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हरियाणा में कांग्रेस कोऑर्डिनेशन कमेटी का गठन, हुड्डा को बड़ी जिम्मेदारी

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Published : Mar 15, 2019, 8:49 PM IST

हरियाणा में कांग्रेस ने कॉऑर्डिनेश कमेटी की घोषणा कर दी है. पूर्व मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा को इस कमेटी का चेयरमैन बनाया गया है.

हरियाणा में कांग्रेस कोऑर्डिनेशन कमेटी का गठन

दिल्ली: हरियाणा में कांग्रेस ने कॉऑर्डिनेश कमेटी की घोषणा कर दी है. पूर्व मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा को इस कमेटी का चेयरमैन बनाया गया है.

DELHI
हरियाणा में कांग्रेस कोऑर्डिनेशन कमेटी का गठन

इसके अलावा कमेटी में अशोक तंवर, कुलदीप बिश्नोई, किरण चौधरी समेत 15 लोगों को जगह दी गई है.

बड़ी बात ये है कि 15 सदस्यों की इस कोऑर्डिनेश कमेटी में हुड्डा समर्थकों को बड़ी जगह मिली है. कमेटी में भूपेन्द्र हुड्डा के बेटे दीपेन्द्र हुड्डा के अलावा कैलाश सैनी, अनिल ठक्कर, कुलदीप शर्मा, जय वीर सिंह बाल्मीकि को जगह दी गई है. ये सभी नेता हुड्डा खेमे के माने जाते हैं. कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने 15 सदस्यों वाली कोऑर्डिनेशन कमेटी पर मुहर लगा दी है.

गौरतलब है कि इस सुची के जारी होने के बाद कांग्रेस के अंदरूनी मतभेद समने आ रहे है. कयास लगाए जा रहे है कि इस लिस्ट में बदलाव हो सकते हैं.

दिल्ली: हरियाणा में कांग्रेस ने कॉऑर्डिनेश कमेटी की घोषणा कर दी है. पूर्व मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा को इस कमेटी का चेयरमैन बनाया गया है.

DELHI
हरियाणा में कांग्रेस कोऑर्डिनेशन कमेटी का गठन

इसके अलावा कमेटी में अशोक तंवर, कुलदीप बिश्नोई, किरण चौधरी समेत 15 लोगों को जगह दी गई है.

बड़ी बात ये है कि 15 सदस्यों की इस कोऑर्डिनेश कमेटी में हुड्डा समर्थकों को बड़ी जगह मिली है. कमेटी में भूपेन्द्र हुड्डा के बेटे दीपेन्द्र हुड्डा के अलावा कैलाश सैनी, अनिल ठक्कर, कुलदीप शर्मा, जय वीर सिंह बाल्मीकि को जगह दी गई है. ये सभी नेता हुड्डा खेमे के माने जाते हैं. कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने 15 सदस्यों वाली कोऑर्डिनेशन कमेटी पर मुहर लगा दी है.

गौरतलब है कि इस सुची के जारी होने के बाद कांग्रेस के अंदरूनी मतभेद समने आ रहे है. कयास लगाए जा रहे है कि इस लिस्ट में बदलाव हो सकते हैं.

Intro:एंकर -  हरियाणा में 12 मई को लोकसभा चुनाव होने है,चुनाव के ऐलान के बाद से सियासी दल प्रचार प्रसार में जुट गए है। लेकिन इस लोकसभा चुनाव के एक रोचक टक्कर चाचा - भतीजा यानी अभय चोटाला और दुष्यंत चौटाला के बीच विधानसभा चुनाव में हो सकती है। दरअसल सिरसा के एलनाबाद विधानसभा सीट से नेता प्रतिपक्ष अभय चौटाला विधायक हैं। और हाल ही में इनेलो से अलग होकर अपनी नई पार्टी बनाने वाले उनके भतीजे दुष्यंत चौटाला की उसी विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने की चर्चाएं तेज़ हो गई हैं। हालांकि अभी ये निश्चित नही है कि दुष्यंत एलनाबाद की सीट से विधानसभा चुनाव लड़ेंगे या नही । लेकिन उनकी पार्टी के कार्यकर्ता और उनके भाई दिग्विजय चौटाला ने ये संकेत दिए हैं कि दुष्यंत एलनाबाद से ही विधानसभा चुनाव लड़ सकते हैं। ऐसे में ETV BHARAT की टीम ने एलनाबाद की जनता से उनकी राय जानी , कि चाचा और भतीजा की उस टक्कर में वो किसके साथ होंगे।






Body:विओ - करीब दो दशक भर पहले अप्रैल 1998 में जब ओमप्रकाश चौटाला ने इंडियन नैशनल लोकदल का गठन किया तो उन्होंने सोचा नहीं होगा कि करीब दो दशक बाद इसमें बिखराव आ जाएगा। चौटाला ने यह कल्पना भी नहीं की होगी कि उनके बेटों अजय एवं अभय की सियासी राहें अलग-अलग हो जाएंगी। आज दोनों ही भाइयों की राहें अलग हो गई हैं। इनैलो पिछले करीब 15 साल से सत्ता से बाहर है। अभय का जन्म अपने ननिहाल पंजाब के अबोहर के पंचकोसी में 14 फरवरी 1963 को हुआ। एसएम हिंदू हाई स्कूल से पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने हिसार की हरियाणा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के स्पोर्टस कालेज से डिग्री हासिल की। सबसे पहले वे अपने पैतृक गांव चौटाला में पंचायत सदस्य बने। इसके बाद साल 2000 में रोड़ी उपचुनाव में जीत हासिल कर पहली बार विधायक बने। इसके बाद कांग्रेस सरकार के गठन के करीब तीन माह बाद ही जनवरी 2010 में ऐलनाबाद में उपचुनाव हुआ। इस उपचुनाव में कांग्रेस के तमाम मंत्रियों-संतरियों ने ऐलनाबाद के गांव-गांव में डेरा डाल लिया। पर इस उपचुनाव में 64,813 वोट हासिल करते हुए अभय ने कांग्रेस के भरत सिंह बैनीवाल को 6227 वोटों से हरा कर जीत हासिल कर ली। इसके बाद अभय ने 2014 के विधानसभा चुनाव में ऐलनाबाद हलके को चुना। इस बार उनके लिए चुनौती थे उनके सखा रहे और भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार पवन बैनीवाल। अभय ने 69 हजार 162 वोट हासिल करते हुए पवन बैनीवाल को करीब 11 हजार 539 वोट से पराजित किया। अभय चौटाला के नेतृत्व में पार्टी ने 2014 के लोकसभा चुनाव में 2 सीटें जीतीं तो विधानसभा चुनाव में शिअद संग गठबंधन कर 20 सीटें हासिल की।

विओ - दुष्यंत चौटाला का सियासी सफर भी दिलचस्प रहा है। तीस वर्षीय दुष्यंत को उस समय सक्रिय सियासत में उतरना पड़ा जब जनवरी 2013 में उनके दादा ओमप्रकाश चौटाला व पिता अजय चौटाला को जेल हो गई। हालांकि दुष्यंत इससे पहले 2009 में दुष्यंत को पार्टी ने डबवाली, महेंद्रगढ़ व उचाना विधानसभाओं की जिम्मेदारी दी। इन तीनों विधानसभाओं में उस समय पार्टी को जीत मिली। अक्तूबर 2011 के हिसार संसदीय उपचुनाव में भी उनकी ड्यूटी लगी। उनके दादा और पिता को जेल हो जाने के बाद पार्टी ने दुष्यंत को हिसार जैसे संसदीय क्षेत्र में उतारा। जहां उनके सामने हरियाणा जनहित कांग्रेस के कुलदीप बिश्रोई थे। उस समय मोदी लहर में भी दुष्यंत ने कुलदीप को करीब 31 हजार 847 वोटों से हराया।  3 अप्रैल 1988 को जन्मे दुष्यंत की स्कूलिंग हिसार से हुई। इसके बाद उन्होंने हिमाचल प्रदेश के सांवर से सीनियर सैकेंडरी की और उसके बाद कैलिफ्रोनिया स्टेट यूनिवर्सिटी से बिजनेस एडमिनस्ट्रेशन में गे्रजुएट की। 2014 में चुनावी समर में उतरने से पहले उन्होंने अनेक जिम्मेदारियां संभाली।

वीओ - सोशल मीडिया में भतीजा आगे

आज के दौर में सोशल मीडिया प्रचार प्रसार के साधनों में शुमार हो गया है। फेसबुक और ट्विटर इसमें सबसे ज्यादा मायने रखता है। सोशल मीडिया के इन दोनों मंचों पर दुष्यंत चौटाला अपने चाचा अभय से आगे हैं। नई पीढ़ी के दुष्यंत के पास बकायदा प्रोफेशन्लस की एक खास टीम है जो उनके फेसबुक एवं ट्विटर अकाऊंट्स को हैंडल करते हैं। दुष्यंत के फेसबुक पर करीब 7 लाख फोलोअर्स हैं। इसके अलावा ट्विटर पर उनके फॉलोअर्स की संख्या 91 हजार 500 है। उन्होंने स्वयं 4277 के करीब टिवट्स किए हैं। वहीं अभय चौटाला के फेसबुक पर करीब 3.17 लाख फॉलोअर्स हैं। और टिवीटर पर साढ़े 6 हजार फ़ॉलोअर्स है। खास बात यह है कि इनैलो में हुए घटनाक्रम के बाद पिछले सवा माह में अभय के फेसबुक फॉलोअर्स की संख्या तेजी से बढ़ी है।

पिछले तीन विधानसभा चुनावों में इनैलो का प्रदर्शन

वर्ष         सीट                  वोट प्रतिशत

2005         9                  26.77

2009         31                  25.79

2014         19                  24.11


बाइट - अभय चौटाला

बाइट - दिग्विजय चौटाला

बाइट - पब्लिक रिएक्शन


Conclusion:हालांकि एलनाबाद सीट को लेकर वहां के लोगों का मिला जुला रिएक्शन है। लेकिन ज्यादातर लोगों का कहना है कि यहां दुष्यंत और उसकी पार्टी जजपा की ज्यादा लहर है। लेकिन इन सब के बीच चाचा और भतीजा दोनों के लिए ही चुनौती हैं।जहां दुष्यंत के सामने अपने नए दल को बड़ा और मजबूत बनाने की चुनौती है । वहीं दूसरी ओर अभय चौटाला के सामने टूट रहे इनेलो को संगठित और मजबूत रखना मुख्य चुनौती है। पिछले कुछ महीनों में दोनों ने एक दूसरे पर खूब तीखी टिप्पणी और आलोचना की है। और एक दूसरे को नीचा दिखाने की कोशिश की है । जिसका फायदा तीसरे संगठन को होता दिखा है।
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