नई दिल्ली: आईआईटी दिल्ली में डीएसटी सेंटर ऑफ एक्सीलेंस इन क्लाइमेट मॉडलिंग के शोधकर्ताओं ने एमआईटी, यूएसए व जैमस्टेक जापान के सहयोग से मानसून वर्षा की भविष्यवाणी के लिए एक अत्याधुनिक मशीन लर्निंग मॉडल विकसित किया है. आईआईटी दिल्ली के प्रोफेसर सरोज के. मिश्रा के नेतृत्व में एक शोध दल द्वारा विकसित मॉडल ने आने वाले मानसून के मौसम में अखिल भारतीय ग्रीष्मकालीन मानसून वर्षा (एआईएसएमआर) 790 मिमी की भविष्यवाणी की है, जिसका अर्थ है कि 2023 में देश के लिए एक सामान्य मानसून है.
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भविष्यवाणी 1901-2001 की अवधि के लिए ऐतिहासिक एआईएसएमआर डेटा, इंडेक्स डेटा और श्रेणीबद्ध हिंद महासागर डिपोल (आईओडी) डेटा के साथ प्रशिक्षित मॉडल का उपयोग करके की गई है. विकसित और परीक्षण किया गया एआई-एमएल मॉडल देश में मानसून की भविष्यवाणी के लिए उपयोग किए जाने वाले वर्तमान भौतिक मॉडल की तुलना में बेहतर प्रदर्शन करने वाला साबित हुआ है. इसने 2002-2022 की परीक्षण अवधि के लिए 61.9% की उल्लेखनीय पूर्वानुमान सफलता दर का प्रदर्शन किया है. यह इस बात पर आधारित है कि क्या मॉडल प्रत्येक वर्ष देखे गए वास्तविक मूल्यों के +/- 5% के भीतर एआईएसएमआर की भविष्यवाणी करने में सक्षम है या नहीं.
मॉडल से महीनों पहले की जा सकती है भविष्यवाणी
निनो 3.4 सूचकांक और आईओडी पूर्वानुमान की उपलब्धता के आधार पर इस मॉडल का उपयोग करते हुए भविष्यवाणी महीनों पहले की जा सकती है और उसके विकास के आधार पर तदनुसार अद्यतन किया जा सकता है. इस प्रकार डेटा-संचालित मॉडल इनपुट के लिए लचीले होते हैं और कम कम्प्यूटेशनल रूप से गहन होते हुए भी मानसून चालकों के बीच गैर-रैखिक संबंधों को बेहतर ढंग से पकड़ सकते हैं.
अधिक सटीक मानसून वर्षा का पूर्वानुमान
सीमित समय के भीतर निजी कंप्यूटर पर इन मॉडलों को चलाने वाले मुट्ठी भर लोग पारंपरिक भौतिक मॉडल में शामिल संसाधन गहन प्रक्रिया की तुलना में अधिक सटीक मानसून वर्षा पूर्वानुमान प्रदान कर सकते हैं. प्रो. सरोज ने कहा कि यह अध्ययन पूरे देश के लिए अत्यधिक महत्व रखता है, क्योंकि समय से पहले एक सटीक मानसून पूर्वानुमान कृषि, ऊर्जा, जल संसाधन, आपदा प्रबंधन और स्वास्थ्य सहित विभिन्न सामाजिक आर्थिक क्षेत्रों में महत्वपूर्ण निर्णय लेने के लिए अहम है.
प्रो. मिश्रा ने कहा कि राज्य-वार मानसून वर्षा की भविष्यवाणी प्रदान करने के लिए डेटा-संचालित तकनीकों का विस्तार किया जाएगा. जिससे वे क्षेत्रीय अनुप्रयोगों के लिए अधिक उपयोगी बन सकें. शोध दल में इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग के प्रो. तन्मय चक्रवर्ती और आईआईटी दिल्ली के पीएचडी विद्वान पंकज उपाध्याय, आईआईआईटी दिल्ली के उदित नारंग और कुशाल जुनेजा, जेएएमएसटीईसी जापान के प्रो. स्वाधीन बेहरा और एमआईटी यूएसए के डॉ. पोपट सालुंके भी
शामिल हैं.
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