क्षेत्र में औद्योगिक और शैक्षणिक चुनौतियों का सामना करने के लिए पीवाईजीजीआई को लगातार अपडेट और अपग्रेड किया जाएगा और हम उपयोगकर्ता की आवश्यकताओं के आधार पर और भी नए माड्यूल इसमें शामिल करेंगे.

नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली में IIT के शोधकर्ताओं ने एक लर्निंग सॉफ्टवेयर विकसित किया है. जिसका उपयोग ग्लासेस नाव के पूर्वानुमान और अनुकूलन के लिए किया जा सकेगा.

IIT शोधकर्ताओं ने मशीन लर्निंग सॉफ्टवेयर किया विकसित

शीशे को मनचाहे गुणों में विकसित करना एक चुनौती
आज के जमाने में हर कोई यही सोचता है कि ऐसा मोबाइल फोन, कांच के बर्तन या खिड़की का शीशा हो जो 2 हजार साल बाद भी न टूटे. इसे मनचाहे गुणों के साथ विकसित करना भी एक खुली चुनौती बनी हुई है. इस समस्या को हल करने के लिए IIT दिल्ली के शोधकर्ताओं ने शीशे की संरचनाओं की भविष्यवाणी और अनुकूलन के लिए पहला मशीन लर्निंग सॉफ्टवेयर विकसित किया है.

बटन दबाकर पता चल जाएंगे मूलभूत संघटक
शोधकर्ताओं का कहना है कि कंपनियों को एक बटन दबाकर खरोच प्रतिरोधक और दरार प्रतिरोधक क्षमता जैसे बेहतर गुणों के साथ आसानी से शीशे के मूलभूत संघटको की भविष्यवाणी करने में सहायता करेगा.

मशीन लर्निंग की मदद से पता कर सकते है मूलभूत अनुपात
प्रोजेक्ट इन्वेस्टिगेटर्स के प्रोफेसर अनूप कृष्णन बताया कि संगठन संरचना गुण संबंध को समझना और भविष्यवाणी करना बुलेट प्रूफ और स्क्रैच प्रूफ ग्लास जैसी नई वस्तु को विकसित करने की कुंजी है.

मशीन लर्निंग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसे डाटा चलित तकनीक द्वारा हम मौजूदा ज्ञान का उपयोग करके उचित गुणों के साथ शीशे की मूलभूत घटकों के अनुपात का अनुमान लगा सकते हैं. पीवाईजीआई पाइथन भाषा में लिखा कांच के गुणों की पूर्व अनुमान और अनुकूलन के लिए विकसित किया गया एक सॉफ्टवेयर पैकेज है.

PYGGI को किया जाएगा अपग्रेड
वही प्रोफ़ेसर हरिप्रसाद कोडामना ने कहा कि ग्लास साइंस के क्षेत्र में औद्योगिक और शैक्षणिक चुनौतियों का सामना करने के लिए पीवाईजीजीआई को लगातार अपडेट और अपग्रेड किया जाएगा और हम उपयोगकर्ता की आवश्यकताओं के आधार पर और भी नए माड्यूल इसमें शामिल करेंगे.

Intro:राजधानी दिल्ली में आईआईटी के शोधकर्ताओं ने अपनी तरह का पहला मशीन लर्निंग सॉफ्टवेयर विकसित किया है जिसका उपयोग ग्लासेस नाव के पूर्वानुमान और अनुकूलन के लिए किया जा सकेगा आज के जमाने में हर कोई यही सोचता है कि वह ऐसा मोबाइल फोन लिया ऐसे कोई कांच का बर्तन या खिड़की का शीशा हो जो कभी टूटे ना 2 हजार सालों के बाद भी और मनचाहे गुणों के साथ विकसित करना भी एक खुली चुनौती बनी हुई है इस समस्या को हल करने के लिए आईआईटी दिल्ली के शोधकर्ताओं ने शीशे की संरचनाओं की भविष्यवाणी और अनुकूलन के लिए अपनी तरह का पहली मशीन लर्निंग सॉफ्टवेयर विकसित किया है


Body:शोधकर्ताओं की मानें तो शोधकर्ताओं का कहना है कि कंपनियों को एक बटन दबाकर खरोच प्रतिरोधक और दरार प्रतिरोधक क्षमता जैसे बेहतर गुणों के साथ आसानी से शीशे के मूलभूत संघटको की भविष्यवाणी करने में सहायता करेगा।
प्रोजेक्ट इन्वेस्टिगेटर्स के प्रोफेसर अनूप कृष्णन एक बताया कि संगठन संरचना गुण संबंध को समझना और भविष्यवाणी करना बुलेट प्रूफ और स्क्रैच प्रूफ ग्लास जैसी नवीन विलास को विकसित करने की कुंजी है मशीन लर्निंग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसे डाटा चलित तकनीक द्वारा हम मौजूदा ज्ञान का उपयोग करके उचित गुणों के साथ शीशे की मूलभूत घटकों के अनुपात का अनुमान लगा सकते हैं पीवाईजीआई पाइथन भाषा में लिखा कांच के गुणों की पूर्व अनुमान और अनुकूलन के लिए विकसित किया गया एक सॉफ्टवेयर पैकेज है


Conclusion:और वही प्रोफ़ेसर हरिप्रसाद कोडामना ने कहा कि ग्लास साइंस के क्षेत्र में औद्योगिक और शैक्षणिक चुनौतियों का सामना करने के लिए पीवाईजीजीआई को लगातार अपडेट और अपग्रेड किया जाएगा और हम उपयोगकर्ता की आवश्यकताओं के आधार पर और भी नए माड्यूल इसमें शामिल करेंगे
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